Seminar : सम्राट विक्रमादित्य ही भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने वाले प्रथम शासक हैं: डॉ मुरलीधर चांदनीवाला!

राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति ने किया आयोजन, मौजूद अतिथियों ने रखे विचार!  

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Seminar : सम्राट विक्रमादित्य ही भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने वाले प्रथम शासक हैं: डॉ मुरलीधर चांदनीवाला!

Ratlam : चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ही भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने वाले प्रथम शासक हैं। सम्राट विक्रमादित्य भारतीय स्वाधीनता और राष्ट्रीय अस्मिता के दैदीप्यमान ज्योतिपुंज भी थे, जिन्होंने 2 हजार वर्ष पहले ही दुर्दांत शाशकों को देश से खदेड़ कर भारत को स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया था, यह बात मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ व्याख्याकार डॉ मुरलीधर चांदनीवाला ने कही राजाभोज जनकल्याण सेवा समिति ने चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य महाराज द्वारा प्रवर्तित विक्रम संवत- 2082 नव-वर्ष पर संगोष्ठी आयोजित की। शहर के डोंगर नगर स्थित कार्यालय में हुई संगोष्ठी में विशेष अतिथि साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने 2 हजार वर्ष पूर्व शासन, समाज, शिक्षा, और राष्ट्र और व्यवसाय की सूरक्षा के लिए जो नियम नितियां बनाई थी वह आज तक प्रासंगिक है। आज आवश्यकता है कि सम्राट विक्रमादित्य द्वारा सामाजिक उत्थान के जिन मापदंड को स्थापित किया गया था उनका पूनर्मूल्यांकन हो।

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इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं वैदिक ऋचाओं के प्रमुख व्याख्याकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, विशेष अतिथि साहित्यकार आशीष दशोत्तर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी एवं पूर्व प्राचार्य ओपी मिश्र ने की। जानकारी देते हुए संस्था के जिला संयोजक नरेन्द्र सिंह डोडिया ने बताया कि संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह पंवार ने सम्राट विक्रमादित्य के व्यक्तित्व और उनकी ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालते हुए नौरत्नों के रुप में स्थापित शासन व्यवस्था की प्रासंगिकता को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रेखांकित किया। पंवार ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने 2 हजार वर्ष पूर्व ही सुचारू शासन के संचालन हेतु नौ विभाग बनाए थे जोकि उनके नौ-रत्न कहलाते हैं।

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मुख्य अतिथि डॉ. चांदनीवाला ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ही भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने वाले प्रथम शासक हैं उन्होंने विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत के रुप में मान्यता दिलवाने के लिए संस्था के माध्यम से मुहिम चलाने का आह्वान भी किया।

 

संगोष्ठी में विचार रखते हुए शिक्षक सांस्कृतिक मंच जिलाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है, इसके लिए विद्यालयों में इस प्रकार की संगोष्ठियों के आयोजन अधिक प्रभावी सिद्ध होंगे। विक्रम संवत नववर्ष पर आयोजित संगोष्ठी में शहर के साहित्य प्रेमी विनोद झालानी , प्रोफेसर दिनेश राजपुरोहित, जनवादी लेखक संघ जिलाध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर एवं महाराव अखेराज सोनगरा क्षत्रिय चेतना मंच के सह-संयोजक नटवर सिंह सोनगरा ने भी सम्राट विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था और सामाजिक उत्थान पर अपने विचार रखें।

 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् ओपी मिश्र ने राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किए जाने वाले विक्रमोत्सव की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए इस प्रकार के आयोजन की महत्ता को रेखांकित किया। इस अवसर पर डॉक्टर चांदनीवाला ने संस्था द्वारा विकसित किए जा रहें पुस्तकालय के लिए वैदिक ऋचाओं के सात खंड भी संस्था अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह पंवार को भेंट किए। गोष्ठी के अंत में महाराव अखेराज सोनगरा क्षत्रिय चेतना मंच के राष्ट्रीय संयोजक बहादुर सिंह सोनगरा ने आभार व्यक्त किया।