जयपुर में गूंजा “सुजलाम्-सुफलाम्” और दिल्ली में “ज्ञानवान-संस्कारवान” …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मंगलवार 17 दिसंबर 2024 को मोदी सरकार की दो उपलब्धियों की देश भर में चर्चा रही। पिंक-सिटी जयपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रीगण डॉ. मोहन यादव और भजनलाल की उपस्थिति में पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना का एग्रीमेंट होने पर गुलाबी-गुलाबी हो गई। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों को “सुजलाम्-सुफलाम्” बनाएगी। ‘सुजलाम-सुफलाम’ का अर्थ है, ‘पानी से भरी हुई’ और ‘फलों से भरी हुई’। यह ‘वंदे मातरम’ गीत की एक पंक्ति है। इस गीत का पूरा अर्थ है कि हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। माँ तुम पानी से भरी हुई हो, फलों से भरी हुई हो। जयपुर में आयोजन पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय केंद्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान के अनुबंध का था। तो दिल्ली में मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने वरदान बताया। और बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश लाभान्वित हुआ है। नई शिक्षा नीति सिर्फ ‘ज्ञानवान’ ही नहीं ‘संस्कारवान’ भी बनाती है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए 17 दिसंबर 2024 का दिन वास्तव में ऐतिहासिक रहा। जयपुर में मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच जो अनुबंध सहमति पत्र (एमओए) हस्ताक्षरित हुआ है, वह सामान्य सहमति पत्र नहीं है, यह आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार तथा जनता सभी बधाई के पात्र हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह आशा व्यक्त की। भरोसा दिलाया कि परियोजना पर बिना रुके काम आगे बढ़ता रहेगा और समय से पहले परियोजना पूरी होगी। जयपुर में राजस्थान सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने एवं पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय अनुबंध कार्यक्रम के चलते यह दिन खास बन गया। मोदी ने कहा कि हमारी सरकार विवाद नहीं- संवाद की, विरोध नहीं- सहयोग की नीति पर कार्य करती है। इसी का परिणाम है कि पार्वती- कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। परियोजना के अंतर्गत चंबल व उसकी सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध और चम्बल को आपस में जोड़ा जाएगा। इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान में विकास के नए द्वार खुलेंगे। तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से यह परियोजना 20 वर्षों के लम्बे इतंजार के बाद मूर्त रूप ले रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक युग के भागीरथ की तरह उन्होंने राजस्थान और मध्यप्रदेश को इस परियोजना के माध्यम से विकास की अदभुत सौगात दी है। मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के लिए यह एक अद्वितीय परियोजना है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस परियोजना के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रूपये व्यय करेगा। केन्द्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित रहेगा। परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किये जाएंगे। परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर सहित आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर इत्यादि संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। परियोजना से प्रदेश के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा।लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
तो दिल्ली में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने शिक्षा का ‘वामपंथीकरण’, ‘तुष्टीकरण’ किया था। और मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति से इसका ‘भारतीयकरण’ किया। नई शिक्षा नीति ‘संस्कार’ और ‘संस्कृति’ से परिपूर्ण है। कमजोर वर्ग और नारी शक्ति के लिए नई शिक्षा नीति ‘वरदान’ बन गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश लाभान्वित हुआ है।
नई शिक्षा नीति सिर्फ ‘ज्ञानवान’ ही नहीं ‘संस्कारवान’ भी बनाती है। नई शिक्षा नीति से भारतीय स्कूली शिक्षा के मानक अब अंतर्राष्ट्रीय स्तरों की ओर अग्रसर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 में जिस नई शिक्षा नीति को लागू किया है, उसका उद्देश्य भारत को एक ज्ञान आधारित समाज बनाना है। इस नीति के माध्यम से शिक्षा सर्वसुलभ और सर्वसमावेशी हुई है, जो कि व्यक्ति के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। देश की शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। हम लोग भी यह मांग करते थे कि देश में चल रही मैकाले की शिक्षा नीति को बदला जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिशा में कदम उठाते हुए देश को नई शिक्षा नीति दी और बदलाव की दशकों पुरानी प्रतीक्षा का अंत हुआ। व्यवहारिक तौर पर इस नीति को लागू किए जाने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव तो आए ही हैं, यह शिक्षा को सर्वसमावेशी, सर्वसुलभ और वैश्विक प्रतीस्पर्धी बनाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करती है। इस नीति का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे बदलाव करना था, जो छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा दे और देश में शिक्षा के स्तर को सुधार सके। इसका लक्ष्य शिक्षा के तंत्र को सुधारना और उसे आम भारतीय के अनुरूप बनाना है।
तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जयपुर में आधुनिक युग के भागीरथ की संज्ञा दी। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने दिल्ली में मोदी को मैकाले की शिक्षा नीति का संहारक बताया। देखा जाए तो मंगलवार को मध्यप्रदेश से बाहर मोहन-विष्णु ने माहौल मोदीमय बना दिया। जयपुर में ‘सुजलाम-सुफलाम’ की गूंज रही तो दिल्ली में ‘ज्ञानवान-संस्कारवान’ गुंजा
यमान हुआ…।