Kissa-A-IAS : Anurag Kumar: प्री – बोर्ड और ग्रेजुएशन में पहली बार में फेल लेकिन UPSC 2 बार क्लियर की!
बच्चा आगे किस ऊंचाई पर पहुंचेगा, इसका पता उसके स्कूल और कॉलेज की पढाई और रिजल्ट से पता चल जाता है। परिवार वाले भी इससे अंदाजा लगा लेते हैं कि उससे कितनी उम्मीद की जाए। लेकिन, कई बार ये अनुमान गलत साबित हो जाता है जैसे अनुराग कुमार के मामले में हुआ। उनकी पढाई में बिलकुल रूचि नहीं थी। स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई में वे जी चुराते रहे।
कॉलेज के पढाई के दौरान तो वे कई विषयों में पास भी नहीं हो पाए। लेकिन, जब उन्होंने यूपीएससी देने का फैसला किया तो जो किया वो चमत्कार ही कहा जाएगा। बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले अनुराग कुमार की कहानी वास्तव में प्रेरणा देने वाली है। अनुराग की सफलता की कहानी असाधारण है। उन्होंने IAS अधिकारी बनने के लक्ष्य को पाने के लिए अपनी असफलताओं को अपनी महत्वाकांक्षा के आगे झुठला दिया।
उनकी 8वीं तक की पढ़ाई-लिखाई हिंदी मीडियम से हुई। इसके बाद उनका एडमिशन अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूल में करा दिया गया। वे पढ़ाई में ठीक-ठाक रहे। अनुराग को मीडियम चेंज करना जमा नहीं और प्रीबोर्ड एग्जाम में फेल हो गए। इसके बाद बोर्ड एग्जाम में भी कम नंबर आए। अनुराग को ऐसे माहौल में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन, उन्होंने मेहनत से हाईस्कूल में अच्छे नंबर हासिल किए। उन्हें इंटरमीडिएट में भी अच्छे नंबर मिले जिसकी बदौलत उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लिया।
घर से दूर दिल्ली में अनुराग का मन बिल्कुल नहीं लगा। वे ग्रेजुएशन में कई विषयों में फेल हो गए। घर वालों ने उन्हें समझाया और फिर उनका मन भी लग गया। इसके बाद तो ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। उन्होंने यूपीएससी क्लियर करके IAS बनने का फैसला किया। इसके बाद वे अपना लक्ष्य पाने में जुट गए। यूपीएससी के लिए वे जीरो से तैयारी करने लगे। अनुराग ने यूपीएससी की तैयारी के लिए खूब मेहनत की। नोट्स बनाए और मॉक टेस्ट दिए। यूपीएससी एग्जाम के हर पहलू को अच्छी तरह समझा।
नतीजा ये रहा कि अनुराग ने साल 2017 में पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी क्लियर कर लिया। किंतु, उनकी रैंक 677 आई, जिससे कि वह संतुष्ट नहीं थे। अनुराग को IAS से नीचे कुछ मंजूर नहीं था। उन्होंने 2018 में फिर से यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम दिया। दूसरा अटेम्प्ट भी उन्होंने न सिर्फ क्लियर किया, बल्कि अपनी रैंक में जबर्दस्त सुधार किया। यूपीएससी 2018 में वे ऑल इंडिया 48वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बने।
इस तरह अनुराग ने IAS बनने का अपना सपना पूरा किया। अच्छी रैंक आने से उन्हें होम कैडर बिहार मिला। वे दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं, कि सिविल सर्विस की तैयारी के लिए जीरो से शुरू करना जरूरी है। उनका यह भी कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा देने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। सबसे पहले सिलेबस को समझें। इसके बाद योजना के अनुसार पढाई करें। फ़िलहाल वे बिहार के बेतिया जिले में असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हैं।