आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74 वीं पुण्यतिथि है। देश आज का दिन प्रिय बापू की याद में शहीद दिवस के रूप में मनाता है। इस दिन लोग अलग-अलग तरह से बापू को याद करते हैं और उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं। केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार सभी प्रदेश औऱ केंद्रशासित राज्यों में 30 जनवरी के दिन 2 मिनट का मौन भी रखा जाएगा। 11 बजे सायरन बजेगा और मौन रहने की याद दिलाएगा।
आमजन तो गांधी और देश के सभी शहीदों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करेगा और दो मिनट का मौन रखकर अपना फर्ज उतनी ही ईमानदारी से निभाएगा, जितनी ईमानदारी से शहीदों ने देश के प्रति अपना फर्ज निभाया था। मौन रहने के साथ ही यह भी जरूरी है कि गांधी जी ने जो राह दिखाई थी, जो विचार हमें दिए थे, हम उनको सच्चे मन से स्वीकार कर लें। शायद गांधी जी की शहादत तभी फलीभूत होकर देश में सद्भाव, प्रेम और भाईचारे के रूप में पोषित-पल्लवित होगी।
गांधी के भावों को समझने और जीवन में उतारने के लिए उनका यह प्रिय भजन ही काफी है। गुजरात के संत कवि नरसी मेहता की यह रचना, महात्मा गांधी को अतिप्रिय थी। “वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे। पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे। सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे। वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे। वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे।
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, पर स्त्री जेने मात रे। जिहृवा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे। मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ वैराग्य जेना तन मा रे। राम नामशुं ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मा रे। वण लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्या रे।भणे नर सैयों तेनु दरसन करता, कुल एको तेर तार्या रे ।।
हिंदी में अर्थ भी समझ लें कि सच्चा वैष्णव वही है, जो दूसरों की पीड़ा को समझता हो। दूसरे के दु:ख पर जब वह उपकार करे, तो अपने मन में कोई अभिमान ना आने दे। जो सभी का सम्मान करे और किसी की निंदा न करे। जो अपनी वाणी, कर्म और मन को निश्छल रखे, उसकी मां (धरती मां) धन्य-धन्य है।
जो सबको समान दृष्टि से देखे, सांसारिक तृष्णा से मुक्त हो, पराई स्त्री को अपनी मां की तरह समझे। जिसकी जिह्वा असत्य बोलने पर रूक जाए, जो दूसरों के धन को पाने की इच्छा न करे।जो मोह माया में व्याप्त न हो, जिसके मन में दृढ़ वैराग्य हो। जो हर क्षण मन में राम नाम का जाप करे, उसके शरीर में सारे तीर्थ विद्यमान हैं। जिसने लोभ, कपट, काम और क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली हो। ऐसे वैष्णव के दर्शन मात्र से ही, परिवार की इकहत्तर पीढ़ियां तर जाती हैं, उनकी रक्षा होती है।
वैसे तो दो मिनट का मौन भी हमें बहुत कुछ देकर ही जाएगा। मौन रहने से दिमाग तेजी से काम करने लगता है। ठीक समय पर सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। तनाव को कम करता है। शरीर ऊर्जावान बना रहता है। इससे आत्मविश्वास, आत्मशक्ति, एकाग्रता और मन की शांति बढ़ती है। व्यक्ति के पॉज़िटिव सोच को बल मिलता है। अगर अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो मौन रहना सीख लीजिए।
मौन का रोज़ाना अभ्यास करने से मन और शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। शायद दो मिनट मौन रहकर गांधी को प्रिय इस भजन का ही अर्थ समझकर मनन-चिंतन किया जाए और अनुसरण करने की तरफ 30 जनवरी को पहला कदम बढ़ा दिया जाए, तो हम गांधी के सपनों का देश बनता हुआ देख सकेंगे। तो आइए शहीद दिवस के दिन हम सब मिलकर मौन का सम्मान करें और बापू व सभी शहीदों का दो मिनट ही सही सच्चे मन से मान रखें…।