No Right to Maintenance : मर्जी से पति को छोड़कर मायके में रहने वाली पत्नी को भरण पोषण का अधिकार नहीं!

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No Right to Maintenance : मर्जी से पति को छोड़कर मायके में रहने वाली पत्नी को भरण पोषण का अधिकार नहीं!

कुटुंब न्यायालय ने झूठे आरोप लगाने वाली पत्नी का आवेदन खारिज किया!

Ujjain : पति और ससुराल पक्ष पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर शादी के कुछ समय बाद ही मायके में जाकर रहने वाली पत्नी के भरण पोषण का आवेदन कुटुंब न्यायालय उज्जैन ने खारिज कर दिया। उज्जैन की आशा पति संजय (परिवर्तित नाम) ने दहेज प्रताड़ना और पति द्वारा घर से निकालने को आधार बनाकर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण का आवेदन पत्र दिया था।

पति की ओर से अधिवक्ता ने पैरवी करते हुए न्यायालय के समक्ष सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए और अदालत को सच्चाई बताई। अधिवक्ता ने अपनी दलील से अदालत को अवगत कराया कि पत्नी स्वयं पुलिस थाने में आवेदन देकर आई है कि वह अपने मायके अपनी मर्जी से जा रही है। उसे न घर से निकाला गया और न दहेज की कोई मांग की गई।

पत्नी द्वारा पति और उसके परिजन के विरुद्ध झूठा दहेज प्रताड़ना का प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया था। इसमें पति और उसके परिजन सभी दोष मुक्त किए जा चुके हैं। प्रकरण प्रचलन के दौरान सभी सबूतों का अवलोकन करने के बाद न्यायाधीश किरण सिंह ने अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होकर पत्नी द्वारा प्रस्तुत भरण पोषण का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया है।

भरण पोषण के वंचित होने के कई कारण

पति की अधिवक्ता ने न्यायाधीश के सामने दलील प्रस्तुत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि केवल विवाह कर लेने भर से पत्नी को भरण पोषण का अधिकार खत्म नहीं हो जाता। जब पत्नी अपनी मर्जी से अपने मायके रहने चली गई। बाद में ससुराल पक्ष और पति के मान सम्मान का भी ध्यान नहीं रखा और झूठे दहेज प्रताड़ना के केस में फंसाते हुए उनसे भरण पोषण की मांग की गई।

अधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि जब पत्नी अपने पति के साथ रहना ही नहीं चाहती, तो पति से पत्नी को भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार भी नहीं है। इस तर्क से न्यायाधीश ने सहमत होकर पत्नी के भरण पोषण का आवेदन निरस्त करते हुए प्रकरण का खर्च भी स्वयं को वहन करने का आदेश दिया है।