

2 Senior IAS Officers Were Stopped by a Guard : इंदौर कमिश्नर ऑफिस के गेट पर चौकीदार ने 2 सीनियर IAS को रोका, इसके बाद मचा हड़कंप!
Indore : कमिश्नर ऑफिस में मंगलवार सुबह उस समय अफरा-तफरी का माहौल हो गया, जब दो सीनियर आईएएस अधिकारियों संजीव कुमार झा और ललित दाहिमा को एक चौकीदार ने कमिश्नर ऑफिस के अंदर नहीं घुसने दिया। दोनों सीनियर अधिकारी करीब आधे घंटे तक दफ्तर के बाहर खड़े रहे। इस मामले को लेकर कमिश्रर ऑफिस में बड़ा हंगामा हुआ। संजीव झा और ललित दाहिमा ने पुलिस अफसरों को कड़ी फटकार लगाई।
आईएएस संजीव कुमार झा और ललित दाहिमा राजस्व बोर्ड के लिए इंदौर आए हुए थे। मंगलवार सुबह 11 बजे उनकी कार कमिश्नर कार्यालय पहुंची। तभी मेन गेट पर तैनात गार्ड ने उनकी कार को रोक लिया और पार्किंग में कार खड़ी करके आने के लिए बोला। इस पर अधिकारियों ने परिचय दिया कि वे बोर्ड मेंबर हैं, इसलिए गाड़ी अंदर ले जा सकते हैं।
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अधिकारियों के सुरक्षकर्मी से भी भिड़ गया चौकीदार
गार्ड को यह बात समझ नहीं आया कि बोर्ड मेंबर क्या होता है। उसने मना करते हुए कहा कि सिर्फ अधिकारियों की कार ही अंदर जा सकती है। इसी बात को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई और यह आधे घंटे तक चलती रही। इस दौरान आईएएस का सुरक्षकर्मी बाहर निकल आया, लेकिन चौकीदार उससे भी भिड़ गया। इसके बाद अधिकारियों ने इसकी जानकारी कमिश्नर ऑफिस के अंदर भिजवाई।
दोनों आईएएस अधिकारियों को गेट पर रोक देने की जानकारी मिलने पर कमिश्नर ऑफिस में हड़कंप मच गया। सारे अधिकारी भागकर बाहर आए और गेट खुलवाकर दोनोँ आईएएस संजीव कुमार झा और ललित दाहिमा की गाड़ी को अंदर लेकर गए। इसके बाद दोनों सीनियर आईएएस अधिकारियों ने जमकर नाराजगी जताई और पार्किंग व्यवस्था के सभी जिम्मेदार लोगों को बुला लिया। वहीं गार्ड को भी हटाने का आदेश दिया। लेकिन, थोड़ी देर बाद गार्ड समेत अन्य सभी अधिकारियों ने माफी मांग ली, जिसके बाद मामला शांत हुआ।
दो सीनियर आईएएस को रोके जाने का मामला कमिश्नर ऑफिस की व्यवस्था की कमी है कि अंदर किसी भी ऑफिस में काम से आने वाले लोगों को भी रोकने का एक लाइन का निर्देश दिया गया। जबकि, इस परिसर में सेल टैक्स, लेबर कोर्ट, नाप-तोल विभाग समेत कई ऑफिस है। लेकिन, यहां आने वालों को जबरन पेड पार्किंग में पीछे भेजा जाता है।
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नई पार्किंग व्यवस्था में ढेरों खामियां
कमिश्नर ऑफिस की नई पार्किंग व्यवस्था पिछले तीन-चार महीने से शुरू की गई है। नई पार्किंग व्यवस्था में ढेरों खामियां हैं। कमिश्नर ऑफिस के अंदर करीब 6 से 7 अलग-अलग ऑफिस है और इसके मेन गेट पर चौकीदार खड़ा होकर तय करता है कि वह किसे अंदर आने दे और किसे नहीं आने दे। यह व्यवस्था इसलिए की गई कि पहले जिला कोर्ट के वकील, जज और स्टाफ कमिश्नर ऑफिस के अंदर अपनी गाड़ियां लगा देते थे। बाद में पीछे जमीन लेकर जिला कोर्ट के स्टाफ, वकील और जजों के लिए पार्किंग शुरू की गई।
लेकिन, इसके साथ ही कमिश्नर ऑफिस और अन्य कार्यालयों में आने वालों को भी इसी पार्किंग में भेजा जाने लगा। नई पार्किंग व्यवस्था में कोर्ट के स्टाफ वकीलों और जजों के लिए फ्री व्यवस्था है, बाकी सभी से ₹10 लिए जाते हैं। लेकिन, पार्किंग के ठेकरदार ने अपनी कमाई के लिए पूरे गांधी हाल, अभिनव कला समाज और इंडियन कॉफ़ी हाउस से लगाकर और गांधी हाल के गेट तक किसी भी वाहन को खड़ा नहीं रहने देता। ठेकेदार के गुर्गे दबाव डालकर सबको पार्किंग में भेजते हैं। इस वजह से यहां रोज झगड़े जैसे हालात बनते हैं।
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