दुपट्टा, पेन, पेंसिल और कड़ा बन रहा छात्राओं का हथियार, बदमाशों से निपटने स्कूलों में सीख रहीं आत्मरक्षा के गुर
भोपाल: देश मे महिलाओं के साथ बड़ रहे दुष्कर्म और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के साथ ही लड़कियों में आत्मविश्वास जगाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में आत्मरक्षा से जुड़े प्रशिक्षण की शुरुआत की है, जिसे महारानी लक्ष्मीबाई प्रशिक्षण योजना नाम दिया गया । इस योजना के तहत प्राइमरी, मिडिल और हाईस्कूल सहित हायर सेकंडरी स्कूलों में पड़ने वाली बच्चियों को जुडो कराटे और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है। जिसके बाद भविष्य में किसी भी विपरीत परिस्थिती के सामने आने पर ये छात्राएं अपने दुपट्टे, पेन, पेंसिल या हाथों के कड़े जैसी किसी भी चीज को हथियार बनाकर, उससे अपनी आत्मरक्षा खुद कर सकेंगी । जिससे स्कूल से घर और घर से वापस स्कूल जाते समय, या अन्य कोई विपरीत परिस्थिति के दौरान किसी बदमाश के छात्राओं से छेड़छाड़ करने के समय वे स्वयं की रक्षा खुद ही कर सकें।
खंडवा नगर के मोघट रोड़ स्थित महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में कक्षा 6वीं से 12वीं तक तकरीबन 12 सौ छात्राएं पढ़ती हैं। इन छात्राओं को स्कूल में ही शासन के निर्देश पर, महारानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जा रहा है । इसको लेकर बाकायदा एक महिला कराटे कोच की नियुक्ति की गई है । बता दें कि, यह प्रशिक्षण अक्टूबर माह से शुरू हुआ था जो फिलहाल जारी है। स्कूल की प्रिंसिपल ज्योत्सना सोनी ने बताया कि अब तक कई लड़कियां इस प्रशिक्षण में हिस्सा लेकर आत्मरक्षा के गुर सीख गई हैं। इस प्रशिक्षण में भाग लेने वाली छात्राओं ने अपने पास मौजूद संसाधनों जैसे दुपट्टा, पेन, पेंसिल, हाथ घड़ी या कंगन जैसी चीजों को हथियार बनाकर कैसे अपनी आत्मरक्षक की जाती है, इस बात का प्रशिक्षण लिया है। अगर उन्हें कहीं भी विपरीत परिस्थितियों में इसकी जरूरत पड़ जाए, तो वे अपनी आत्मरक्षा कर सकती हैं।
स्कूल प्रिंसिपल के अनुसार यह प्रशिक्षण छात्राओं के लिए बहुत ही लाभदायक है। शासन ने स्कूलों के साथ कन्या छात्रावासों में भी आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। निर्देश के बाद स्कूल व छात्रावासों में प्रशिक्षण की शुरुआत हो गई है। प्रत्येक स्कूल को प्रशिक्षण के लिए 15 हजार रुपए की राशि भी शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। शासन से निर्देश हैं कि प्रशिक्षक के रूप में महिला प्रशिक्षक को चयनित किया जाए। महिला प्रशिक्षक न मिलने की स्थिति में पुरूष प्रशिक्षक का चयन किया जा सकता है। प्रशिक्षण के दौरान एक महिला शिक्षिका का पूरे समय वहां मौजूद रहना अनिवार्य किया गया है।
वहीं स्कूली छात्राओं को प्रशिक्षण देने वाली कराटे कोच नेहा यादव ने बताया कि यह तीन माह का प्रशिक्षण है। जो राज्य शासन के निर्देश पर दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य लड़कियों में आत्मविश्वास भरना और उनको अपनी आत्मरक्षा करने के लिए उत्साहित करने का है। प्रशिक्षण के दौरान छात्राओं को रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं के माध्यम से आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसके अलावा जूड़ो-कराटे का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ताकि विपरीत परिस्थिति में छात्राएं निडर होकर आगे बढ़ सकें। यह प्रशिक्षण खासकर उन लड़कियों के लिए भी बहुत अहम है, जो दूर दराज के इलाकों से स्कूल आती हैं। अगर उनके साथ कोई विपरीत परिस्थिति या छेड़खानी जैसी स्थिति बनती है, तब वह घबराएं नहीं और अपनी स्वयं की रक्षा कर सके। हम यहां पर छात्राओं को जूडो कराटे और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे हैं। साथ ही उन्हें यह भी बता रहे हैं कि, उन्हें किस तरह की डाइट लेना चाहिए जिससे वह स्वस्थ रह सकें।
इधर इस प्रशिक्षण को पाने वाली छात्राओं में भी उत्साह देखने को मिल रहा है । छात्राएं अब निडर होकर आत्मरक्षा के गुर सीख रही है। प्रशिक्षण लेने वाली छात्राएं रहती है कि, जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है। ऐसे में यह प्रशिक्षण हमारे लिए बहुत लाभदायक है। हम कैसे अपनी आत्मरक्षा कर सकते हैं। वही चीज हम यहां सीख रहे हैं। हम लोग हमारे पास मौजूद चीजों से ही अपने आप की रक्षा करना सीख रहे हैं । जैसे कि हमारे पास स्कूल या कॉलेज आते समय पेन, पेंसिल, दुपट्टा या हेयर क्लिप होता है। जिससे हम अपनी रक्षा कैसे कर सकते हैं। यह यहां सीख रहे हैं। साथ ही हम मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। हमें यहां अच्छे से ट्रेडिंग दी जा रही है। इसी का परिणाम है कि अब हम कराटे सीख गए हैं। इस प्रशिक्षण के बाद हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ गया है। अब हम कहीं भी अकेले आने-जाने में डरते झिझकते नहीं है। हम हमारी सुरक्षा अब अच्छे से कर सकते हैं।