Raj Kapoor’s Birth Centenary : उन नीली आंखों का जादू आज भी बरक़रार! 

किस्सों से भरे जीवन में कई अनोखी बातें आज भी चर्चा में! 

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Raj Kapoor’s Birth Centenary : उन नीली आंखों का जादू आज भी बरक़रार! 

– एकता शर्मा 

राज कपूर आज इस दुनिया में नहीं है। आज फिल्म इंडस्ट्री और परिवार उनकी सौंवी जयंती मना रहा है। उन्होंने अपने जीवन काल में फिल्म निर्माण और अदाकारी के मामले में जो विरासत खड़ी की, वो कभी धूमिल नहीं हो सकती। अभिनय और कैमरे की नजर से कहानी को पिरोकर फिल्म निर्माण करने वाले राज कपूर ने सिनेमा को कई सुपरहिट और सदाबहार फ़िल्में दी। राज कपूर की काबिलियत सिर्फ इतनी ही सीमित नहीं है। वे जब कोई फिल्म बनाते थे, तो उन्हें अहसास होता था कि कौन सा गाना या डायलॉग आइकॉनिक होगा।

फिल्मों पर अच्छी पकड़ ने उन्हें बॉलीवुड का शोमैन बना दिया। 14 दिसंबर 2024 को राज कपूर की 100वीं जयंती है। इस खास मौके पर आरके फिल्म, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ने राज कपूर की याद में एक फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया। 13 दिसंबर से राज कपूर का फिल्म फेस्टिवल शुरू हो गया जो 15 दिसंबर तक चलेगा। राज कपूर की जयंती का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है।

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40 शहरों के 135 सिनेमाघरों में राज कपूर की बेहतरीन फिल्मों को एक बार फिर दिखाया जा रहा है। ‘राज कपूर 100 : सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ द ग्रेटेस्ट शोमैन’ नाम का यह उत्सव 13 दिसंबर को शुरू होगा और 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान राज कपूर की फिल्मों की स्क्रीनिंग पीवीआर-आईनॉक्स और सिनेपोलिस सिनेमाघरों में आग, बरसात, आवारा, श्री 420, जागते रहो, जिस देश में गंगा बहती है, संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी और ‘राम तेरी गंगा मैली’ का प्रदर्शन किया गया।

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सफ़ेद रंग उनकी पहली पसंद 

कहा जाता है कि राज कपूर ने उस जमाने में सिनेमा की परिभाषा ही बदलकर सिनेमा को ऊंचाई पर पहुंचाया। आज भी लोग उनकी फिल्मों को याद करते हैं और गाने सुनते हैं। राज कपूर को लेकर एक किस्सा ये भी है कि उनको सफेद रंग से बड़ा प्यार था। वे अपनी फिल्मों में हीरोइन को सफेद साड़ी जरूर पहनाते थे। इसके अलावा उनकी पत्नी कृष्णा राज कपूर भी ज्यादातर सफेद साड़ियां ही पहनती थीं। कहा जाता है कि सफेद रंग को राज कपूर अपने लिए लकी मानते थे।

गानों का किन्नरों से बड़ा कनेक्शन

राज कपूर की फिल्मों के गानों का किन्नरों से बड़ा कनेक्शन रहा है। कहते हैं कि राज कपूर अपनी फिल्म में रखे जाने वाले गाने को किन्नरों को जरूर सुनाते थे और उनसे मशविरा लेते थे। राज कपूर की पार्टियां बहुत मशहूर हुआ करती थीं। होने वाली होली पार्टी में किन्नरों को जरूर बुलावा भेजा जाता। राज कपूर उनके साथ नाचते-गाते थे और सेलिब्रेट करते थे। साथ ही साथ वो किन्नरों से काम के सिलसिले में भी बातें करते थे। कहते हैं कि राज कपूर होली पार्टी में आने वाले किन्नरों को फिल्म का गाना सुनाते। जब किन्नर उसपर हामी भरकर मुहर लगा देते, तभी उसे फिल्म में रखा जाता था, नहीं तो रिजेक्ट कर दिया जाता था।

कहा जाता है कि फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के गाने राज कपूर ने किन्नरों को सुनाए थे। उन्होंने जब हां कहा तब जाकर गाने फिल्म में रखे गए थे। वहीं एक गाने को किन्नरों ने रिजेक्ट कर दिया था, जिसे राज कपूर ने बिना सोचे-समझे तुरंत हटा दिया। उस गाने को हटाने के बाद राज कपूर ने रवीन्द्र जैन से दूसरा गाना लिखने के लिए कहा। तब उन्होंने ‘सुन साहिबा सुन’ लिखा था. जिसे किन्नरों ने पास कर दिया और ये गाना आज भी सुना जाता है।