Fraud : सरकारी जमीन खरीदी मामले में लश्करी दम्पति पर केस दर्ज!

मामला रामद्वारा सम्पत्ति विवाद!

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Fraud : सरकारी जमीन खरीदी मामले में लश्करी दम्पति पर केस दर्ज!

Ratlam : शहर की स्टेशन रोड़ थाना पुलिस ने लश्करी दम्पति पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया हैं। इस मामले में तहसीलदार ऋषभ ठाकुर ने आवेदन दिया था। स्टेशन रोड़ पुलिस ने तहसीलदार ऋषभ ठाकुर द्वारा 3 अक्टूबर 2024 को दिए गए आवेदन की जांच के बाद धनश्याम और दुर्गा लश्करी निवासी हाथीखाना के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया हैं। आवेदन में बताया गया है कि पुरोहित जी का वास स्थित भगवान रामचन्द्र जी का मंदिर हैं जो सरकारी मंदिर हैं। जिसके व्यवस्थापक कलेक्टर हैं।

रामस्नेही संप्रदाय के बडा रामद्वारा के 1 हिस्से को लेकर चल रहें विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फरियादी घनश्याम लश्करी को सम्पत्ति का कब्जा दिए जाने का हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया हैं कि जमानत स्वीकार करने के लिए इस तरह की शर्तें नहीं लगाई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा उक्त विवादित सम्पत्ति का कब्जा लिए जाने पर पुलिस को फटकार भी लगाई।

मंदिर सर्वे क्रमांक 390, रकबा 2.010 हेक्टेयर हैं, इसका भूमिस्वामी नजूल मध्य प्रदेश शासन हैं। पटवारी ने निरीक्षण में पाया की मंदिर की स्थापना 1845-46 में की गई थी। तब से इस मंदिर एवं परिसर की भूमि की देखभाल रामस्नेही पंथ द्वारा की जाती रही हैं। इस परिसर के आगे का भाग 258.34 वर्ग मीटर हैं। मंदिर के आगे का हिस्सा 26 जुलाई 2011 को दुर्गा लश्करी व उनके पति धनश्याम लश्करी द्वारा खरीद लिया गया था। बता दें कि धनश्याम लश्करी रामस्नेही संप्रदाय से पिछले कई सालों से जुड़े होकर श्री आत्मकल्याण रामविलास ट्रस्ट के सचिव रहें हैं। सचिव रहते हुए उन्हें पता था कि खरीदी गई जमीन सरकारी हैं। इसके बाद भी उन्होंने यह जमीन खरीदकर धोखाधड़ी की हैं पुलिस मामले की जांच कर रही हैं।

*जानिए क्या हैं पूरा मामला?* 

उल्लेखनीय है कि विगत 22 अप्रैल 2024 अभिभाषक घनश्याम लश्करी ने स्टेशनरोड पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि रामद्वारा में रहने वाले कुछ संतों ने जबरन उनके मकान पर कब्जा कर लिया हैं और घनश्याम लश्करी और उनके परिजनों के साथ मारपीट भी की। घनश्याम लश्करी की रिपोर्ट पर पुलिस ने रामद्वारे के कुछ संतों के विरुद्ध मारपीट और अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया था। इस मामले में आरोपी बनाए गए 2 संतों को पुलिस ने घटना के 5 दिन बाद 27 अप्रैल को गिरफ्तार किया था।

संतों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस मामले में भादवि. की धारा 326 को भी बढ़ा दिया था। धारा 326 गंभीर चोट पहुंचाने की धारा है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती हैं। इसी धारा के चलते संतों द्वारा जिला न्यायालय में प्रस्तुत जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद रामस्नेही संप्रदाय के सतों ने इन्दौर उच्च न्यायालय में जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया था। जिस पर 25 जुलाई 2024 को उच्च न्यायालय ने सशर्त जमानत स्वीकार की थी।