प्रदेश की ग्रामीण आबादी स्वच्छ पेयजल की सुविधा पाकर हर्षित है।विशेष रूप से ग्रामीण बहनें जिन पर घर में पीने का पानी लेकर आने का दारोमदार होता है ,उनके जीवन की कठिनाइयां दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की पहल रंग ला रही है। मध्यप्रदेश में 4000 से अधिक ग्रामों में टोंटी से पेयजल प्रदाय की व्यवस्था फलीभूत हुई है। इस कार्य को मजबूत संकल्प और एक संवेदनशील मन के साथ ही किया जा सकता था। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्य को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल कर बीते 2 वर्ष में अनेक बार जल जीवन मिशन के कार्यों की जानकारी ली। बैठकें कीं। सामने आई कमियों को दूर करने की हिदायत दी और अच्छे परिणाम लाने के लिए अमले को प्रोत्साहित भी किया। इसके फल स्वरुप मध्यप्रदेश मिशन के कार्यों में देश में तीसरे क्रम पर है। जो प्रदेश गांव में शुद्ध पीने का पानी नल के माध्यम से पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं, उनमें मध्यप्रदेश काफी आगे है।
*मुख्यमंत्री द्वारा की गई सतत समीक्षा*
मध्य प्रदेश जल जीवन मिशन के कार्यों में यूं ही अग्रणी नहीं है। इसके लिए यहां सतत समीक्षा का कार्य मुख्यमंत्री स्तर पर हुआ है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की शहरी और ग्रामीण आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने पर जोर देते रहे हैं।उनका कहना है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए निर्मित रोडमैप में निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्रदेश में समस्त नलजल योजनाओं के कार्य सम्पन्न होना जरूरी हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योजनाओं के बेहतर संधारण के लिए ग्राम इंजीनियर पदस्थ करने को कहा है। उन्होंने वृहद परियोजना के कार्यों में समय पर कार्यों की पूर्णता के लिए संबंधित एजेंसी और अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के भी साफ साफ निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विलंब से होने वाले कार्यों पर जिम्मेदारी तय कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएं। नलजल योजनाओं का कार्य पूर्ण होने पर ग्रामों में विशेष ग्राम सभा आयोजित कर ग्राम को “हर घर जल” श्रेणी का ग्राम घोषित किया जाए। योजना के निर्माण कार्य पूरे होने पर संबंधित पंचायत को योजना हस्तांतरित की जाए। ग्राम जल और स्वच्छता समिति के पदाधिकारी ग्रामवासियों से जन-संवाद भी करेंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी को ऐसी महत्वाकांक्षी और उपयोगी योजना लागू करने के लिए ग्रामवासियों द्वारा आभार-पत्र भी भेजे जायेंगे।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हाल ही में जब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की गतिविधियों की समीक्षा की थी तब इस बारे में निर्देश दिए थे।श्री चौहान का यह भी स्पष्ट मत है कि ऐसे स्थान जहाँ जल स्रोत सफल नहीं हैं, वहाँ पाइप लाइन स्थापित करना एक किस्म की अनियमितता है। ऐसे प्रकरणों में दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। विभाग के अभियंता अपने कार्यक्षेत्र में नियमित भ्रमण भी करें।उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन की सतत् समीक्षा करने को कहा है।
*ग्राम स्तर पर पदस्थ किए जाएं तकनीकी जानकार*
