Indore : भय्यू महाराज की आत्महत्या के बाद सनसनी हो गई थी। जिसने भी ये सुना, उसे लग गया था कि इसके पीछे कोई बहुत बड़ी साजिश होगी! लेकिन, समय के साथ मामला ठंडा पड़ने लगा।
पुलिस को भी जांच को कोई ऐसा तथ्य हाथ नहीं लग रहा था, जिससे परतें खोली जा सके! मामले की शुरुआती जांच पुलिस इसे सामान्य मानकर चल रही थी। स्थिति ये आ गई थी कि भय्यू महाराज की मौत को घरेलू विवाद मानकर फाइल बंद करने की तैयारी कर ली गई थी।
आत्महत्या मामले में शुरू में पुलिस ने 20 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। इनमें परिवार के लोग थे और उनके नजदीकी लोग भी।
लेकिन, कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आया! फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (First Investigation Officer) CSP मनोज रत्नाकर ने भी अपनी रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही हवाला दिया था।
लेकिन, बाद में हालात ऐसे बदले की पुलिस के कान खड़े हो गए! पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ कि भय्यू महाराज चरित्र के मामले में ईमानदार नहीं थे। उनके कई लड़कियों / महिलाओं से रिश्ते थे। इनमें से दो तो IAS अफसर हैं।
पुलिस जांच के मुताबिक, दो महीने बाद भय्यू महाराज के नजदीकी वकील निवेश बड़जात्या को 5 करोड़ रूपए देने की धमकी मिली। फोन करने वाले ने उनको धमकाया कि पांच खोखे (करोड़) दे दो नहीं तो जिंदा नहीं रह सकोगे! निवेश ने पुलिस को बताया तो पुलिस सक्रिय हुई।
लेकिन, वकील को धमकाने वाला महाराज का ड्राइवर रह चुका कैलाश पाटिल निकला। यह बात पुलिस के पास पहुंची तो कैलाश पाटिल से सख्ती से पूछताछ की गई! इसके बाद ही भय्यू महाराज के सेवादार विनायक, शरद और शिष्या पलक के षड़यंत्र का राज खुला!
पुलिस की पूछताछ में कैलाश ने कबूल किया कि वो कई बार भय्यू महाराज की गाड़ी से पलक को घर से आश्रम लाने और ले जा चुका है। इस दौरान गाड़ी में पलक जो भी बातें विनायक और शरद से करती थी, वो उसे याद है।
उसने पुलिस को वो बातें भी बताई। इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने शरद, विनायक और पलक को बुलाया और उनको टटोला। इसके बाद ही खुलासा हुआ कि तीनों ने ही मिलकर भय्यू महाराज को आत्महत्या के लिए उकसाया था।
पुलिस के हाथ कुछ नहीं
12 जून, 2018 को भय्यू महाराज ने कनपटी में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच में दो महीने तक पुलिस अंधेरे में तीर चलाती रही।
लेकिन, तत्कालीन DIG हरिनारायण चारी मिश्र को शुरू से ही इस मामले को लेकर संदेह रहा! यही कारण था कि उन्होंने जांच करने वाले अधिकारियों को लगातार नजर रखने को कहा था।
जब हारकर पुलिस मामले की फाइल बंद करने की तैयारी में थी, उसी दौरान अचानक विनायक, पलक और शरद को गिरफ्तार कर चौंका दिया। ये घटना 6 महीने की है।
धमकी भरे फोन से जुड़ी कड़ियां
भय्यू महाराज से 22 साल से वकील निवेश बड़जात्या को एक अनजान फोन आया, जिसमें उससे जान के बदले 5 करोड़ की मांग की गई थी। कहा गया था कि उसे (निवेश बड़जात्या) मारने के लिए सुपारी दी गई है।
लेकिन, वकील ने इंकार कर दिया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। निवेश ने ये जानकारी पुलिस को दी। MIG पुलिस ने इस फोन के आधार पर जिसे पकड़ा, वो भय्यू महाराज का पुराना ड्राइवर कैलाश पाटिल था। उसे नौकरी से निकाल दिया गया था।
कैलाश के साथ जब पुलिस ने सख्ती की, तो उसने घटना से जुड़ी कई परतें खोली। इसके बाद पुलिस ने आत्महत्या कांड की फाइल को फिर से खोल दिया और फिर जांच शुरू की गई।
इंग्लिश नहीं आती, पर साथ रहते हुए महाराज की बातें समझ लेता था
कैलाश ने पुलिस को दिसंबर 2018 में जो बयान दिया, उसका निष्कर्ष था कि वो 2004 से भय्यू महाराज की गाड़ी चला रहा था। वो कम पढ़ा-लिखा था और इंग्लिश बिलकुल नहीं जानता था। पर भय्यू महाराज के साथ रहते हुए थोड़ी-बहुत इंग्लिश समझने लगा था।
कैलाश ने पुलिस को बताया था कि भय्यू महाराज कार में अकसर लड़कियों से इंग्लिश में बात करते थे। उन्हें लगता था कि मुझे कुछ समझ में नहीं आता, पर मैं उनकी बातों को समझ लेता था। कैलाश ने ही पुलिस को बताया कि सोनिया, पलक, शालिनी, मल्लिका जैसी करीब 12 लड़कियों से उनके रिश्ते थे।
इनमें दूसरे राज्य की दो महिला IAS भी शामिल हैं। इस बारे में विनायक और शेखर को सारी जानकारी थी। दोनों के पास इन लड़कियों के फोन भी आते थे। कैलाश ने बताया था कि भय्यू महाराज को ब्लैकमेल करने वाली पलक भी महाराज की ही भरोसेमंद मनमीत के नजदीक रहती थी।
मनमीत ने ही उसे विनायक और शेखर से मिलवाया और उसे आश्रम में रखवाया था। विनायक और शेखर ने ही भय्यू महाराज से रुपए ऐंठने का प्लान बनाया था। मुझे बीच में 6 महीने के लिए कुहू के पास पुणे भेज दिया गया था, इस कारण मैं भय्यू महाराज और आश्रम से दूर हो गया।