PHQ’s Instructions: हाथ से लिखी हुई मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं चलेगी, PHQ ने दिए निर्देश
भोपाल :हत्या, मारपीट या आत्महत्या सहित आपराधिक मामलों में अब हाथ से लिखी हुई मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं चलेगी। यदि किसी विवेचक या थाने के प्रभारी सहित अन्य अफसरों ने यह गलती कर दी तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट रूप से सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ ही भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नरों को निर्देश दिए हैं।
दरअसल पुलिस अपनी विवेचना में डॉक्टर से मेडिकल रिपोर्ट या पोस्टमार्टम रिपोर्ट का फार्म भरवाती है। डॉक्टर वह रिपोर्ट अपने हाथ से भर देते हैं। जिसे बाद में पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत कर देती है। कोर्ट में जब सुनवाई होती है तो कुछ मामलों में पुलिस यह नहीं बता पाती कि किस डॉक्टर ने मेडिकल किया था या पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट बनाई थी। कई बार यह भी समस्या आ जाती है कि चोट कहा लगी और कितनी चोट लगी इसे भी हाथ से लिखा जाता है, जिसे कोर्ट में समझना कई बार मुश्किल भरा हो जाता है।
ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देशित किया है कि वे चिकित्सकीय दस्तावेज एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित मेडिकल से जुड़ी अन्य रिपोर्ट को टाइम फार्म में ही कोर्ट में प्रस्तुत करें। इस संबंध में उच्च न्यायालय ने भी एक मामले में करीब 6 साल पहले आदेश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि यदि टाइम फार्म में चिकित्सीय दस्तावेज, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं होती है तो इस दशा में दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाए। न्यायालय के आदेश के बाद स्वास्थ्य संचालनालय को भी इस आदेश के पालन के लिए लिखा गया था।
अब प्रकरण की जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारियों की यह जिम्मेदारी तय की गई है कि वे यह सुनिश्चित करें कि मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट टाइम फार्म में ही डॉक्टर से ली जाए।