Burning Highway:जयपुर-अजमेर हाई वे पर हुए हृदय विदारक हादसे की पुनरावृति रोकने के लिए सरकारें क्या कदम उठाएंगी?
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
विगत शुक्रवार 20 दिसंबर की सुबह तड़के 5 से 6 बजे के बीच जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग आठ पर भांकरोटा के पास एलपीजी गैस से भरे टैंकर से विपरीत दिशा से आ रहें एक दूसरे ट्रक की टक्कर होने के बाद गैस लीक होने से हुए भयंकर ब्लास्ट दुर्घटना ने हाईवे के उस इलाके को बर्निग हाई वे में तब्दील कर दिया। यह हादसा इतना भयावह था कि ब्लास्ट के बाद आग ने विकराल रूप लेते हुए हाईवे पर कई वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया और वे पूरी तरह से जल कर राख हो गए। इस भीषण आग ने वाहनों में बैठे लोगों को उतरने का मौका तक नहीं दिया। हाइवे पर आग का दरिया बहने के उस विकराल दृश्य को देख हर कोई सहम गया। इस दुखद हादसे में भीषण आग की हद में आए लोगों को बचने का कोई मौका नहीं मिला। यहां तक कि आसमान में उन्मुक्त उड़ान भरने वाले पक्षी भी इससे नहीं बच पाए। आसपास के इलाके की चल अचल संपतियों को भी भारी नुकसान हुआ। एक लम्बे अर्से तक नहीं भुलाए जा सकते इस हादसे में अब तक एक पूर्व आईएएस अधिकारी करणी सिंह राठौड़ सहित कुल 14 लोगों की मौत हो गई। हादसे में हताहत हुए कई लोगों की मात्र हड्डियों की पोटली ही अस्पताल पहुंच पाई,जहां उनके परिजनों के डीएनए सेंपल से उनकी पहचान हो पाई। अभी भी इस दुर्घटना में बुरी तरह झुलस गए, 44 लोग जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जीवन और मौत के मध्य संघर्ष कर रहे है। जयपुर भांकरोटा दर्दनाक हादसे में घायलों की बेबसी और चेहरों ने सभी का दिल दहला दिया है। हादसे के दिन सुबह साढ़े 5 बजे से बंद हुआ जयपुर- अजमेर हाईवे करीब 15 घंटे तक बंद रहा और इस राजमार्ग पर दस किमी लंबी कतारे लग गई।
संसद के शीतकालीन सत्र के मध्य हुए इस दुखद हादसे की सूचना मिलने पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश विदेश के कई नेताओं ने गहरा दुःख व्यक्त किया। मोदी सरकार ने मृतकों एवं घायलों के लिए अनुग्रह राशि की घोषणा भी की। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संवेदनशीलता दर्शाते हुए तुरन्त मौके पर पहुंच कर एक फील्ड ऑफिसर की तरह बचाव और राहत के उपाय सुनिश्चित कराए। साथ ही अनुग्रह राशि की घोषणा की तथा हादसे की जांच के लिए एक विशेष एसआईटी भी गठित की।
यह हादसा और भी अधिक भयानक हो सकता था। गैस टैंकर में आग लगने के बाद करीब 100 मीटर दूर एक और 18 टन एलपीजी का टैंकर भी चपेट में आ गया था। इस टैंकर का तापमान 100 डिग्री के पास पहुंच गया था, लेकिन दमकल कर्मियों ने टैंकर पर सात घंटे तक लगातार पानी डाल कर गैस से भरे टैंकर का तापमान नियंत्रित किया। तब तक पुलिस,प्रशासनिक एवं अन्य अधिकारियों की सांसे अटकी रहीं। अधिकारियों ने अजमेर से खाली टैंकर मंगवाया और तापमान बढ़ने वाले टैंकर की गैस खाली टैंकर में ट्रांसफर की गई। इसी प्रकार घटनास्थल पर माचिस की तैयार तीली से भरा एक कंटेनर भी आग की चपेट में आ गया था लेकिन उसके अंदर आग नहीं पहुंचने से एक बड़ा हादसा टल गया।
फिलहाल यह हादसा कैसे हुआ और एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसकी जांच के लिए एक एसआईटी का गठन हो गया है लेकिन यह हादसा अपने पीछे कई अनुत्तरित सवाल भी छोड़ गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने टैंकर ब्लास्ट की इस घटना पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। अदालत ने आपदा प्रबंधन मंत्रालय, पेट्रोलियम सचिव और मुख्य सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है। वहीं, अदालत ने प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए संबंधित खंडपीठ के सामने 10 जनवरी को सूचीबद्ध करने को कहा है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश दिए हैं। