कीटनाशकों का छिड़काव जरूरी भी है और मजबूरी भी है…

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Nitin Gadkari's Statement on Electoral Bonds

कीटनाशकों का छिड़काव जरूरी भी है और मजबूरी भी है…

यह बात अब सभी स्वीकारते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में ‘नितिन गडकरी’ जैसा कोई दूसरा नेता नहीं है। बड़ी साफगोई से कड़वी से कड़वी बात कहने की हिम्मत अगर किसी में है, तो वह नितिन गडकरी में है। एक कहावत है “गले तक पानी आना”। इसका मतलब होता है कि डूब जाने की हालत करीब होना। तो नितिन गडकरी को जब-जब पार्टी में कुछ ऐसा लगता है कि गले तक पानी आ रहा है, तब वह अपनी पार्टी को भी खुलकर चेताने में कोई कोताही नहीं बरतते। नितिन गडकरी का एक नया बयान आया है और हर जुबान पर छाया है। उन्होंने अन्य दलों से आने वाले नेताओं को पार्टी के कामकाज और विचारधारा से अवगत कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं को प्रशिक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे खुलकर कहा कि पार्टी का लगातार विस्तार हो रहा है। भाजपा के पास बहुत फसलें हैं, जो अच्छी पैदावार देती हैं। मगर कुछ फसलें बीमारी लाती हैं। उन्होंने इन बीमार फसलों से निपटने की खातिर कीटनाशक के छिड़काव की सलाह दी।उन्होंने कहा कि भाजपा की फसल तेजी से बढ़ रही है। जब फसल बढ़ती है तो बीमारियां भी आती हैं। पार्टी में कुछ फसलें अच्छी पैदावार देती हैं। मगर कुछ अपने साथ बीमारियां लाती हैं। इन बीमार फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करना होगा।
दरअसल गडकरी का संकेत आयातित नेताओं की तरफ है, तो पार्टी के भीतर के उन नेताओं पर भी है जो पार्टी को डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव से दस दिन पहले गडकरी की यह कड़वी दवा, हो सकता है कि भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को गले में आई खरास मौसम जनित सर्दी-खांसी से राहत दिलाए। पर गडकरी की बात आयातितों को सीने में खंजर घोंपे जाने जैसी जरूर लग रही होगी। गडकरी का सच चुनावी लाभ-हानि की परवाह वैसे भी नहीं करता है। इसीलिए गडकरी ने समाधानपरक सुझाव देने के साथ हकीकत भी बयां की है। नितिन गडकरी ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। अन्य दलों से लोग अलग-अलग कारणों से पार्टी में आ रहे हैं। उन्हें पार्टी की विचारधारा और संस्कृति से अवगत कराना होगा। उन्होंने कहा कि एक हजार कार्यकर्ता खड़े होते हैं। मगर कभी एक कार्यकर्ता कुछ ऐसा कह देता है, जिससे सभी की मेहनत पर पानी फिर जाता है।
खैर नितिन गडकरी बेखौफ होकर अपने मन की बात कहने में कोई समझौता नहीं करते। हमने कोशिश की, कि ‘नितिन’ नाम का मतलब क्या होता है। तो पता चला कि नितिन एक संस्कृत नाम है जिसके कई सकारात्मक अर्थ होते हैं। इसका अर्थ होता है ‘कानून का स्वामी’, ‘कानून में पारंगत व्यक्ति’, ‘सही मार्ग का अनुसरण करने वाला’, ‘सही मार्ग का स्वामी’, ‘नैतिकता का स्वामी’, ‘सिद्धांत’ और ‘न्यायाधीश’। नितिन नाम, ‘नीता’ (कानून) और ‘ईश’ (भगवान) शब्दों से मिलकर बना है। यह नाम बुद्धि, ज्ञान, और न्याय का सुझाव देता है। साथ ही, यह सही मार्ग पर चलने और नैतिक काम करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। तो वर्धा की एक रैली में गडकरी ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने देश की सबसे पुरानी पार्टी पर ग्रामीण भारत की उपेक्षा का आरोप लगाया। गडकरी ने कहा कि अगर कांग्रेस ग्रामीण भारत के विकास को प्राथमिकता देती तो आज किसानों को खुदकुशी नहीं करनी पड़ती। गांवों में गरीबी कम होती।
गडकरी ने कहा कि भाजपा न पीएम मोदी और न ही मेरी पार्टी है। यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है। कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन समाप्त कर दिया। गडकरी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अपनी सरकार में संविधान संशोधन किया है। मगर अब आरोप भाजपा पर लगा रही है। गडकरी ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए।
तो समझ लें कि 10 दिन बाद यानी 20 नवंबर को महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। 23 नवंबर को यह पता लग जाएगा कि प्रदेश की सत्ता पर कौन काबिज होगा? मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच है। पर तब तक के लिए मतदाताओं को गडकरी की चिंता पर चिंतन-मनन करने का पूरा समय मिल जाएगा। वैसे गडकरी की चिंता गैरवाजिब नहीं है। भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है, मोदी या गडकरी की नहीं। यह गडकरी ही कह सकते हैं, सो कह दिया। समर्पित कार्यकर्ताओं की सुध गडकरी ने लेकर वर्तमान हालत पर चिंता भी जताई है। वैसे भी बढ़ती भाजपा में बीमार फसल को सेहतमंद बनाने के लिए अब कीटनाशक छिड़कना जरूरी भी है और मजबूरी भी है…पर पार्टी में कीटनाशक छिड़कने की ताकत अब शायद किसी में नहीं है। गडकरी अपने नाम को चरितार्थ कर रहे हैं और करते रहेंगे…इसमें कोई संशय नहीं है।