मध्यप्रदेश में विधानसभा के तीन और लोकसभा का एक उपचुनाव होना है। चुनाव आयोग ने तैयारी तेज कर दी है। भाजपा कांग्रेस ने भी कमर कसना शुरू कर दिया है। दमोह विधानसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद भाजपा सन्निपात में हैं और कांग्रेस खुशी के रंग में इस कदर सराबोर है कि उसे जीत के सिवाए कोई रंग दिखाई नही दे रहा है। दूसरी तरफ हार से तिलमिलाई भाजपा अब आने वाले चुनावों में जीत से कम कुछ नही चाहती। इसलिए उसकी हरेक बैठक में पदाधिकारियों से चुनाव में जुट जाने के अलावा शायद किसी मुद्दे पर गम्भीरता से चर्चा होती होगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हाल ही एक बैठक में सब काम छोड़ चुनाव में सक्रिय होने का बिगुल बजा भी दिया है और खुद चुनाव पूर्व अभियान में लगने भी वाले हैं।
मुख्यमंत्री चौहान 15 सितम्बर के आसपास तीन विधानसभा क्षेत्र- रैगांव, निवाड़ी और जोबट के दौरे पर निकलने वाले हैं। जिसमे वे प्रशासन को सक्रिय करेंगे और जनता के साथ नेतागण व कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। नाराज नेताओं को मनाने के साथ जनता व कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात कर उनका दिल जीतने का प्रयास करेंगे। विधानसभा क्षेत्र की पुरानी मांगों को पूरा करने, पूर्व की घोषणाओं पर काम शुरू करने की कवायद की जाएगी। विकास के लिए सरकारी खजाने खोलें जाएंगे। यह सब करने के साथ सितम्बर के अंत तक मुख्यमंत्री फालोअप दौरे भी कर चुके होंगे।
भाजपा में प्रत्याशी चयन का मामला प्रदेश संगठन के हाथ में ही रहेगा। संगठन जिन नामों की सिफारिश केंद्रीय नेतृत्व से करेगा, आम तौर से वे ही उम्मीदवार घोषित हो जाएंगे। इसके बाद संगठन की परीक्षा का दौर शुरू हो जाएगा। दमोह उपचुनाव की हार के बाद संगठन चौकन्ना ज़रूर है लेकिन स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई तो विधानसभा कोई सी भी हो नतीजे दमोह की तरह आये तो हैरत नही होगी। पार्टी फिलहाल तो दमोह (दूध) की जली है इसलिए रैगांव, निवाड़ी और जोबट भी छांछ फूंक फूंक कर पीयेगी।
भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की तरफ से दमोह फार्मूले की दुहाई देते हुए कांग्रेस प्रदेश कम जिले स्तर के नेताओं को सक्रिय कर धीरे धीरे सक्रिय होगी। कहा जाता है जब से कांग्रेस कमलनाथ की हुई है डीजल इंजन की तरह आहिस्ता से गर्म होकर जाती दूर तक है और फिर देर तक चलती भी है। अब देखिए भला कांग्रेस ने कमलनाथ को देर में ही सही प्रदेश की कमान सौंपी लेकिन वापसी में वह बिल्कुल भी जल्दबाजी में नही है। पीसीसी से लेकर विधानसभा में तीरकमान अनुभवी कमलनाथ के पास ही है। पार्टी जन कितना भी हल्ला मचाएं वे प्रत्यक्ष मेल मुलाकात के बजाए कभी टिवटर तो कभी सोशल मीडिया पर सन्देश प्रसारित कर अपना क्रेज और उपयोगिता बनाए रखे हुए हैं। कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि यदि यह गलत होता तो दमोह उपचुनाव यूं ही कांग्रेस जीत जाती। वे कहते कांग्रेस की नेतृत्व के ठंडेपन और निष्क्रियता की आलोचना करने वालों