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि, इस हादसे के दोषी अफसरों के खिलाफ जांच कर इसमें लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाए। वहीं इतने ज्यादा ज्वलनशील रसायन और गैस के गोदाम आदि को घनी आबादी क्षेत्र से दूर किया जाए। अदालत ने अधिकारियों से कहा कि, पुलों और ओवरब्रिजों के निर्माण कार्यों को तय समय में पूरा करने के लिए भी कदम उठाए जाए। साथ ही ज्वलनशील गैस और रसायनों के परिवहन के लिए एक पृथक रास्ता मुहैया कराने पर भी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित विभागों से कहा है कि, दुर्घटना में मृतकों, घायलों और उन सभी पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को पर्याप्त मुआवजा राशि दी जाए, जिनके वाहन और संपत्ति का इस अग्निकांड में नुकसान हुआ है। अदालत ने यह भी पूछा है कि, ब्लैक स्पॉट और खतरनाक यू-टर्न की पहचान और हाइवे पर इन खतरों के लिए चेतावनी बोर्ड लगाने के लिए क्या किया जा रहा है? जिससे मानव जीवन और सभी जीवों की सुरक्षा की जा सके। अदालत ने कहा कि,अगर सरकार सड़क सुरक्षा के लिए उचित सावधानी बरतती तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बचा जा सकता था। क्यों कि हर साल हजारों लोग सड़कों, यू-टर्न और ब्लैक स्पॉट को पार करते समय मर जाते हैं।
अजमेर-किशनगढ़ हाइवे की इस दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद दुर्घटना ने कई नए सवाल भी खड़े कर दिए हैं। जहां हादसा हुआ,वहां क्या राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बने नियमों के तहत सड़क परिवहन व्यवस्था और सुरक्षा थी ? सच तो यही है कि जयपुर से लेकर बगरू तक यह रोड भले ही राष्ट्रीय राजमार्ग कहलाती हो,लेकिन इसके हालात वर्तमान में किसी गली की सड़कों जैसे हैं।
इस हाईवे पर जगह-जगह कट होने से कोई भी वाहन कहीं से भी हाईवे पर आ जाता है और किसी भी जगह से घूमकर निकल जाता है। वर्ष 2003 में जयपुर से किशनगढ़ के बीच बने इस छह लेन हाईवे से राजस्थान में सड़कों के एक नए युग की शुरुआत हुई थी,लेकिन समय के साथ n तो इसे चौड़ा किया गया और नही ट्रैफिक के अनुसार इस पर काम हुआ। हालत यह हो गए हैं कि हाईवे धीरे-धीरे स्थानीय सड़क जैसा दिखने लगा है। भांकरोटा के पास जिस कट पर टैंकर के टर्न लेते समय यह हादसा हुआ, वह कट नवम्बर 2020 में जयपुर रिंग रोड से आने और रिंग रोड पर जाने वाले ट्रैफिक के लिए बनाया गया था। इसके साथ ही रिंग रोड के ट्रैफिक के सुचारू संचालन के लिए जयपुर-किशनगढ़ राजमार्ग के ऊपर क्लीवर लीफ का काम शुरू कर दिया गया।
यह कट मार्च 2023 में बंद होना था,लेकिन क्लोवर लौफ का काम ही पूरा नहीं हुआ और ट्रैफिक निकालने के लिए यह कट बंद नहीं किया गया। कट बंद नहीं किए जाने से यहां आए दिन छोटे-मोटे हादसे होते ही रहते हैं। विगत शुक्रवार को हुई दर्दनाक गैस टैंकर अग्निकांड की घटना ने सरकारी सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सिस्टम में शामिल सारे विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल खुद को बचाने में लग गए हैं। इस कट को बंद करने की मांग काफी अर्से से उठ रही थी, लेकिन क्लोवर लीफ पूरा नहीं बनने के कारण जनता की मांग दरकिनार ही रही। बगरू उद्योग मित्र के कन्वीनर नवनीत झालानी का कहना है कि वे दो साल से इस कट को बंद करने की मांग कर रहे हैं।
भांकरोटा के पास हुए इस हृदय विदारक हादसे ने जयपुर में हुए 2009 के उस मंजर की याद भी दिला दी, जिसने 15 साल पहले जयपुर के सांगानेर इलाके को हिलाकर रख दिया था। यह हादसा इतना भीषण था कि इसमें 12 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।बेकाबू आग को बुझाने में भी करीब 10 दिन लग गए थे। यह अग्निकांड राजधानी जयपुर के निकट सांगानेर स्थित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तेल भण्डारण डिपो में 29 अक्टूबर 2009 की शाम को हुआ था।
विशेषज्ञ लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय को अति ज्वलनशील पदार्थो से होने वाले हादसों को रोकने के लिए एक विशेष राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए तथा सड़कों पर ऐसे वाहनों के आगे और पीछे पर्याप्त दूरी बनाए रखते हुए पुलिस या सुरक्षा एस्कोर्ट वाहन लगाए जाने चाहिए ताकि इस प्रकार के दुःखद हादसे नहीं हो सके।
देखना है, राजस्थान हाईकोर्ट के अलावा देश के अन्य न्यायालय,सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार, सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय तथा तेल और प्राकृतिक गैस एवं पेट्रोलियम मंत्रालय इस प्रकार की सड़क दुर्घटनाओं से सबक लेकर इन्हें रोकने और इनकी पुनरावृति को रोकने के लिए आने वाले वक्त में क्या ठोस कदम उठाते है?