
Chhattisgarh Liquor Scam: ED की 10 पेज की नोट शीट में कई खुलासे
विनोद काशिव की खास रिपोर्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में अब ED कई आश्चर्यजनक बातें सामने ला रहा है। पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के समय 10 पेज की नोट शीट में ED ने कहा कि 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी। इससे शासन को करोड़ों का चुना लगाया गया था।
इसके एवज में कवासी लखमा को हर माह 2 करोड़ मिलते थे। प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ का है।
इसी बीच पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी घोटाले के सरगना के रूप में सामने आया है। नोट शीट में उनका नाम भी है । अभी तक IAS अनिल टुटेजा , MD ऐ पी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढ़ेबर का जिक्र आ रहा था।
*जानिए पूरी कहानी*
छत्तीसगढ़ के अरबों रुपए के शराब घोटाले में पूर्व IAS अधिकारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का का नाम संरक्षण दाता के रूप में सामने आया है. ED ने अपनी रिपोर्ट में विवेक ढांड को पूरे घोटाले का सरगना बताया है, जिनके निर्देशन में घोटाले के अहम किरदार अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुण पति त्रिपाठी काम कर रहे थे. यही नहीं विवेक ढांड को इस घोटाले ने हिस्सेदारी भी मिलना बताया गया है।
बता दें कि ED ने एक दिन पहले ही पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को रिमांड पर लिया है. इसके साथ ही ED ने अपने दस्तावेजों में पूरे घोटाले का खाका खींचा है, जिसमें बताया गया कि किस तरह से पूर्व IAS अधिकारी और प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड के निर्देशन में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुण पति त्रिपाठी ने फरवरी 2019 से लेकर जून 2022 के बीच 2 हजार 161 करोड़ की अवैध कमाई की.
(बता दें कि विवेक ढांड भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे 1 मार्च 2014 से 3 साल 7 महीने 25 दिन यानी 25 अक्टूबर 2017 तक CS रहे। बाद में उन्हें भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (RERA) का अध्यक्ष बनाया। राज्य सरकार ने इसके बाद विवेक ढांड को नवाचार आयोग का अध्यक्ष बनाया था। सरकार उनको बर्खास्त करती इससे पहले ही उन्होंने रेजिग्नेशन दे दिया था।)


ED रिपोर्ट में कहा गया है कि किस प्रकार अवैध उत्पादन करवाकर उसकी सप्लाई का सिंडिकेट चलाते थे, और बदले में कंपनियों से इन्हें कमीशन मिलता था. इस पूरे घोटाले का ताना बाना बुनने से लेकर अंजाम देने तक पूरा ब्योरा FIR में दिया गया है.
भूपेश बघेल शासनकाल के दौरान साल 2019 से 2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी, जिसके चलते छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था. उस दौरान शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, ताकि वह किसी की पकड़ में न आ सके. इस होलोग्राम को बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त लोगों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली PHSE (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी को टेंडर दिया ।
ED ने अपनी जांच के बाद यह बताया है कि यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर उसी कंपनी को दे दिया गया था. ED के टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से भारी कमीशन लिया गया था. यह जानकारी सामने आने के बाद जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ED ने गिरफ्तार किया तो उसने कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, बिजनेसमैन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया.
ED ने जब इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे होने लगे. इसके बाद साल 2024 के अंत में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया. सूत्रों के मुताबिक, ED की जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमीशन मिलता था.
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ED जब पूर्व आबकारी मंत्री लखमा से पूछताछ करेगी तो और क्या-क्या खुलासे हो सकते हैं?
क्या पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी गिरफ्तारी की तलवार कहीं लटक तो नहीं रही है?





