One Nation-One Election : मोदी कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का रास्ता साफ किया! 

अब संसद में पेश किए जाने संभावना, आम सहमति के भी प्रयास होंगे! 

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One Nation-One Election : मोदी कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का रास्ता साफ किया! 

New Delhi : लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने का रास्ता अब साफ होने लगा। मोदी कैबिनेट ने इस बिल को आज मंजूरी दे दी। अब इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। इससे पहले कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की इस मामले पर बनाई रिपोर्ट को मंजूरी दी थी।

मोदी सरकार अगले हफ्ते इस बिल को संसद में पेश कर सकती है। मोदी कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दे दी है और वो बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है। बिल पर व्यापक चर्चा के लिए सरकार इसे संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ होंगे। इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव साथ कराए जाएंगे।

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बिल पास हुआ तो 2029 तक एक साथ चुनाव 

रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रिपोर्ट सौंप चुके ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। इस पैनल ने स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च के बाद 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन 

फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। लेकिन, 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। इसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।