मुख्यमंत्री श्री चौहान का मानना है कि ग्राम स्तर पर ऐसे ग्रामीण इंजीनियर को तैनात किया जाए जो विद्युत कनेक्शन, पेयजल प्रदाय व्यवस्था, सिंचाई पम्पों से संबंधित प्रबंध, आवास निर्माण के तकनीकी पहलुओं आदि की जानकारी रखता हो। पम्प और वाल्व ऑपरेटर का प्रशिक्षण कुछ ही दिनों में दिया जा सकता है। रोजगारविहीन युवाओं को इन कार्यों के लिए तीन छह माह के छोटे प्रशिक्षण कोर्स का लाभ दिलवाकर ग्रामों में पेयजल प्रदाय योजना और अन्य योजनाओं में मेन्टेनेंस का दायित्व सौंपा जाए। मध्यप्रदेश में इस क्षेत्र में एक मॉडल तैयार कर उसके क्रियान्वयन की पहल की जाए। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग नोडल विभाग की भूमिका का निर्वहन करे। बड़े ग्रामों में एक से अधिक युवक भी यह जिम्मेदारी वहन कर सकते हैं।
*मध्यप्रदेश में पेयजल की माकूल व्यवस्था*
मध्यप्रदेश में मार्च 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन द्वारा जल प्रदाय की उपलब्धता 30.55 प्रतिशत हो गई थी, जो वर्तमान में 37.10 प्रतिशत है। प्रदेश में विभिन्न नलजल योजनाओं पर 42 हजार 643 करोड़ रूपए की राशि खर्च हो रही है। गत वित्त वर्ष में 26 लाख घरों तक पेयजल कनेक्शन के मुकाबले 19 लाख 89 हजार घरों में कनेक्शन दिए गए जो लक्ष्य का तीन चौथाई है। वर्ष 2024 तक प्रदेश के सभी लगभग 122 लाख ग्रामीण परिवारों तक पेयजल उपलब्धता के लक्ष्य के मुकाबले गत दिसम्बर तक 45 लाख 10 हजार लाख परिवारों तक पेयजल उपलब्ध करवाया जा चुका है। अगले तीन माह में 52 लाख 62 हजार लाख परिवारों तक पेयजल उपलब्ध होगा। नल और बिजली से जुड़े मरम्मत कार्यों के लिए 50 हजार मैकेनिक आगामी तीन वर्ष में प्रशिक्षित करने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड के माध्यम से प्रशिक्षण आईटीआई और अन्य संस्थाएँ प्रारंभ कर चुकी हैं। जल जीवन मिशन में ग्राम और एफएचटीसी (फंक्शनल हाउस होल्ड टेप कनेक्शन) कार्य-योजना में 25 हजार 399 ग्रामों की समूह नल जल योजना में 9 हजार 351 कार्य प्रगति पर हैं। कुल 26 हजार 186 ग्रामों की एकल ग्राम नल जल योजना में 8 हजार 176 कार्य प्रगति पर हैं। यह व्यवस्था भी की गई है कि योजना के क्रियान्वयन के लिए सड़क खुदाई की अनुमति के लिए कांट्रेक्टर जल निगम के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करेगा। यह अनुमति अलाइनमेंट परीक्षण के बाद प्रदान की जायेगी और उसके बाद ही कांट्रेक्टर रोड कटर का उपयोग करेगा। पाइप लाइन डालने के बाद कांट्रेक्टर द्वारा सड़क की आवश्यक मरम्मत करवाई जायेगी। सड़क को पूर्वास्था में लाने के लिए योजना की डीपीआर में प्रावधानित राशि का भुगतान किया जाएगा।
*मध्यप्रदेश जल जीवन मिशन के कार्यों में अग्रणी*
भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना में वित्त वर्ष 2021-22 में केन्द्रांश- राज्यांश की राशि के व्यय में मध्यप्रदेश 2,790 करोड़ की राशि का उपयोग कर प्रथम स्थान पर है। हर घर जल उपलब्ध करवाने में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहां 4,044 ग्राम में यह सुविधा दिलवाई जा चुकी है। प्रदेश में मई 2020 से वर्तमान तक 27 लाख 65 हजार परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया है। इस अवधि में प्रदेश में नल से जल का प्रतिशत 14.5 से बढ़ाकर 37.10 प्रतिशत तक पहुँचाया गया। मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहाँ समस्त जिला स्तरीय पेयजल परीक्षण प्रयोगशालाएँ एनएबीएल (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एण्ड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज) प्रमाणित हैं। मिशन से तेजी से क्रियान्वय के लिए प्रदेश के बजट में वर्ष 2020-21 में इस कार्य के लिए तीन गुना अधिक राशि दी गई। वर्तमान वित्त वर्ष में देश में मध्यप्रदेश को सबसे पहले प्रथम किश्त की द्वितीय ट्रांच राशि 1247 करोड़ प्राप्त हुई है।यह प्रदेश के लिए उपलब्धि है।