Mismanagement of Cader: 5 राज्यों में 1992 बैच के IPS अफसर बन चुके DG, MP में सिर्फ एक अफसर Special DG, 5 अफसर अभी भी ADG
भोपाल. मध्य प्रदेश में IPS अफसरों को DG रैंक तक पहुंचने की रफ्तार बहुत धीमी है। यहां पर कॉडर मैनेजमेंट ऐसा है कि कई राज्यों में इस पद पर पदोन्नति के मामले में प्रदेश फिसड्डी साबित हो रहा है। देश के पांच राज्यों में 1992 बैच के अफसर DG बन चुके हैं, जबकि हमारे यहां पर इस बैच के एक अफसर ही एडीजी से डीजी के पद पर पदोन्नत हो सके हैं। वे भी उस स्थिति में स्पेशल डीजी बने हैं, जब मध्य प्रदेश में डीजी के दो पद अस्थाई तौर पर स्वीकृत हैं। खासबात यह है कि तीस साल की नौकरी के बाद DG के पद पर पदोन्नति होना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में 33 साल बाद भी कुछ अफसर इस पद तक नहीं पहुंच सकें हैं।
देश के पांच राज्य नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तेलंगाना और मेघालय में 1992 बैच के आईपीएस अफसर DG रैंक में हैं। इनमें नागालैंड पुलिस के मुखिया रुपिन शर्मा हैं। वहीं नलिन प्रभात जम्मू-कश्मीर, गौरव यादव पंजाब, डॉ. जितेंद्र तेलंगाना और इदाशीशा नोंग्रांग मेघालय के DGP हैं।
यह है मध्य प्रदेश में इस बैच के अफसरों की स्थिति
मध्य प्रदेश में 1992 बैच के 6 IPS अफसर हैं। ये है पंकज श्रीवास्तव, आर्दश कटियार, पवन श्रीवास्तव, मनीष शंकर शर्मा, जी अखिटो सेमा और डीसी सागर। इन सभी को एक जनवरी को अपनी सेवा के 33 साल पूरे हो चुके हैं। इनमें से पंकज श्रीवास्तव दिसंबर 2024 में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद से पदोन्नत होकर स्पेशल डीजी बने हैं। जबकि अभी बाकी के पांच अफसर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर ही पदस्थ हैं।
कॉडर के सिर्फ पांच पद
मध्य प्रदेश में DG के पांच पद की कॉडर के हैं, जबकि पांच एक्स कॉडर के पद हैं। इस पद पर पदोन्नति के लिए अफसरों की संख्या ज्यादा होने के चलते, राज्य शासन ने करीब आठ साल पहले DG के दो अस्थाई पद बना दिए। यह पद दो साल के लिए दिए गए थे, लेकिन यह व्यवस्था लगातार चलती आ रही है। इसके चलते अब प्रदेश में DG के 12 पद हो गए। इसके बाद भी यहां पर पदोन्नति की रफ्तार धीमी है। हालांकि इस साल के अंत तक वर्ष 1992 बैच के चार और अफसर डीजी के पद पर पदोन्नत हो जाएंगे जबकि एक अफसर पदोन्नति मिलने से पहले ही रिटायर हो जाएंगे।