श्री द्वारकाधीश जी को समर्पित किए छप्पन भोग,हुई गोवर्धन पूजन,हजारों भक्तों ने किए दिव्य दर्शन,पाई भोजन प्रसादी
*इटारसी से संजय शिल्पी की रिपोर्ट*
इटारसी। प्रदेश और जिले में लाखों कृष्ण भक्तों की श्रद्धा,आस्था और विश्वास के केंद्र श्री द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पूजन और छप्पन भोग समर्पण का विराट,अनूठा,पारम्परिक आयोजन,हजारों भक्तों की साक्षी में संपन्न हुआ। ज्ञात रहे कि विगत करीब 25 सालों से यह अनूठी परम्परा चल रही है। जिसमें शरीक होने नर्मदापुरम के साथ ही संभाग के हरदा,बैतूल जिलों से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिवर्ष इटारसी आते हैं। क्योंकि मंदिर में विराजित प्रतिमा एक ही कसौटी पाषाण से निर्मित एक दिव्य स्वरूप है ,जिसके संबंध में प्रमाणित लोक कथाएं की चर्चा तो पूरे प्रदेश में होती ही रहती है,साथ ही जनचर्चाओं में आज भी यह बात आज के कुछ बुजुर्गों के मुख से कही सुनी जाती है कि इस मंदिर की स्थापना के समकालीन और उसके कुछ वर्षों बाद रहे बुजुर्ग पूर्व में बताया करते थे कि तब प्रतिमा किस तरह जागृत दिव्य स्वरूप में महसूस की जाती थी।
उनके अनुसार भाव पूजा इस स्वरूप की सर्वश्रेष्ठ सेवा मानी जाती थी। प्रतिमा के समक्ष नत मस्तक हो जब भक्त अपने मन की बात ठाकुर जी से करते थे तो उनको उनके सवालों,जिज्ञासाओं के जवाब भी उनके मन के भीतर ही मिलते महसूस होते थे और आज भी मिलते हैं। पूर्व में जो मंदिर साधारण रूप से बना था,आज मंदिर समिति के अथक प्रयासों से विराट स्वरूप ले चुका है। इस आयोजन विशेष के लिए करीब 100 से अधिक भक्तों की एक समिति एक सप्ताह की मेहनत से यह अनुपम आयोजन साकार करती है। समिति सदस्यों के द्वारा परिवार सहित स्वयं अपने हाथों से कोई न कोई सेवा दी जाती है। जिससे यह एक आत्मीय प्रसंग सहज ही बन जाता है।
दिव्य स्वरूप श्री द्वारकाधीश जी का विशेष श्रृंगार किया गया था। मंदिर को बाहर और भीतर से मनमोहक रूप से सजाया गया था। फूलों का विशेष श्रृंगार भी किया गया था। हजारों पुरुषों और महिलाओं की पृथक पृथक कतारें शाम 7 बजे से ही पूरे अनुशासन,श्रद्धा भक्ति भाव से,नाम स्मरण करते हुए कतार बद्ध हो गईं थीं। भोजन प्रसादी वितरण जैसे ही प्रारंभ हुआ,भक्तों को सिर्फ कुछ मिनट में ही पहले ठाकुर जी के दिव्य दर्शन और फिर भोजन प्रसादी बहुत सुगमता से प्राप्त हो रही थी। महिला भक्तों का विशेष सहयोग प्रसादी वितरण सहित अन्य व्यवस्थाओं में इस बार भी रहा।