Kissa-A-IAS :Arvind Chouhan – A Public Collector: काम करने की कुछ अलग सी शैली
यूपीएससी पास करने के बाद यदि उम्मीदवार का चयन IAS के लिए होता है, तो उसकी पहली इच्छा किसी जिले का कलेक्टर बनने की होती है। लेकिन, जिले का सबसे बड़ा अफसर बनने के बाद कुछ ही लोग होते हैं, जो अपनी छाप छोड़ते हैं। वे दफ्तर में बैठकर फाइल ही नहीं निपटाते, बल्कि फील्ड में आकर जनता से सीधे जुड़कर उनकी समस्याएं हल करते हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के 2015 बैच के IAS अरविंद चौहान को ऐसे ही अफसरों में गिना जाता है। अपनी अलग तरह की कार्यशैली से सबको चौंकाने वाले अरविंद चौहान कई ऐसे काम किए जो उन्हें सबसे अलग बनाते हैं।
अरविंद चौहान का करियर प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने प्रशासनिक सेवा में आने से पहले 9 साल तक भारतीय वायुसेना में सेवा दी, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और अनुशासन के स्तर में मजबूती आई। वायुसेना में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने देश की रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वायुसेना के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवा का रुख किया और 2015 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए। उनका ये बदलाव उनके दृढ़ निश्चय और देश सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। IAS बनने के बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया और विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए महत्वपूर्ण निर्णयों और योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया।
वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पदस्थ हैं। बताते हैं कि सदर सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए प्राइवेट संस्थानों में भेजे जाने की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने खुद मामले की पड़ताल करने का फैसला लिया। इसके बाद बिना किसी को सूचित किए आम आदमी की तरह बाइक पर सवार होकर और चेहरे पर मास्क लगाकर कलेक्ट्रेट से सीधे सदर सीएचसी पहुंच गए। वहां पहुंचने उन्होंने पंजीकरण काउंटर पर मरीज की तरह लाइन में खड़े होकर अपनी एंट्री दर्ज करवाई। फिर सीधे कमरा नंबर दो में पहुंचे, जहां दो महिला डॉक्टर उपस्थित थीं। आम आदमी की तरह अरविंद चौहान ने डॉक्टरों से बात करते हुए बताया कि उनकी एक महिला मरीज को पेट दर्द की शिकायत है, उनके इलाज के लिए सलाह चाहिए। बातचीत के दौरान उन्होंने बाहरी संस्थानों में अल्ट्रासाउंड करवाने से जुड़ी शिकायतों की पुष्टि करने के लिए तीन मरीजों की पर्चियां भी चुपके से जांची। यह देखते ही उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने तुरंत अपना परिचय देते हुए महिला डॉक्टरों को फटकार लगाई। इसके अलावा डीएम ने निरीक्षण के बाद एक मरीज की गाड़ी में बैठकर सीएचसी से चले गए। उनकी इस कार्यशैली ने न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में हलचल मचाई, बल्कि जनता के बीच भी उनकी तारीफ हुई। शामली की जनता ने डीएम के इस कदम को ईमानदारी और जिम्मेदारी की मिसाल बताया।
IAS अरविंद चौहान बलिया जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने साल 2015 में यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा को पास करके आईएएस बन गए। उन्हें यूपी कैडर अलॉट किया गया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग आजमगढ़ में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर हुई। इसके बाद मिर्जापुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर रहे। बाद में बहराइच के चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर बने। आईएएस अरविंद चौहान सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट, लखनऊ में स्पेशल सेक्रेटरी के पद पर भी रहे।
अरविंद चौहान की पोस्टिंग जब उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सेक्रेटरी के पद पर हुई। बाद में प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन और प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी मेला अधिकारी भी रहे। यहां उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।