Kissa-A-IPS : Safin Hasan: देश में सबसे कम उम्र के IPS बनने का गौरव पाया!
यदि कठिन परीक्षाओं का जिक्र किया जाए, तो देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी परीक्षा ही है, जिसमें हर साल बहुत सारे उम्मीदवार प्रतियोगी बनते हैं। वे इस उम्मीद से परीक्षा देते हैं, कि उनकी मेहनत, ज्ञान और महीनों की पढ़ाई उन्हें सफल बनाएगी। लेकिन, अधिकांश लोग इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाते। ऐसे ही एक सफल उम्मीदवार रहे 22 साल के हसन सफीन जो निरंतर उत्साह और लक्ष्यों की अथक खोज का उदाहरण है। सफीन एक प्रतिबद्ध, असाधारण और अविश्वसनीय रूप से मेहनती छात्र रहे, जिन्होंने लक्ष्य पाने के लिए अपना सब कुछ लगा दिया।
उनका साहसिक कार्य बाधाओं को पार करते हुए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अपनी शानदार जीत के साथ पूरा हुआ। देश के सबसे कम उम्र के IPS अधिकारी के खिताब तक पहुंचने में समाप्त हुआ। सफीन हसन जीवटता और मेहनत का जीवंत उदाहरण हैं, जिन्होंने कठिन यूपीएससी परीक्षा को फतह किया। उन्होंने 22 साल की कम उम्र में दृढ़ संकल्प के साथ यह ऐतिहासिक अध्याय लिखा।
हसन सफीन ने 2018 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 570 वीं रैंक पाने के बाद आईपीएस अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया। 23 दिसंबर 2019 को उन्होंने गुजरात के जामनगर जिले के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी नई जिंदगी शुरू की। इस तरह उन्होंने एक ऐसी जिंदगी में प्रवेश किया जो उनके दृढ़ निश्चय को दर्शाता है।
सफीन हसन इस्लाम धर्म के जुलाहा समुदाय से हैं। उनके पिता मुस्तफा हसन एक हीरा इकाई में काम करते थे और उससे पहले पार्ट टाइम इलेक्ट्रीशियन थे। उनकी मां नसीम बानो सफीन की स्कूली शिक्षा की फीस के इंतजाम के लिए लोगों के घरों, रेस्तरां और दावतों में खाना बनाने का काम करती थीं। असनैन हसन उनके छोटे भाई हैं। सफीन हसन का जन्म 21 जुलाई 1995 को गुजरात के पालनपुर जिले के कनोदर गांव में हुआ। आर्थिक तंगी के कारण उनका जीवन भारी उथल-पुथल से भरा रहा। उनके बचपन के शुरुआती साल उन संघर्षों के प्रमाण हैं, जो हमेशा ही एक औसत निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार के लिए चुनौती रहते हैं। वे खाने के लिए और अपनी जरूरतों के लिए लड़ते हैं। साथ ही ऐसे परिवार के सदस्यों के अस्तित्व और भविष्य सुनिश्चित करने के लिए जूझते रहते हैं।
पालनपुर में एसकेएम हाई स्कूल से सफीन हसन की शैक्षणिक यात्रा शुरू हुई। ज्ञान बढ़ाने की उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें प्रेरित किया। शैक्षणिक करियर को जारी रखने के लिए वे एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में चले गए। उन्होंने सूरत में प्रतिष्ठित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बी-टेक कार्यक्रम में दाखिला लेकर अपनी आगे की शैक्षणिक यात्रा जारी रखी। हसन ने अपनी स्कूली शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में गुजराती में राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम का अध्ययन किया। स्कूल में उनकी क्षमता परिलक्षित हुई, जिससे उन्हें 10वीं कक्षा में उत्कृष्ट 92% अंक अर्जित करने के बाद विज्ञान ट्रैक चुनने की प्रेरणा मिली।
11वीं कक्षा में उन्होंने अंग्रेजी भाषा का भी गंभीरता से अध्ययन किया। छोटी-छोटी नौकरियों में कड़ी मेहनत करने वाले परिवार से आने के बावजूद हसन की ज्ञान पाने की भूख बढ़ती गई। पढ़ाई में दृढ़ संकल्प ने हमेशा उन्हें रास्ता दिखाया। उन्होंने हमेशा अपनी शैक्षणिक प्रतिभा का परिचय दिया और परिणामस्वरूप, शैक्षणिक संस्थानों ने उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के कारण उन्हें छात्रवृत्ति और शुल्क में छूट मिली।
