Wonder of Dacoit’s Grandson : जिसे कहा जाता रहा ‘डकैत का पोता’ उसने रचा इतिहास, पहले IIT और अब UPSC में झंडा गाड़ दिया!

देव ने साबित किया कि किसी की पहचान उसके अतीत से नहीं, उसके कर्मों से बनती है!

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Wonder of Dacoit’s Grandson : जिसे कहा जाता रहा ‘डकैत का पोता’ उसने रचा इतिहास, पहले IIT और अब UPSC में झंडा गाड़ दिया!

Gwalior : परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। ग्वालियर के देव तोमर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक ऐसा सफर, जो चंबल की घाटियों से शुरू होकर यूपीएससी की प्रतिष्ठित सूची तक पहुंचा। देव तोमर का जन्म ग्वालियर के एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसकी पृष्ठभूमि संघर्षों से भरी रही। उनके दादा कभी चंबल क्षेत्र के डकैतों में गिने जाते थे। एक ऐसी पहचान जिसने देव को समाज की आलोचना और तानों का शिकार बना दिया।

लोगों ने यहां तक कह दिया कि डकैत का पोता कुछ नहीं कर पाएगा। लेकिन, देव ने साबित कर दिया कि किसी की पहचान उसके अतीत से नहीं, उसके कर्मों से बनती है। देव ने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए आईआईटी में दाखिला लिया और फिर नीदरलैंड्स की मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी फिलिप्स के मुख्यालय में वैज्ञानिक के तौर पर काम किया। वहां उनकी सालाना सैलरी लगभग 88 लाख रुपये थी। एक ऐसा करियर जो किसी का भी सपना हो सकता है। लेकिन, देव का सपना अलग था। उन्होंने इस चमकदार कॉर्पोरेट जीवन को छोड़कर देश सेवा का रास्ता चुना और यूपीएससी की राह पकड़ी।

देव की UPSC यात्रा आसान नहीं रही। उन्होंने 6 प्रयास किए, जिनमें 4 बार मुख्य परीक्षा और 3 बार इंटरव्यू तक पहुंचे। हर बार उन्हें असफलता हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनका आत्मविश्वास बना रहा और मेहनत जारी रही। 2025 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में देव ने ऑल इंडिया रैंक 629 हासिल की, जो किसी भी आम इंसान के लिए बड़ी बात है। लेकिन देव के लिए यह एक नई पहचान बनाने का प्रतीक बन गई।

यह उनकी मेहनत, धैर्य और आत्मबल का प्रमाण है। देव तोमर की सफलता की कहानी सिखाती है कि कोई भी बैकग्राउंड आपकी सफलता को तय नहीं करता। असली पहचान आपके प्रयासों से बनती है। देव ने समाज की सोच को बदला, खुद को बदला और अब वो दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं।