Children’s Drama Camp from Today : बाल विनय मंदिर में आज से बाल नाट्य शिविर, 50 स्कूलों के स्टूडेंट्स सीखेंगे रंगकर्म!

बच्चों के इस शिविर में प्रतिदिन रंगकर्मियों के संवाद कार्यक्रम भी आयोजित होंगे!

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Children’s Drama Camp from Today : बाल विनय मंदिर में आज से बाल नाट्य शिविर, 50 स्कूलों के स्टूडेंट्स सीखेंगे रंगकर्म!

Indore : स्थानीय उत्कृष्ट बाल विनय मंदिर में आज 5 मई से 15 दिन के बाल नाट्य शिविर ‘हल्ला गुल्ला’ की शुरूआत हो रही है। 15 दिवसीय इस शिविर में करीब 50 स्कूलों के स्टूडेंट्स हिस्सा लेंगे। इसका शुभारंभ स्कूल परिसर में प्राचार्य पूजा सक्सेना करेंगी। यह जानकारी नाट्य शिविर के प्रबंध निदेशक तपन मुखर्जी ने दी।

उन्होंने बताया कि यह शिविर स्कूल के परिसर में प्रतिदिन सुबह 8 से 11 बजे तक जारी रहेगा। इसमें स्कूल के साथ ही रंगकर्म का प्रशिक्षण हासिल करने वाले शहर के कुछ बच्चे भी रजिस्ट्रेशन के माध्यम से हिस्सा ले रहे हैं। बच्चों के इस शिविर में प्रतिदिन रंगकर्मियों के संवाद कार्यक्रम भी होंगे। साथ ही बच्चों के साथ मिलकर नाट्य प्रस्तुतियों को भी तैयार किया जाएगा।

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मुखर्जी ने बताया कि पिछले साल रंगकर्म के लिए विभिन्न स्तरों पर निरंतर काम करने वाले साथी शकील अख़्तर, डॉ परशुराम तिवारी और सीमा व्यास ने मिलकर बच्चों के इस रंग शिविर को पुनर्जीवित किया। इसे शासकीय बाल विनय मंदिर, उत्कर्ष विद्यालय की प्राचार्य पूजा सक्सेना का सहयोग और समर्थन मिला। इस साल हमें इस आयोजन के प्रबंधन और संचालन में वरिष्ठ संस्कृतिकर्मियों का सहयोग मिल रहा है। इनमें शेखर पाठक, रिशिना नातू, रवि वर्मा, राकेश साहू, राजेंद्र चौहान जैसे वरिष्ठ कलाकार साथी शामिल हैं। इसके साथ स्कूल की सहयोगी समन्वय समिति में हमें मंजू शर्मा, वैशाली यादव, कीर्ति गुरू सुश्री माहेनूर के साथ ही विकाश कुमार शामिल हैं।

शिविर शिक्षिका एवं संस्कृतिकर्मी स्व आशा कोटिया के बाल नाट्य एवं कला के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान को समर्पित है। साल 1990 से 2005 तक आशा कोटिया एवं प्रोफ़ेसर डॉ सनत कुमार द्वारा स्थानीय साथियों के सहयोग से मई माह में स्व कैलाशचन्द्र कोटिया की स्मृति में इंदौर में ‘हल्ला -गुल्ला’ बाल रंग शिविर का आयोजन निरंतर होता था। 5 जुलाई 2006 को आशा कोटिया के निधन के बाद डॉ सनत कुमार एवं अन्य रंगकर्मी साथियों के सहयोग से इंदौर में यह आयोजन 2009 तक निरंतर चलता रहा। परंतु 1 दिसम्बर 2012 में डॉ सनत कुमार के निधन के बाद यह सिलसिला थम गया था। बीते साल से यह फिर से शुरू हो सका।