‘मोहन का एक साल…’

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति और खुले में मांस की बिक्री पर रोक की सोच बढिया है...

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‘मोहन का एक साल…’

कौशल किशोर चतुर्वेदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामय उपस्थिति में डॉ. यादव ने 13 दिसंबर 2023 को भोपाल में प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। 13 दिसंबर 2024 को डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने एक साल पूरे हो जाएंगे। ऐसे में उनके बारह महीनों पर एक नजर डालकर उन फैसलों का विश्लेषण कर रहे हैं, जिनसे डॉ. मोहन यादव की विशेष छवि बन रही है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रभार ग्रहण करने के बाद पहली नस्ती पर हस्ताक्षर कर ध्वनि प्रदूषण की जाँच के लिये सभी जिलों में उड़नदस्ते गठित करने का फैसला किया था। इसमें धार्मिक स्थल अथवा अन्य स्थान में निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों यानि लाउड स्पीकर/डीजे का उपयोग की बात थी। यह 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद डॉ. मोहन यादव द्वारा हस्ताक्षरित पहली नस्ती थी, जिसने मोहन की विशेष छवि बनाई है। तो 13 दिसंबर 2023 को ही खुले में मांस एवं मछली के विक्रय पर रोक लगाने का दूसरा फैसला डॉ. मोहन यादव ने लिया था। इसके तहत नगरीय क्षेत्रों में 15 दिसम्बर से विशेष जाँच अभियान चलाने का आदेश दिया था।

इन दोनों ही फैसलों में ‘एक बेहतर मध्यप्रदेश’ और डॉ. मोहन यादव की सीएम बतौर एक विशेष छवि की झलक सभी ने देखी थी। हालांकि दोनों ही फैसलों को इस नजर से भी देखा गया था कि यह एक संप्रदाय विरोधी हैं। पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग सभी धर्म के धार्मिक स्थलों पर होता है। तो मांस की खुले में बिक्री में भी सभी धर्म के लोग शामिल हैं। और जब इन फैसलों पर अमल हुआ, तब लोगों में फील गुड का भाव देखा गया था। पर यह सख्ती लगातार देखने को नहीं मिली, जिसका लोगों को इंतजार है। राज्य शासन के किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल अथवा अन्य स्थान में निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउड स्पीकर/डीजे) आदि का उपयोग करने के निर्णय पर सख्ती से अमल होना चाहिए। सभी जिलों में उड़नदस्ते गठित हों और उनकी कार्यवाही भी सबको नजर आनी चाहिए। यहां तक कि शादियों या अन्य कार्यक्रमों में भी इस फैसले का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंत्रालय में प्रभार ग्रहण करने के बाद हस्ताक्षर की गई प्रथम नस्ती बहुत ही अच्छी थी। मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थल और अन्य स्थानों पर मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के प्रावधानों तथा सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुक्रम में राज्य शासन का यह निर्णय काबिले तारीफ था। इसके तहत लाउडस्पीकर एवं अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के नियम विरूद्ध तेज आवाज में बिना अनुमति के उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। पर फैसले के अनुरूप ध्वनि प्रदूषण तथा लाउड स्पीकर आदि के अवैधानिक उपयोग की जाँच के लिये सभी जिलों में उड़नदस्ते नियमित और आकस्मिक रूप से धार्मिक और सार्वजनिक स्थानों जहाँ ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग होता है, का निरीक्षण करते नजर नहीं आ रहे हैं। उड़नदस्तों में जिला प्रशासन द्वारा नामित अधिकारी, संबंधित थाने का प्रभारी तथा मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नामित अधिकारी सदस्य रहना था। जिले के समस्त उड़नदस्तों का नोडल अधिकारी जिला कलेक्टर द्वारा नामित एक अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी स्तर का अधिकारी होना था। इस संबंध में गृह विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये थे। पर फिलहाल एक साल में इस फैसले पर ज्यादा सख्ती से पालन की उम्मीद सभी को है।

तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को ही कहा था कि प्रदेश में खुले में बिना अनुमति मांस तथा मछली का विक्रय प्रतिबंधित किया जायेगा। इसके संबंध में 15 दिसम्बर से सभी नगरीय निकायों में मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम-1956 के प्रावधानों के तहत विशेष अभियान चलाया जाना था।प्रदेश के विभिन्न शहरों में सामान्यत: किसी भी प्रकार के व्यवसाय, दुकान, बाजार या रेहड़ी आदि लगाने के लिये नगरीय निकायों द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम-1956 एवं अन्य सुसंगत अधिनियमों के अंतर्गत अनुज्ञा,अनुमति, अनापत्ति प्रदान की जाती हैं। विशेष रूप से किसी भी प्रकार के मांस एवं मछली के विक्रय के लिये नगरीय विकास विभाग के अधिनियमों के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 के प्रावधान लागू होते हैं। इसके अंतर्गत जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा मांस एवं मछली के विक्रय के संबंध में अतिरिक्त शर्तें लगाई जाती हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत मांस एवं मछली के विक्रय के समस्त प्रतिष्ठानों में अपारदर्शी कांच/दरवाजा एवं साफ-सफाई की सम्पूर्ण व्यवस्था होना अनिवार्य है। इसके साथ ही किसी भी धार्मिक स्थल के मुख्य द्वार के सामने 100 मीटर की दूरी के भीतर उक्त सामग्री का विक्रय या प्रदर्शन प्रतिबंधित है। सभी जिला कलेक्टर्स, नगरीय निकायों के आयुक्तों और मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को अधिनियमों/नियमों एवं लायसेंस की शर्तों का पालन कड़ाई से कराने के निर्देश दिये गये थे। सभी निकाय क्षेत्रों में 15 दिवस तक अतिक्रमण निरोधी दस्ते तथा स्वास्थ्य अमले के अतिरिक्त जिला एवं पुलिस प्रशासन को विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था। यह अभियान 15 दिसम्बर से प्रारंभ होकर 31 दिसम्बर तक चलना था और चला भी था। अभियान की राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग करने के निर्देश भी थे। शुरुआत में मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप हुई सख्त कार्यवाही ने सबका दिल जीता था। और इस मामले में उतनी ही सख्त कार्यवाही की अपेक्षा अब भी समूचे मध्य प्रदेश को है।

तो अलग सोच के साथ सत्ता के संग चल रहे डॉ. मोहन यादव के यह दो फैसले उनकी एक विशेष छवि बना रहे हैं। इनका प्रभावी क्रियान्वयन मध्यप्रदेश के हर नागरिक में अनुशासन लाने में सक्षम है। और अनुशासन की यह डोर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच से समूचे मध्यप्रदेश को बांधने में सक्षम है।ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति और खुले में मांस की बिक्री पर रोक की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच वाकई बढिया है…।