मैं टाइगर हूं, अपनी टैरिटरी में विचरण कर रहा हूं…मुझे मेरे क्षेत्र से बेदखल मत करो…

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मैं टाइगर हूं, अपनी टैरिटरी में विचरण कर रहा हूं...मुझे मेरे क्षेत्र से बेदखल मत करो...

राजा भोज यूनिवर्सिटी में बेखौफ विचरण करता टाइगर बार-बार यही जता रहा है कि मैं जिंदा हूं। यह मेरा विचरण क्षेत्र है। यहां मैं रह-रहकर आता रहूंगा। तुमने हमारे घर में अतिक्रमण कर रखा है। जहां मुझे देखा जा रहा है, वह कभी जंगल हुआ करता था। यह बहुत समय पहले की बात नहीं है बल्कि 1999-2000 तक भी बहुत बर्बादी नहीं हुई थी। और कलियासोत नदी के दोनों किनारों पर, कलियासोत डैम हो या केरवा इस पूरे क्षेत्र में हमारा रहवास था। हमारे पूर्वजों की धरोहर है यह।

यहां पर अब भले ही सीमेंट-कांक्रीट की बड़ी-बड़ी इमारतें बनाकर मुझे रोकने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन याद रहे मैं रुकने वाला नहीं हूं। चाहे यहां यूनिवर्सिटी की बात हो, चाहे दूसरे संस्थानों की…जिन्हें अपने पावर के दम पर बड़े लोगों ने कब्जा कर लिया है। मेरी आत्मा वहां बसती है। मैं इंसानों की तरह कोर्ट-कचहरी तो नहीं कर सकता, लेकिन यह बात समझ लेना कि टाइगर जिंदा है और टाइगर अपने रहवास को कभी भी त्याग नहीं सकता। रही बात पावर की, तो अभी तुमने अपना पावर दिखा दिया…वह समय न ही आए तो अच्छा है कि जब मुझे अपना पावर दिखाने की जरूरत पड़े।

फिर मुझे जान लेने और जान देने दोनों से ही कोई परहेज नहीं है। यह राजा भोज यूनिवर्सिटी हमारा घर है। स्वर्ण जयंती पार्क हो या फिर नदियों के किनारे और जंगली क्षेत्र, सारी जगह सिर्फ और सिर्फ हमारा विचरण क्षेत्र है। उस दिन रात में मचे हड़कंप के बाद मैंने खुद पूरी तहकीकात की तो पता चला कि भोज यूनिवर्सिटी की जगह वन क्षेत्र की थी, इसमें भी तत्कालीन आला अफसर जिसे सीएस कहते हैं या कुछ और, के दबाव में फॉरेस्ट एनओसी देकर हमारे क्षेत्र से खिलवाड़ किया गया। और आज तक मुझे अफसोस है कि मुझे प्राकृतिक न्याय से वंचित करने की कोशिश की जा रही है।

और तुम खुद ही समझो। कहीं भी मटन-चिकन की दुकानें लगा दी गईं, कारोबार दिन दूना-रात चौगुना फल-फूल रहा है। इनकी पन्नियां-कचड़ा भी इधर-उधर बेतरतीब तरीके से फैंका जा रहा है। जंगली सुअरों की चांदी हो रही है। और हमारे पानी पीने के क्षेत्र बूचड़खानों में तब्दील हो रहे हैं। और फिर मुझे ही आने से रोकने की कोशिश  की जाती है बार-बार। मास्टर प्लान बनाते हो तो क्या यह छोटी सी बात समझ नहीं आती कि मेरा कॉरिडोर संरक्षित कर दिया जाए। सुपर मॉम जब मरती है तो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं वीडियो।

सभी सुपर मॉम को रट-रटकर खूब वाहवाही बटोरते हैं। देश का मुखिया हो, प्रदेश का मुखिया हो, वन मंत्री हों या दूसरे मंत्री, ट्वीट और सोशल मीडिया मैसेज देख-देखकर मेरी छाती गर्व से फूल जाती है कि कितना सम्मान है देवभूमि में हम वन्यप्राणियों और खासकर टाइगर के प्रति। और भी ज्यादा खुशी होती है जब मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज खुद के लिए कहते हैं कि टाइगर जिंदा है …। सीना गर्व से फूल जाता है। तो आपसे हमारा विनम्र अनुरोध है कि एक बार दिखवा लीजिए कि कहां-कहां गलत एनओसी जारी कर हमें घर से बेघर करने की ज्यादती की गई है।

अगर हमारा घर हमें नहीं लौटाया जा सकता, तो कम से कम हमारे आने-जाने के रास्ते ही संरक्षित कर हमें लौटा दो। आपकी आंखों ने सब देखा है कि चंदनपुरा, बैरागढ़ चीचली, समरधा और राजधानी के आसपास कलियासोत, केरवा और नदियों के दोनों किनारों पर हमारी ही तो टैरिटरी थी। जो विकास के नाम पर हमसे छीन ली गई। हरे-भरे जंगल नष्ट कर सीमेंट-कांक्रीट के जंगल बना डाले।

मुझे बहुत कोफ्त होता है कि मेरी एक झलक पाने के लिए धनी और हाईप्रोफाइल लोग जंगलों की खाक छानते रहते हैं। रिसोर्ट्स में पड़े रहते हैं। कई-कई बार सफारी का खर्च उठाते हैं। और मैं फिर भी नहीं दिखता तो निराश-हताश हो जाते हैं। दूसरी तरफ हम खुद आते हैं, हमारे ही घर में, जिससे हमें बेदखल कर दिया गया है, तो हड़कंप मच जाता है। अपनी आत्मा पर हाथ रखकर बताओ कि असल गुनाहगार कौन है… मैं या फिर विकास के नाम पर हमारा आशियाना उजाड़ने वाले पॉवरफुल लोग।

मेरे प्रदेश के सम्मानित सज्जनों, टाइगर स्टेट का दर्जा छिना था तब कितना दु:ख हुआ था आप सभी को। फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिला, तो कितनी खुशी हुई थी। तो मुझे उम्मीद है कि हमारा घर हमसे छीनने वालों को इस बात का अहसास तो हो कि उन्होंने जो गुस्ताखी की है, वह जानलेवा है हमारे लिए भी और उनके लिए भी।

शिवराज जी…अपनी विधानसभा और प्रदेश की जनता को भी आश्वस्त करते हैं आप कि टाइगर जिंदा है…। तो मुझ टाइगर का क्या दोष, हम भी आपकी प्रजा हैं, हमें न्याय दिलाने के लिए भी एक बार तो कह दो कि टाइगर जिंदा है…। मेरे रहते तुम्हारा घर कोई नहीं छीन सकता। सभी से कह दो कि टाइगर जिंदा है, अपनी टैरिटरी में विचरण कर रहा है…मेरे रहते उसे उसके घर से कोई बेदखल नहीं कर सकता…।