

Discussion on 3 Books : सप्रे संग्रहालय में हरिवंश, हरीश पाठक और राजेश बादल की किताबों पर ‘कृति चर्चा’ आयोजित!
हरीश पाठक ने कहा ‘हरिवंश बड़े कद के लेखक, विचार और व्यवहार में वे गणेश मंत्री जैसे!
Bhopal : आज के दौर में पुस्तकों का सम्मान जरूरी है। हमें किताबों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। किताबें ही इंसान की सच्ची साथी हैं। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश दुबे ने भोपाल के माधवराव सप्रे संग्रहालय में आयोजित ‘कृति चर्चा’ के आयोजन में व्यक्त किए।वे इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश की किताब ‘गणेश मंत्री : आधुनिक हिंदी पत्रकारिता के यशस्वी स्तम्भ’ पर कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक व हरीश पाठक की किताब ‘मेरा आकाश, मेरे धूमकेतु’ (प्रभात प्रकाशन) पर राजेश बादल ने अपने विचार व्यक्त किए।
हरीश पाठक ने कहा कि हरिवंश एक बड़े कद के संपादक और लेखक हैं। वे मंत्री जी के अत्यंत निकट रहे विचार और व्यवहार में भी दोनों समान थे। वे दोनों मेरे आत्मीय हैं। मंत्री जी मेरे संपादक रहे हैं। मेरा सौभाग्य है कि विचारधारा से लबरेज उस दिग्गज संपादक पर बोलने के लिए विजयदत्त श्रीधर जी ने मुझे चुना।
हरीश पाठक ने कहा कि गणेश मंत्री जी दृर तक भविष्य देखने वाले अपवाद पत्रकार थे। उनकी दृष्टि सूक्ष्म थी। समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाने में उनकी सक्रिय भूमिका रही है। वे दृढ़, स्पष्टवादी, मौलिक सवालों पर विचार करनेवाले चिंतक थे। हरिवंश जी की यह किताब उस बड़े संपादक को समझने,फिर कुछ सोचने के लिए एक जरूरी दस्तावेज है।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चर्चित पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि हरीश पाठक भाषा के जादूगर हैं। शब्दों के प्रयोग और भाषा का चमत्कार उन्हें खूब आता है। इस किताब में 49 लोगों पर उनके संस्मरण हैं जिनमे डॉ धर्मवीर भारती और गणेश मंत्री पर उनके संस्मरण लाजवाब हैं। इन दोनों के साथ उन्होंने काम भी किया है। आज ऐसे संपादक कहाँ हैं? आज तो पत्रकारिता पर ही साख का संकट है। अध्यक्ष प्रकाश दुवे ने राजेश बादल की किताब ‘मिस्टर मीडिया’ पर बोलते हुए कहा कि यह आज के दौर में एक जरूरी किताब इसलिए है। क्योंकि, बादल के पास प्रिंट और इलेक्टॉनिक मीडिया का भरपूर अनुभव है। वह अनुभव इस किताब से झाँकता है।
संग्रहालय के मुखिया विजयदत्त ने आयोजन के प्रयोजन पर अपने विचार रखे।इस मौके पर दो किताबों का लोकार्पण भी किया गया।
संचालन जवाहर कर्नावट ने किया। अतिथियों का स्वागत जयंत तोमर ने और आभार अरविंद श्रीधर ने व्यक्त किया। अभिनेता राजीव वर्मा, कथाकार शशांक, हरि भटनागर, प्रमोद भार्गव, प्रो संजय द्विवेदी, विनोद नागर, जगदीश कौशल, चंद्रशेखर सिसोदिया, मंगला अनुजा सहित कला, साहित्य, संस्कृति के कई दिग्गज सभागार में मौजूद थे।