
इजरायल-ईरान युद्ध के बीच वाशिंगटन में ट्रंप-नेतन्याहू मुलाकात और B-2 बॉम्बर की तैनाती
इजरायल-ईरान युद्ध के बीच वाशिंगटन में ट्रंप-नेतन्याहू मुलाकात और B-2 बॉम्बर की तैनाती की दुनिया में चर्चा हो रही है। इससे एशिया में सैन्य दबाव भी बढ़ा है।
*मुलाकात का महत्व*
इजरायल-ईरान जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वॉशिंगटन में मुलाकात बेहद अहम रही। दोनों नेताओं ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम, गाजा संघर्षविराम, बंधकों की रिहाई और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा की। ट्रंप ने साफ कहा- ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए, जरूरत पड़ी तो अमेरिका “इतिहास की सबसे बड़ी बमबारी” के लिए तैयार है। नेतन्याहू ने भी कहा कि इजरायल और अमेरिका पूरी तरह समन्वय में हैं और साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं।ओ
*B-2 बॉम्बर की तैनाती और असर*
मुलाकात के बाद अमेरिका ने अपने सबसे घातक B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया बेस और गुआम में तैनात कर दिए। इन बॉम्बर्स ने हाल ही में ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स (फोर्डो, नतांज, इस्फहान) पर हमला किया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- हमारे हमले सफल रहे, अब ईरान को शांति के रास्ते पर आना चाहिए।
*B-2 बॉम्बर की ताकत और तकनीकी डिटेल्स*
1. स्टेल्थ टेक्नोलॉजी: B-2 रडार, थर्मल और विजुअल ट्रैकिंग से लगभग अदृश्य रहता है।
2. रेंज और पेलोड: बिना रीफ्यूलिंग के 9,600-11,000 किमी, रीफ्यूलिंग के बाद 18,500 किमी तक उड़ान। 18 टन (40,000 पाउंड) तक बम- परमाणु और पारंपरिक दोनों।
3. बंकर बस्टर: दो GBU-57 MOP बम (13.5 टन) ले सकता है, जो 200 फीट मिट्टी या 60 फीट कंक्रीट के नीचे छिपे ठिकानों को भी नष्ट कर सकता है।
4. क्रू: सिर्फ दो लोग- पायलट और मिशन कमांडर।
5. इतिहास: B-2 ने कोसोवो, अफगानिस्तान, इराक, लीबिया और अब ईरान में भी अपनी ताकत दिखाई है।
6. कीमत: एक B-2 की कीमत करीब 2 अरब डॉलर है।
*भारत और एशिया पर असर:*
डिएगो गार्सिया बेस भारत के नजदीक है, जिससे पूरे क्षेत्र में सैन्य दबाव और सतर्कता बढ़ गई है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां लगातार हालात पर नजर रख रही हैं।