से कहते हैं कि जैसे दमोह जीते हैं वैसे ही विधानसभा के तीनों और एक लोकसभा खण्डवा-बुरहानपुर का उपचुनाव भी जीत ही जाएंगे। कमलनाथ व दिग्विजय सिंह की जोड़ी को पता है कि कब कहां गियर बदलना है। पिछला विधानसभा चुनाव भी इसी जोड़ी ने लड़ाया और फिर कांग्रेस को सरकार में भी बैठाया। यह अलग बात है कि इसी जोड़ी के चलते कांग्रेस की सरकार भी चली गई। हालांकि कमलनाथ और उनके समर्थक पार्टी के दोबारा सरकार में आने की घोषणा करते रहते हैं। सत्ता वापसी के ऐलान के तौर पर 15 अगस्त को कमलनाथ द्वारा झंडा फहराने की बात गप्प साबित हो चुकी है।उपचुनाव जीतने के दावे तो कांग्रेस की तरफ से अभी भी पूरी ताकत से हो रहे हैं। देखते हैं उनके ऐलानों के तीर कब निशाने पर लगते हैं। अभी तो दमोह की जीत का दम पार्टी के बूढ़े नेताओं को भी दमदार बनाये हुए हैं।
ज़ुबान फिसली और…
प्रदेश पर भारी पड़े प्रभारी
मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी मुरलीधर राव के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। हाल यह है कि सोशल मीडिया पर फोकस करने वाले राव साहब ने चार-चार, पांच- पांच बार चुनाव जीतने वाले यदि यह कहते हैं कि उन्हें मौका नही मिला तो ऐसे नेता नालायक हैं। इस पर पार्टी के भीतर और बाहर भारी प्रतिक्रिया हुई है। बचाव में कहा जा रहा है कि वे अहिन्दी भाषी हैं और उनके कहे का जो अर्थ लगाया जा रहा है वैसा उनका भाव नही था। लेकिन संगठन की दृष्टि से मध्य प्रदेश की गिनती मज़बूत राज्य में होती है। यहां का कार्यकर्ता स्वाभिमानी भी है और संवेदनशील भी। पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राव की नसीहत पर कहा है की उन्ही से पूछिए वो ऐसा कह रहे हैं तो किस किस को लपेट रहे हैं…
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और होशंगाबाद के विधायक डॉक्टर सीता सरल शर्मा ने भी राव की नसीहत पर अप्रसन्नता जताई और इसे अपमानजनक बताया। पूर्व मंत्री रहे विधायक पारस जैन कहते हैं नालायक होते तो चुनाव कैसे जीतते, लायक हैं इसलिए तो चुनाव जीते हैं। भाजपा कार्यकर्ता राजकुमार खिलरानी ने श्री राव को जवाब दिया कि- “कौन लायक है या नालायक पता नही, पर भाजपा आपके शहर हैदराबाद में 2020 नगर निगम भी नही जीत पाई। पहले आप वहां भाजपा को स्ट्रांग कीजिए, फिर यहां पर टिप्पणी कीजिए”…
अभी यह सब रायता समेटा ही जा रहा था कि कांग्रेस ने श्री राव को लेकर एक पुराना मामला ट्वीट कर दिया जिसमें 2019 में एक केंद्रीय मंत्री के कथित तौर पर फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर दो करोड़ के लेनदेन का आरोप और उसपर एफआईआर दर्ज करने की बात कही थी। अब इस मुद्दे पर भाजपा की आईटी सेल नादानी कर गई और इस पर खामोशी की बजाए सफाई देने में जुट गई। नतीजा यह हुआ नादां की यह दोस्ती जंजाल बन गई और राव पर किए कांग्रेस के ट्वीट के जवाब में उसे कांग्रेस से ज़्यादा प्रचारित करने में जुट गई। भाजपा के दिग्गज नेता अब इस मामले को ठंडा करने में लगे हैं, लेकिन पार्टी और मुरलीधर राव को जो नुकसान होना था वो हो चुका…