कार्तिकेय नहीं, तो भरोसेमंद रमाकांत भार्गव ही सबसे सही…

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कार्तिकेय नहीं, तो भरोसेमंद रमाकांत भार्गव ही सबसे सही…

भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति ने मध्यप्रदेश में होने वाले दो विधानसभा उपचुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। केन्द्रीय चुनाव समिति ने विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए रामनिवास रावत एवं बुधनी विधानसभा से रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया है। जैसा कि विजयपुर विधानसभा में नाम पहले से ही तय था, इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। पर बुधनी विधानसभा में शिवराज के बेटे कार्तिकेय का नाम चर्चा में था, पर शायद परिवारवाद को रोक रही भाजपा ने शिवराज के बेटे को इंकार कर उनके ‘मिस्टर भरोसेमंद’ रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाने पर अपनी सहमति दे दी है। अब शिवराज का बेटा होने के नाते कार्तिकेय की किस्मत में तो टिकट नहीं ही था, पर शिवराज ने अपने भरोसेमंद रमाकांत भार्गव को टिकट दिलाकर यह साबित कर दिया है कि ‘बुधनी हमसे कोई नहीं छीन सकता’।

रमाकांत भार्गव 2019 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद थे। उन्होंने 5,03,084 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को हराया था। रमाकांत को यह टिकट शिवराज ने ही दिलाया था। दरअसल उस वक्त भी शिवराज की पत्नी साधना सिंह को टिकट न मिलने पर शिवराज ने रमाकांत भार्गव का नाम आगे बढ़ाया था। और अब 2024 में भार्गव का टिकट काटकर एमपी के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से बीजेपी ने चुनाव लड़ाया था। भार्गव तो शिव के आने का ही इंतजार कर रहे थे। वहीं बुधनी सीट छोड़ने पर शिवराज सिंह चौहान खुद चाहते थे कि रमाकांत भार्गव चुनाव लड़ें। क्योंकि शिवराज को पता था कि बुधनी सीट पर कार्तिकेय का परिवारवाद के शिकंजे में टिकट से वंचित होना तय है। 2 अक्टूबर 1953 को जन्मे 71 वर्ष के रमाकांत भार्गव शिवराज के विश्वस्त हैं।विदिशा लोकसभा सीट पर भार्गव सुषमा स्वराज और शिवराज के बीच रिक्तता भरकर सेतु साबित हुए हैं। इससे पहले वह मार्कफेड के अध्यक्ष और अपेक्स बैंक के निदेशक रहे थे। तो अब रमाकांत भार्गव बुधनी विधानसभा सीट पर शिवराज और कार्तिकेय के बीच सेतु बन पाएंगे या नहीं, यह आने वाला समय ही बता पाएगा।

वहीं रामनिवास रावत वर्तमान में बीजेपी सरकार में वन मंत्री हैं। वे 30 अप्रैल को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। 8 जुलाई को मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। बता दें कि रामनिवास रावत 6 बार विधायक और दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। और जीवनभर कांग्रेसी रहे रामनिवास रावत अब कमलमय होकर नई पारी में पहले मंत्री बन बाद में भाजपा विधायक बनने को तैयार हैं। लोकसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाने में रामनिवास रावत ने बड़ी हिस्सेदारी की थी, इसीलिए वह भाजपा सरकार में हिस्सेदार बने और अब सदस्य बनने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं।

तो रमाकांत भार्गव अब बुधनी विधानसभा से विधायक बनकर संसद के बाद विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार हैं। शिवराज सिंह चौहान अब भार्गव को जिताने बुधनी विधानसभा की गलियों में नजर आएंगे। कार्तिकेय नहीं तो रमाकांत भार्गव ही सही…शिवराज के मन में यही सोचा होगा और बुधनी रमाकांत भार्गव के हवाले कर वह निश्चिंत हो सकेंगे…।