बसंत पंचमी के पावन पर्व पर देवर्षि नारद ने मृत्युलोक आकर बसंत की छटा देखने का मन बनाया और फिर क्या था सोचते ही दूसरे पल देवभूमि पर प्रकट हो गए। जैसे ही नेटवर्क में आए तो उनके सुपर टेक्नोलॉजी वाले मोबाइल के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज का अंबार लग गया। नारद जी ने मोबाइल के स्क्रीन पर नजरें गड़ाईं तो देखा कि एक ग्रुप का नाम ही “सोशल मीडिया” था, जिस पर सबसे ज्यादा मैसेज आ रहे थे।
गौर से देखा तो दिग्गज पत्रकारों के समूह के साथ-साथ नौकरशाह, राजनेता सबकी सक्रियता देखकर नारद को समझ में आ गया कि असल खबरी मीडिया ग्रुप तो यही है। लोकेशन ट्रेस की तो पता चला कि ह्रदय प्रदेश की राजधानी में नारद का आगमन हो चुका है। सोशल मीडिया ग्रुप्स के मैसेज पर नजर डाली तो पाया कि कांग्रेस-भाजपा हो या फिर अंदरखाने की खबरें सबसे पहले “सोशल मीडिया” ग्रुप पर ही दस्तक दे रही हैं।
मुख्य तौर पर दो दलीय व्यवस्था की इस भूमि में दोनों ही दलों की प्रतिस्पर्धा भी है और प्रेम भी ऐसा कि गले लगने में भी देर नहीं लगाते। व्यवहार तो ऐसा कि मानो अपने से ज्यादा दूसरे दल के नेताओं की चिंता हो। थोड़ा और पड़ताल की, तो पता चल गया उन्हें कि अभी करीब दो साल पहले ही नाथ के दल से ज्योति बुझी और वहां सत्ता की रोशनी गायब हो गई। उधर कमल दल ज्योतिमय हुआ और शिव ने चौथा गियर डालकर तेज रफ्तार से गाड़ी आगे बढ़ा दी। बैकग्रांउड से आगे बढ़े तो दो मैसेज पर नजर डाली, फिर तो मानो देवर्षि का भरोसा कायम ही हो गया।
एक दोहे की पंक्ति याद आ गई कि “अपने-अपने घरन की सब काहू खों पीर…।” देवर्षि सोचने लगे कि ह्रदय प्रदेश में कांग्रेस-भाजपा पर यह बात लागू नहीं होतीं। इन्हें तो एक-दूसरे की पीर ज्यादा नजर आ रही है। सोशल मीडिया ग्रुप पर दो मैसेज पढ़कर नारद को लगा कि जैसे कांग्रेस का समय भाजपा की चिंता में ही बीत रहा हो। और थोड़ा नीचे देखा तो ऐसा लगा कि भाजपा को खुद से ज्यादा चिंता कांग्रेस की हो। नारद गहरे सोच में डूब गए कि क्या यहीं असल लोकतांत्रिक भावना है? या फिर दो विरोधी दलों के बीच पारस्परिक प्रेम, चिंता का ऐसा अद्भुत दृश्य केवल ह्रदय प्रदेश में ही नजर आ सकता है। नारद सोचने लगे कि क्या शिव की सत्ता से बेदखली और पंद्रह महीने बाद वापसी के बीच भी पारस्परिक प्रेम और चिंता ने ही काम किया था। मुस्कराते हुए नारद फिर नारायण, नारायण जपते हुए मैसेज की तरफ मुखातिब हो गए।
पहला मैसेज पढ़ने लगे नारद कि भाजपा के बूथ विस्तारक कार्यक्रम पर कांग्रेस ने उठाए सवाल , कहा भाजपा की गुटबाजी व अंतर्कलह के कारण यह कार्यक्रम महाफ्लॉप साबित हुआ। आगे यह कि इस कार्यक्रम से भाजपा नेताओं ने ही बनाई दूरी, शिवराज जी सहित तमाम केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेश के मंत्रियों में से किसी ने भी इस कार्यक्रम के तहत 100 घंटे बूथ पर पूरे नहीं किए…।
फिर आगे कि कांग्रेस ने पूछा सवाल , भाजपा बताये किस-किस नेता ने कितने-कितने घंटे इस कार्यक्रम के लिए दिये। विस्तार में गए तो पता चला कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने भाजपा के बूथ विस्तारक कार्यक्रम को लेकर यह आरोप लगाए हैं। वजह भी बताई कि महाफ्लॉप के पीछे भाजपा की गुटबाजी व अंतर्कलह बड़ा कारण है और चूँकि यह कार्यक्रम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जारी किया था ,इसलिए तमाम भाजपा नेताओं ने इसका बहिष्कार करते हुए इस कार्यक्रम से पूरी तरह से दूरी बनायी।
और आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर ,ज्योतिरादित्य सिंधिया ,फग्गन सिंह कुलस्ते ,प्रह्लाद पटेल एवं मध्य प्रदेश के तमाम मंत्रियों व सभी बड़े नेताओं ने इस कार्यक्रम में सिर्फ दिखावटी उपस्थिति ही दर्ज करवाई। किसी भी नेता ने अपने हिस्से के 100 घंटे पूरे नहीं किए। फिर अंत में लिखा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस पर आंदोलनों को लेकर झूठे आरोप तो लगा रहे हैं लेकिन वह अपने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब ज़रूर दें।
थोड़ा सा नीचे गए तो मैसेज था भाजपा की तरफ से। भाजपा नेताओं के घंटे गिनने से बेहतर है,अपने घर चलो अभियान की चिंता करे कांग्रेस। आगे पता चला नारद को कि भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा का यह पलटवार है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा का बूथ विस्तार अभियान शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने में सफल रहा है। सभी 65000 बूथों तक भाजपा ने बूथ समितियों, पन्ना प्रभारी तक का फिजिकल डिजिटल दोनों स्तर पर कार्य पूर्ण कर लिया है।
रजिस्टर और डाटासंग्रहण का कार्य भी पूर्ण और अंतिम दौर में है। जो आजकल में पूर्ण हो जाएगा। एक-एक पल का हिसाब देते हुए उन्होंने बताया कि कुल तीस लाख घंटे के समय श्रम और उत्पादकता से संगठन बलशाली हुआ है। इस अभियान से समाज के मध्य खोपड़ी-खोपड़ी, झोपड़ी-झोपड़ी तक ,चप्पा-चप्पा भाजपा ने सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई है।
आगे सलाह दी गई कि प्रदेश में कांग्रेस की एक चार की बटालियन है,वयोवृद्ध प्रदेशाध्यक्ष जी के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष हैं। बेहतर होगा कि कांग्रेस अपने चारों कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन, रामनिवास रावत,जीतू पटवारी,सुरेंद्र चौधरी को घर चलो अभियान के लिऐ निकाले। आखिर एक वयोवृद्ध मुखिया के कांधे पर पूरा वजन डालना ठीक नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष की टीम भाजपा नेताओं के घंटे गिनने में लगी है और कार्यकारी अध्यक्षगण अपने कार्य के घंटे बचाकर घर चलो अभियान में पलीता पोतने में लगे हैं।
दोनों मैसेज पढ़कर देवर्षि भावविभोर हो गए। कितने अच्छे लोग हैं इस ह्रदय प्रदेश के। राजनीति में भी एक-दूसरे की कितनी चिंता। इधर सवाल किया और उधर से जवाब हाजिर। नाथ के दल की चिंता है कि विष्णु के दल में गड़बड़ न हो जाए और चाह बस इतनी कि बाहर से पहले अपने घर की चिंता करें। तो विष्णु के दल की तरफ से पाई-पाई का हिसाब पेश और चिंता भी कि अपने घर में घर-घर चलो अभियान पर नजर डालें, कहीं गड़बड़ न हो जाए। नारद जी सोचने लगे कि कहीं लगातार तीन बार सरकार में रही भाजपा के बेदखल होने के बाद ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस से कमलदल का दु:ख न देखा गया हो और फिर भाजपा की वापसी…की कहानी आगे बढ़ी हो। मुस्कान बिखेरते हुए नारद जी नारायण-नारायण कहते हुए अजब है गजब है ह्रदय प्रदेश ऐसा सोचते हुए पीले-पीले सरसों के खेत देखते-देखते अंतर्ध्यान हो गए। देवलोक पहुंचकर सुनाते रहे नारायण-नारायण… वाह, लोकतंत्र की आत्मा तो बस ह्रदय प्रदेश में ही बसती है…।