
ब्रह्मांड सुंदरियाँ
मुकेश नेमा
सवाल यह कि मिस वर्ल्ड ,मिस यूनिवर्स चुनते कैसे है ? देखा जाये तो हर लड़की सुंदर। किसी की आँखे सबसे मादक तो किसी की हँसी। हमें तो किसी शादी ब्याह के मौक़े पर इकट्ठा लड़कियों में से सबसे सुंदर चुनने में पसीने आ जाते हैं। फिर ये पूरी दुनिया में से सबसे सुंदर लड़की चुनना ! कैसे कर लेते हैं ये चुनने वाले ! यह बात समझना थोड़ा मुश्किल है।
फिर सुंदरता के पैमाने क्या होते होंगे ? यह जानना भी ज़रूरी है कि ऐसी प्रतियोगिताओं में सुंदरता बस नाक नक़्श की ही परखी जाती है या उसकी पर्सनालिटी की ,बोलने बताने के तरीक़े की ,उसके दिमाग़ की भी जाँच पड़ताल की जाती है। वैसे इस तरह की फ़िज़ूल की कसरत की ज़रूरत भी कहाँ है ? यदि किसी लड़की को सुंदर करार देने के पहले यदि उसके दिमाग़ को टटोलने की ज़रूरत महसूस हो तो उसे सुंदर मानने में मुझे असमंजस होगा।
कुछ संतोषी लोग यह भी कहते पाये गये है कि तन के बजाय मन की सुंदरता ज़्यादा मायने रखती है। ऐसा कहने वाले ज़्यादातर लोग वो है जिनका बाल विवाह हुआ है। किसी को सुंदर करार दिये जाने में सबसे ख़ास रोल देखने वाले की आँखों का ही है ,और आँखे एकदम से मन की थाह ले लें यह तो हो नहीं सकता। अब बताईये कौन गधा ऐश्वर्या ,प्रियंका चोपड़ा या दीपिका को सुन्दर करार देने के पहले उनके मन में झांकने तक इंतज़ार करेगा।
सुंदर होने में सबसे मज़े की बात यह कि इसमें सुंदर लगने वाली का अपना कुछ भी योगदान नहीं होता। सुंदर होने के लिये हल नही चलाना पड़ते। आमतौर पर किसी के सुंदर होने के पीछे उसकी माँ बाप के नाक नक़्श ज़िम्मेदार होते है । यह सब बस क़िस्मत का खेल है ,इसे ऐसा समझे ,यदि आप कपूर फ़ैमिली में पैदा होते हैं तो यह आपके सुंदर होने की ग्यारंटी है पर देवगण के यहाँ पैदा होने पर आप का क्या होगा यह पूरे भरोसे से नहीं कहा जा सकता।
और फिर हमारे यहाँ का कोई समझदार यह बता गया था सुंदरता देखने वाले की आँखों में होती है। मजनू को काली कलूटी लैला में हूर की परी दिखी ,भरी जवानी में दफ़्न हो गये वो उसके लिये ,तो केतन आनंद को सनी देयोल की महिला अवतार प्रिया राजवंश परम सुंदरी लगी । ऐसी लगी की वह उनके दिल के अलावा उनकी फ़िल्मों की भी हीरोईन बनी ,उनकी फ़िल्मों का सत्यानाश किया इस भावहीन महिला ने ,और लाखों दर्शकों के करोड़ों क़ीमती घंटे ,धन के साथ साथ दिमाग़ भी ख़राब हुए।
कुल मिलाकर किसी लड़की को सबसे सुंदर तभी करार दिया जा सकता है जब आप उसके इश्क में पड़ गये हों। वो आपके दिमाग़ पर पूरी तरह क़ब्ज़ा कर चुकी हो और आप उसके लिये पूरे ज़माने से अपनी हँसी उड़वाने के लिये तैयार हों। मेरे ख़्याल से जिस लडकी को देखते ही मुँह खुला रह जाये ,मख्खियां बिना डरे आ जा सकें उसमें , दिमाग़ बिना नोटिस दिये हड़ताल पर चला जाये और टटोले से भी दिल अपनी जगह पर ना मिले तो उसे बिना शक सुंदर मान लेना चाहिए।
सुंदर होने के अपने फ़ायदे हैं। सुंदर लड़कियों का सुंदर होना ही काफ़ी है। उन्हें अपने कैरियर की चिंता नहीं करनी पड़ती। फिल्मों ,मॉडलिंग में दिलचस्पी ना भी हो तो भी उन्हें ज़िंदगी भर के लिये कोई गधे जैसा मेहनती ,होनहार सफल लड़का शॉपिंग के बड़े बड़े बैग उठाने के लिये ,कार का दरवाज़ा खोलने के लिये मुफ़्त हासिल होता है। वे जो बोलती है वही सही होता है। वो जो कुछ बोलें उसके पहले ही तालियाँ बजने लगती हैं। उन्हें हर जगह तवज्जो मिलती है ,दुनिया भर के सारे रेड कार्पेट उनके लिये ही हैं। सुंदर लड़की को कभी लाईन में नहीं लगना होता ,वे जहां होती है वहाँ उपस्थित सारा ही पुरूष समाज अतिशय विनम्र और भद्र हो जाता है। सुंदर लड़कियों को क़ानून व्यवस्था बनाये का श्रेय भी है और दुनिया के तीन चौथाई से ज़्यादा युद्ध भी उनकी ही वजह से हुए हैं।
हम तो बिना शक यह मानते है कि हिंदुस्तानी लड़कियाँ सबसे सुंदर। और फिर सौ की एक बात। अरबों डॉलर के टर्नओवर वाला सुंदरता का बाजार भी हर दो पांच साल मे इस बात की तस्दीक करता है कि हमारी लड़कियाँ सबसे सुंदर है। बाज़ार है मालिक ,और मालिक कहे दिन तो दिन ,वो कहे रात तो रात। ऐसे मे आपको भी बिना ना मुकुर किये मान लेना चाहिये कि हमारे देश की लड़कियाँ इस धरती की। पूरे ब्रह्माण्ड की जिसमें सूरज से भी बड़े बड़े ,करोड़ों अरबों ,अनगिनत तारे शामिल हैं कि सबसे खूबसूरत लड़कियां हैं।





