हमेशा बढ़ता रहेगा बापू, अंबेडकर और संविधान का मान…

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हमेशा बढ़ता रहेगा बापू, अंबेडकर और संविधान का मान…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्यप्रदेश में 27 जनवरी 2025 की तारीख बापू, अंबेडकर और संविधान के नाम पर रही। कांग्रेस का मंच महू यानि अंबेडकर नगर में सजा था, तो भाजपा का मंच इंदौर महानगर में था। यानि 23.5 किमी की दूरी पर बापू, अंबेडकर और संविधान के नाम पर एक-दूसरे को आइना दिखाया जा रहा था। देश का सबसे स्वच्छ नगर इंदौर भ्रम में रहा होगा कि वास्तव में कौन सही है या कौन गलत है, तो अंबेडकर नगर यह समझने का भरसक प्रयत्न करता रहा होगा कि संविधान का रक्षक वास्तव में कौन है। कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता और राज्य का नेतृत्व अंबेडकर नगर में जहां भाजपा को कोसते रहे तो भाजपा का मध्यप्रदेश नेतृत्व कांग्रेस को आइना दिखाते रहे। पर सामान्य सोच तो यही है कि एक आम नागरिक की नजर में बापू, अंबेडकर और संविधान का मान न केवल बना रहे बल्कि लगातार बढ़ता रहे। सत्ता में चाहे भाजपा रहे या कांग्रेस रहे पर बापू, अंबेडकर और संविधान का जयगान देश की शान बढ़ाता रहे। अंबेडकर नगर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गंगा और महाकुंभ का जिक्र कर एक बार फिर नई बहस को जन्म दे दिया है। हो सकता है देश का ध्यान अब मल्लिकार्जुन के बयान पर टिका नजर आए।

लब्बोलुआब यही है कि बाबासाहेब अंबेडकर की जन्मस्थली महू में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने यह साबित करने की कोशिश की, कि मोदी, शाह, भाजपा और आरएसएस बापू, अंबेडकर और संविधान की विरोधी है। इनकी विचारधारा देश को बर्बादी के कगार पर पहुंचा रही है। अडानी-अंबानी को समृद्ध कर मोदी गरीबों, दलितों और पिछड़ों को गुलाम बनाने की इमारत खड़ी कर रहे हैं। संविधान को खत्म करने पर उतारू हैं। तब देश में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के कुछ नहीं बचेगा। सबसे ज्यादा बेरोजगारी आज है। नोटबंदी और जीएसटी हिंदुस्तान के गरीब लोगों को खत्म करने का औजार हैं। अडानी-अंबानी चीन का माल हिंदुस्तान में बेचते हैं।शिक्षा, अस्पताल और सारी व्यवस्था प्राइवेट हाथों में जा रही हैं। उन्होंने जातिगत जनगणना कराने की बात भी कही।कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाकुंभ पर बड़ा बयान दिया कि कुंभ में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी। खरगे ने कहा कि गंगा में डुबकी लगाने से युवाओं को रोजगार मिल जाएगा क्या, इससे गरीबी दूर होगी क्या, पेट को खाना मिल जाएगा क्या? लोग कंपटीशन में डुबकी मार रहे हैं। धर्म पर सभी की आस्था है। धर्म हम सभी के साथ है, लेकिन अगर धर्म के नाम पर किसी समाज में गरीबों की लूट और शोषण होता है, तो वह हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उधर इंदौर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने जनकल्याण अभियान के अंतर्गत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस को आइना दिखाया कि देश में संविधान के साथ खिलवाड़ अगर किसी ने किया है तो वह कांग्रेस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुशासन और समता मूलक समाज के आधार पर देश को आगे बढ़ा रहे हैं। राज्य सरकार “जियो और जीने दो“ के सिद्धांत पर विश्वास करती है और हर गरीब का जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राहुल गांधी अपनी राजनीति की दुकान को मोहब्बत की दुकान बताकर समाज में नफरत फैलाने का सामान बेच रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी ऐसा ही फरेब करना सिखा रहे हैं। लेकिन देश और प्रदेश की जनता कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के इस दोगलेपन को भली भांति जानती है और उनके बहकावे में नहीं आने वाली। कांग्रेस की रैली झूठ फैलाने, समाज को बांटने और सनातन को अपमानित करने के साथ शुरू हुई। कांग्रेस महात्मा गांधी, संविधान और बाबा साहब के नाम पर देश को बांटने का एजेंडा चला रही है। नकली गांधियों ने असली गांधी के विचारों की हत्या कर उन्हें अपमानित करने का काम किया है। इंदौर में बाबा साहब का सम्मान करने वाले और महू में अपमान करने वाले एकत्र हुए हैं। राहुल गांधी केवल आज महू राजनीतिक पर्यटन के लिए आए थे। बाबा साहब डॉ. अंबेडकर और गांधी जी के विचारों से उन्हें और उनकी पार्टी को कोई लेना-देना नहीं है।

तो यही कहा जा सकता है कि 27 जनवरी 2025 को मध्यप्रदेश में यही साबित करने की कोशिश की गई कि देश को बर्बाद करने में किसकी ज्यादा हिस्सेदारी है। वहीं भाजपा और कांग्रेस खुद को बापू, अंबेडकर और संविधान का हितैषी साबित करने में जुटे रहे। हालांकि लोकतंत्र में मतदाता जागरूक है और संविधान को कोई कमजोर न ही कर पाया है और न कभी कर पाएगा। लोकतंत्र के बाड़े में राजनीति के यही अखाड़े हमेशा से सत्ता की कुश्ती जीतने की कोशिश करते रहे हैं। पर मतदाता ने फैसला सुनाते समय हिसाब-किताब का पूरा ख्याल रखा। और इसीलिए संविधान, बापू और अंबेडकर का मान हमेशा बढ़ता रहा है और आगे भी बढ़ता रहेगा…राजनैतिक अखाड़े चलते रहेंगे, कुश्तियां होती रहेंगी और फैसले आते रहेंगे.

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