उनकी अफसर बनने की यूपीएससी यात्रा स्कूल की एक घटना से शुरू हुई। कलेक्टर ने सफीन के स्कूल का दौरा किया और सफीन इस बात से आश्चर्यचकित थे कि कैसे आईएएस अधिकारी की मौजूदगी ने सभी को प्रभावित किया। खासकर उन्हें मिलने वाली सुरक्षा और सम्मान। यहां तक कि सफीन के स्कूल के प्रिंसिपल भी उनके सामने अलग ही व्यवहार कर रहे थे। इस घटना के बाद उनके जीवन का लक्ष्य तय हो गया। बच्चा सफीन जब घर पहुंचा, तो वह सोचने लगा कि उस कलेक्टर के पास ऐसा क्या था, जो इतना अद्भुत था। उन्हें बताया गया कि वे एक आईएएस अधिकारी थे, जो आम लोगों की समस्याओं के हल के लिए काम करते हैं। इसके बाद सफीन का लक्ष्य तय हो गया। उन्हें बताया गया कि सिविल सेवा एक सम्मानित पेशा है, जिसके लिए निरंतर समर्पण और कठिन प्रयास की आवश्यकता होती है। सफीन ने तभी सोच लिया कि उन्हें भी आईएएस में अपना करियर बनाना हैं।
अपने माता-पिता द्वारा उनकी स्कूली शिक्षा में किए गए प्रयासों के अलावा, सफीन को जरूरत पड़ने पर अजनबियों से अच्छी मदद मिली। जैसे हुसैन पोलरा और उनकी पत्नी रैना पोलरा दोनों स्थानीय व्यवसाय करते थे। उन्होंने सफीन को दो साल के खर्च के पैसे का इंतजाम किया। इसमें उनकी यूपीएससी की कोचिंग, उनकी यात्रा और रहने का किराया जैसे खर्च शामिल थे। इसके अलावा हुसैन भाई और जरीना बेन ने भी यूपीएससी कोचिंग की फीस दी। इन परिवारों से उनका कोई सीधा रिश्ता नहीं था, लेकिन वे इन लोगों को अपने ही परिवार के सदस्यों के रूप में मानते रहे जिन्होंने बिना शर्त उनकी मदद की।
उन्होंने इस दौरान एक हादसे का भी सामना किया। 2017 में जब वे यूपीएससी की लिखित परीक्षा देने के लिए जा रहे थे, तो उनके साथ एक दुर्घटना घटी। फिर भी उन्होंने परीक्षाएं जारी रखी। परीक्षा के बाद, गंभीर चोटों के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा। उनके घुटनों और शरीर के कई हिस्सों के लिए ऑपरेशन हुए। फिर भी उन्होंने अपनी दृढ़ता और प्रयास से 570वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल की।
इंटरव्यू से पहले भी उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं थीं, जिस कारण उन्हें अक्सर गुजरात और दिल्ली के बीच यात्रा करनी पड़ती थी। मार्च 2018 में यूपीएससी का इंटरव्यू होना था लेकिन 20 फरवरी तक हसन की तबीयत बहुत खराब थी। लगातार इंजेक्शन लगने के बाद भी बुखार नहीं उतर रहा था। यहां तक डब्ल्यूबीसी काउंट भी 30 हजार तक घट गया, फिर सफीन 15 मार्च को अस्पताल से छुट्टी लेकर दिल्ली पहुंचे। वहां एक सप्ताह तक तैयारी करने बाद इंटरव्यू दिया। जब रिजल्ट आया तो उन्हें सेकंड हाईएस्ट मार्क्स मिले। यूपीएससी में अपने दूसरे प्रयास में उन्हें अपने स्कोर के आधार पर आईपीएस के रूप में चुना गया। हालांकि, उनकी हमेशा से प्रशासनिक सेवाओं में करियर बनाने की इच्छा थी। क्योंकि, वे लोगों की मदद करना चाहते थे। उन्होंने यूपीएससी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
आश्चर्य की बात यह भी थी कि इतने बड़े हादसे बावजूद उन्होंने लिखित परीक्षा और बाद में इंटरव्यू दोनों दिए। दोनों ही परीक्षाओं में पास होकर उन्होंने एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। हैदराबाद की सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी से ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 23 दिसंबर 2019 को उन्हें गुजरात के जामनगर में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में पहली पोस्टिंग मिली। वे गुजरात कैडर के अधिकारी बने। सफीन ने 22 साल की उम्र में 570 वीं रैंक हासिल कर सबसे कम उम्र के IPS अधिकारी बनने का रिकॉर्ड बनाया। सफीन हसन फ़िलहाल डीसीपी ट्रैफिक अहमदाबाद के पद पर तैनात हैं।
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