Ignoring Wood Mafia : इंदौर में लकड़ी माफिया को फारेस्ट के नाकों से शह, तैनात अधिकारी रास्ता दे रहे!

बरसों से जमे अधिकारी जंगल कटाई करने वालों को शह दे रहे, सरकार को करोड़ों का नुकसान!

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Ignoring Wood Mafia

Ignoring Wood Mafia : इंदौर में लकड़ी माफिया को फारेस्ट के नाकों से शह, तैनात अधिकारी रास्ता दे रहे!

इंदौर से वरिष्ठ पत्रकार गोविंद राठौर की रिपोर्ट

Indore : इंदौर और उसके आसपास के इलाकों में अवैध लकड़ी की बड़ी खेप लगातार पहुंच रही, जो वन संरक्षण के लिए गंभीर खतरा बन रही है। राज्य सरकार और वन विभाग ने इसे रोकने के लिए प्रयास भी किए, लेकिन फॉरेस्ट नाकों की मिलीभगत के चलते अवैध लकड़ी के कारोबार पर कार्रवाई नहीं हो पा रही।

इंदौर में चार साल से एक वरिष्ठ अधिकारी जमे हैं। इन्हीं के मार्गदर्शन में हरे भरे पेड़ो की कटाई हो रही है, जिसे इंदौर और इंदौर के आसपास अवैध रूप से पहुंचाया जा रहा। मुख्य रूप से इसमें रिटायर्ड वनपाल आज भी लकड़ी मंडी में दलालों के साथ मिलकर और अधिकारियों से साठगांठ कर अवैध कारोबार संचालित करने वालों को संरक्षण दे रहा है।

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मंडी में टीपी का खेल 

मंडी में टीपी का खेल भी चल रहा है। वन विभाग के एक अधिकारी डिप्टी रेंजर अनीता भंडोले ने बताया कि लकड़ी मंडी की हम रोज जांच करते हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि यहां कोई जांच होती ही नहीं है। प्रदेश में अनेक जिलों से टीपी (अनुज्ञा पत्र) से लकड़ी का परिवहन होता है। लेकिन, प्रदेश में हर जिले में चौकी और नाके होने के बावजूद भी टीपी की कही जांच नहीं होती है। अक्सर यह देखने में आया है कि टीपी कागज पर हैमर अंकित किया जाता है। लेकिन, लकड़ियों पर हैमर नहीं पाया जाता। ऐसा मामला इंदौर की जीएनटी मंडी में आए दिन देखने को मिलता है।

वन विभाग की जांच, फिर भी तस्करी जारी

वन विभाग की टीमें लकड़ी मंडी और विभिन्न चौकियों पर जांच कर रही हैं। इसके बावजूद इंदौर और उसके आसपास के जिलों से भारी मात्रा में अवैध लकड़ी पहुंच रही है। माना जा रहा है कि लकड़ी तस्करी के इस धंधे में कई चौकियों पर तैनात अधिकारियों की मिलीभगत है, जो इन तस्करों को रोकने में नाकाम साबित हो रही।

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इन नाकों से पहुंच रही अवैध लकड़ी

प्रदेश के विभिन्न जिलों से अवैध लकड़ी इंदौर और आसपास के इलाकों में आ रही है। इनमें प्रमुख मार्ग और नाके शामिल हैं।

उज्जैन संभाग के देवास जिले के डबल चौकी, खातेगांव, कन्नौद, और सोनकच्छ नाके।

शाजापुर, सारंगपुर, मक्सी,और राजगढ़ नाके। रतलाम, मंदसौर, नीमच, तराना और बड़नगर नाके।

इंदौर संभाग के नाको में धार, सरदारपुर, मनावर, कुक्षी, और धामनोद। बड़वाह, खंडवा, बुरहानपुर, काटकूट और सनावद नाके।

सिमरोल (तलाई नाका), देवगुराडिया, देवास नाका, और धार रोड नाका।

इन नाकों से लगातार लकड़ी के वाहन गुजरते हैं, लेकिन इन्हें रोकने में जिम्मेदार विभाग विफल साबित हुआ है।

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इंदौर में तीन प्रमुख नाके, लेकिन कार्रवाई शून्य

इंदौर में तीन प्रमुख नाके हैं, लेकिन अब तक यहां से किसी भी अवैध लकड़ी से भरे वाहन को पकड़ने की खबर नहीं आई। ये नाके हैं देवास नाका, धार रोड नाका और सिमरोल तलाई नाका। इन नाकों पर वन विभाग के अधिकारी और बल तैनात हैं, लेकिन उनके द्वारा अवैध लकड़ी के वाहनों की धरपकड़ नहीं की जा रही है। यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि इन अधिकारियों और तस्करों के बीच सांठगांठ हो सकती है।

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अवैध कारोबार से करोड़ों का नुकसान

अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई से जंगल सिमट रहे हैं, जो पर्यावरण और जैव विविधता के लिए खतरनाक है। इससे सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। लकड़ी की तस्करी के कारण लकड़ी व्यापार से मिलने वाला टैक्स और शुल्क सरकार तक नहीं पहुंच पा रहा। जंगलों पर निर्भर समुदायों के जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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विशेषज्ञों के अनुसार, अवैध लकड़ी तस्करी पर रोक लगाने में असफलता के पीछे कई कारण हैं। इनमें अधिकारियों की मिलीभगत प्रमुख है। कई फारेस्ट नाकों पर तैनात अधिकारी तस्करों से ‘शुभ लाभ’ लेकर उन्हें रास्ता देते हैं। प्रभावी निगरानी कर अभाव की वजह से भी तस्करी बढ़ी है। सीसीटीवी और अन्य तकनीकी निगरानी साधनों का अभाव भी तस्करी को बढ़ावा दे रहा है। अवैध लकड़ी तस्करी रोकने के लिए सख्त कानूनों और कार्रवाई की जरूरत है।

आवश्यक कदम जो उठाए जाने चाहिए

जानकारों का कहना है कि वन संरक्षण और अवैध लकड़ी तस्करी पर रोक लगाने के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। इनमें प्रमुख है सख्त निगरानी व्यवस्था जिसके तहत सभी नाकों पर सीसीटीवी कैमरे और नियमित जांच दलों की तैनाती होना चाहिए। वाहनों की ट्रैकिंग के लिए जीपीएस और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। नाकों पर तैनात अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए और उनकी नियमित जांच हो। साथ ही सख्त दंड का प्रावधान हो अभी नहीं है। तस्करों और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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