Sarcasm on BJP District President : भाजपा ने सिंधिया समर्थक को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी संविधान को किनारे किया!
Bhopal : भारतीय जनता पार्टी ने जिला अध्यक्षों की घोषणा शुरू कर दी। अभी तक 32 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्ष घोषित कर दिए गए। इनमें 11 जिलों के अध्यक्षों को फिर से मौका दिया गया। लेकिन, सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक शिवपुरी की करैरा सीट से पूर्व कांग्रेसी विधायक जसमंत जाटव का रहा। वे मार्च 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उनको शिवपुरी का जिला अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी ने अपने संविधान को भी ताक पर रख दिया।
जसमंत जाटव को भाजपा में आए चार साल हुए हैं। जबकि, पार्टी संविधान के अनुसार जिला अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी में 6 साल तक सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है। ऐसे में पार्टी ने अपने संविधान के नियमों को ताक पर रखकर जाटव को भाजपा जिला अध्यक्ष बना दिया।
2018 में हुए प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जसमंत जाटव कांग्रेस के टिकट पर शिवपुरी की करैरा सीट से जीते थे। इसके बाद साल 2020 में भाजपा में आने पर उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया। इसी साल हुए उपचुनाव में वे भाजपा के टिकट पर लड़े, लेकिन चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।
कांग्रेस ने भाजपा पर तंज कसा
जाटव को शिवपुरी का जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए भाजपा नेताओं पर निशाना साधा। इस मौके पर कांग्रेस के पीसीसी अध्यक्ष के मीडिया एडवाइजर केके मिश्रा ने भाजपा पर तंज कसते हुए जसमंत जाटव को राजनीतिक रूप से बच्चा बताया।
🔴*राजनैतिक “बच्चे” के आगे विश्व की सबसे बड़ी कथित (फ़र्जी) पार्टी भाजपा ने किया “आत्म समर्पण”……⁉️
♦️*चाहे देश का संविधान हो या पार्टी का, भाजपा को अपने तुच्छ स्वार्थों की आपूर्ति के लिए उसे तोड़ने-मरोड़ने में कोई गुरेज़ नहीं*”❗️
*4 साल पहले @JM_Scindia के साथ पार्टी छोड़ने…
— KK Mishra (@KKMishraINC) January 14, 2025
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा ‘राजनैतिक ‘बच्चे’ के आगे विश्व की सबसे बड़ी कथित (फर्जी) पार्टी भाजपा ने किया आत्म समर्पण… चाहे देश का संविधान हो या पार्टी का, भाजपा को अपने तुच्छ स्वार्थों की आपूर्ति के लिए उसे तोड़ने-मरोड़ने में कोई गुरेज नहीं।’
आगे उन्होंने लिखा ‘4 साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ने वाले सैद्धांतिक नहीं (मानसिक गुलाम) को बनाया शिवपुरी पार्टी का ज़िलाध्यक्ष! पार्टी संविधान में ज़िलाध्यक्ष बनने की आहर्ताओं में 6 सालों तक सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है। राजशाही के सामने लोकशाही बौनी …। निःसंदेह आज स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी और कुशाभाऊ ठाकरे जी की आत्मा रो रही होगी!’