Solar Rooftop: MP में सभी सरकारी भवनों की छतों पर बनेगी बिजली, निजी कंपनियां उठाएंगी खर्च, उत्पादित बिजली सरकारी दफ्तर करेंगे उपयोग

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Solar Rooftop: MP में सभी सरकारी भवनों की छतों पर बनेगी बिजली, निजी कंपनियां उठाएंगी खर्च, उत्पादित बिजली सरकारी दफ्तर करेंगे उपयोग

 

भोपाल: मंत्रालय, सतपुड़ा-विंध्याचल, सभी विभागाध्यक्ष कार्यालय, प्रदेशभर के कलेक्ट्रेट, कमिश्नर और आईजी-एसपी आॅफिसों सहित सारी सरकारी इर्मारतों पर राज्य सरकार बिना खर्च के सोलर रूफटॉप लगाकर सौर उर्जा से बिजली बनाएगी। निजी कंपनियों की मदद से ये इकाई लगाई जाएंगी और इनमें उत्पादित बिजली वहीं के सरकारी कार्यालय खरीदेंगे। इससे उनका बिजली खर्च भी कम होगा और राज्य सरकार का कोल आधारित बिजली उत्पादन पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा।

प्रदेश का उर्जा मंत्रालय इस परियोजना को शुरु करेगा। इसके लिए पहले प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे नीतिगत रुप से इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों की ईमारतों और सरकारी ईमारतों पर सोलर रुफ टॉप लगाकर सौर उर्जा से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाना आसान हो जाएगा। अलग-अलग विभागों को इसके लिए अनुमति नहीं लेना होगा और जो कंपनियां इसके लिए टेंडर प्रक्रिया में भाग लेंगी उनमें सबसे कम दरों पर सोलर रुफ टॉप परियोजना शुरु करने का प्रस्ताव देंगी उनकी मदद से प्रदेशभर की सरकारी ईमारतों पर सोलर रुफ टॉप लगाकर उससे बिजली उत्पादन किया जाएगा।

इसमें निजी कंपनी सोलर पैनल लगाएगी और उससे तैयार बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी भी लगाएगी और इसे ग्रिड से भी जोड़ा जाएगा ताकि इसमें बनने वाली अधिक बिजली का उपयोग अन्य स्थानों पर किया जा सके। जितने मेगावाट बिजली इसमें तैयार होगी उसके उपयोग के लिए पहले उसी कार्यालय को अनुमति दी जाएगी जिनकी छतों पर यह सोलर रुफ टॉप लगाए जाएंगे। इसमें निजी कंपनी को राज्य सरकार सोलर रूफ टॉप लगाने के लिए नि:शुल्क छत उपलब्ध कराएगी और यूनिट की स्थापना का पूरा खर्च निजी कंपनी उठाएगी। बदले में जो बिजली तैयार होगी और उसकी बिक्री से जो आय होगी उसमें सोलर रूफ टॉप लगाने वाली कंपनी और राज्य सरकार के उर्जा विभाग को भी कुछ हिस्सा मिलेगा। इससे राज्य सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी और सरकारी कार्यालयों पर आने वाले बिजली के खर्च को भी कम किया जा सकेगा। वहीं कोल और जल विद्युत परियोजना के संचालन से जो बिजली बनती है उस पर निर्भरता कम हो जाएगी। इससे विद्युत निर्माण में होंने वाले खर्च में कमी आएगी। कोल आधारित बिजली की जगह सौर उर्जा से तैयार बिजली सस्ती भी होगी और सरकारी कार्यालयों की बिजली की तमाम जरुरतें भी इससे पूरी हो सकेंगी। मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस प्रस्ताव की पुष्टि की है।