Rajasthan Bypoll: राजस्थान में उपचुनाव के लिए थमा प्रचार, 7 सीटों के समीकरणों में भारी फेरबदल के संकेत
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों झुंझुनू, दौसा, टोंक जिले की देवली-उनियारा, नागौर जिले की खींवसर, डूंगरपुर जिले की चौरासी, सलूंबर और अलवर जिले की रामगढ़ पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर सोमवार को शाम 6 बजे थम गया है। प्रचार बंद होने के बाद अब प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर उन्हें लुभाने का प्रयास करेंगे। राजस्थान की इन सात सीटों उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
प्रचार के अंतिम दिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल सलूंबर और चौरासी में चुनाव प्रचार किया।रविवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी दौसा और देवली उनियारा में कांग्रेस के सघन प्रचार अभियान में भाग लिया था । राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर अब लगभग चुनावी परिदृश्य स्पष्ट दिखने लगा है। राजनीतिक विशेषज्ञ ग्राउंड रिपोर्टस, नेताओं की रैलियों में भीड़ और जातिगत समीकरण के आधार पर प्रदेश की सात सीटों पर कौन आगे है और कौन पीछे हैं, इसका अनुमान लगा रहे हैं। हालांकि असली परिणाम तो 23 नवंबर को ही पता चलेंगे।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुमानों के अनुसार अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर भाजपा के सुखवंत सिंह और कांग्रेस के आर्यन खान के बीच सीधी टक्कर है। यहां चुनाव प्रचार के तरीके और समीकरणों के हिसाब से कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है। इसके अलावा दिवंगत विधायक जुबैर खान के परिवार के प्रति सहानुभूति का फेक्टर भी कांग्रेस के के पक्ष में जाता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि हरियाणा से लगते इस अंचल में भाजपा हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का प्रयास कर बाजी पलटने का प्रयास कर रही है।
इसी प्रकार पूर्वी राजस्थान की सबसे चर्चित दौसा सीट पर भजनलाल मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के छोटे भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस के डीसी बैरवा के बीच कांटे का मुकाबला है लेकिन जातिगत समीकरणों को देखते हुए यहां भाजपा का पलड़ा मजबूत नजर आ रहा है। वहीं, सचिन पायलट की दो सभा होने के बाद यहां कांग्रेस के पक्ष में पासा पलट भी सकता है।
प्रदेश के शेखावाटी क्षेत्र की झुंझुनूं विधानसभा सीट पर दिग्गज कांग्रेस नेता शीश राम ओला की परम्परागत सीट को बचाने की जद्दोजहद है। यहां भाजपा के राजेंद्र भांबू, कांग्रेस के अमित ओला, निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र गुढ़ा के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला है। लेकिन, मुस्लिम मतदाता इस बार जीत में अहम भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं। क्योंकि राजेन्द्र गुढ़ा मुस्लिमों के बीच जोरदार प्रचार कर रहे हैं। अभी तक के प्रचार के तरीकों से भाजपा और कांग्रेस में कांटे का मुकाबला दिख रहा है लेकिन राजेन्द्र गुढ़ा कितने मुस्लिम और राजपूत वोट और अन्य जातियों के वोट लेकर जाते हैं, हार-जीत इस पर निर्भर होगी।
जाट लैंड नागौर की खींवसर सीट पर भाजपा के रेवंतराम डांगा, कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी और आर एल पी के सुप्रीमों सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला है। लेकिन असल मुकाबला भाजपा और आर एल पी के बीच ही नजर आ रहा है। अगर भाजपा में भीतरघात नहीं हुई तो रेवंतराम डांगा इस बार विधानसभा पहुंच सकते हैं। लेकिन यहां हनुमान बेनीवाल के लिए वजूद की लड़ाई है, इसलिए वे चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए हैं। इस बार भी यहां हार-जीत का अंतर कम ही रह सकता है।
टोंक जिले की देवली उनियारा सीट पर भाजपा के राजेंद्र गुर्जर, कांग्रेस के केसी मीणा, निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है लेकिन कांग्रेस के बागी नरेश मीणा की रैलियों में जुटती भीड़ जो इशारा कर रही है उसके अनुसार यहां वे कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। यहां उंट किस करवट बैठेगा ये तो 23 नवंबर को ही पता चल पाएगा।
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल सलूंबर की सीट पर भाजपा प्रत्याशी शांता देवी दिवंगत विधायक अमृत लाल मीणा की पत्नी है , कांग्रेस ने रेशमा मीणा और भारतीय आदिवासी पार्टी बाप ने यहां जीतेश कटारा को अपना उम्मीदवार बनाया है जिससे तीनों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां दिवंगत विधायक अमृत लाल मीणा के परिवार के प्रति सहानुभूति फेक्टर बीजेपी के पक्ष में जाता हुआ नजर आ रहा है। वैसे बाप के उम्मीदवार दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ने की कोशिश में है।
इसी अंचल की चौरासी सीट पर भाजपा के कारीलाल ननोमा, कांग्रेस के महेश रोत और बाप पार्टी के अनिल कटारा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। लेकिन असली टक्कर बाप और भाजपा के बीच ही बताई जा रही है। अभी तक की ग्राउंड रिपोर्टस के मुताबिक यहां बाप पार्टी का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
इस प्रकार राजस्थान की सात विधानसभा सीटों के समीकरणों को देखते हुए चुनाव परिणामों में भारी फेरबदल के संकेत मिल रहे है। चुनाव पूर्व इन विधान सभा सीटों में कांग्रेस के पास चार,आर एल पी ,बाप और भाजपा के पास एक एक सीट थी।
देखना है 13 नवंबर को होने वाले मतदान में उप चुनाव वाली विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता किस के भाग्य को ईवीएम में कैद करेंगे?