
सियासत का सस्पेंस: जीतू पटवारी, गजराज लोधी और ‘मल कांड’ की फिल्मी कहानी!
– राजेश जयंत
मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक ऐसी कहानी चल रही है, जो किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं- किरदार हैं कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, एक युवक गजराज लोधी और सत्ता के गलियारों में तैरता सस्पेंस!

कहानी की शुरुआत होती है एक वायरल वीडियो से, जिसमें गजराज लोधी रोते हुए दावा करता है कि गांव के सरपंच पति और बेटे ने उसे मारपीट कर मानव मल खिलाया। जीतू पटवारी तुरंत वीडियो शेयर करते हैं, कलेक्टर से फोन पर शिकायत करते हैं और इंसाफ की मांग करते हैं। पूरा प्रदेश सन्न- सियासत गरमा गई!
लेकिन फिल्म यहीं खत्म नहीं होती- कुछ ही दिन बाद वही गजराज लोधी कलेक्टर के सामने शपथ पत्र देता है: “मेरे साथ कुछ नहीं हुआ, कांग्रेस नेताओं ने मुझे ओरछा ले जाकर जीतू पटवारी से मिलवाया, पटवारी ने मुझे किनारे ले जाकर कहा कि “मल खिलाने की बात बोल देना, बदले में मोटरसाइकिल और आर्थिक मदद का वादा किया।”

पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली- आरोप: झूठे सबूत गढ़ना, जातीय वैमनस्य फैलाना, साजिश रचना!
*अब सवाल-* क्या गजराज सच बोल रहा है या किसी दबाव में बयान बदल रहा है? कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी सरकार ने पीड़ित को डरा-धमका कर बयान बदलवाया, ताकि विपक्ष की आवाज दबाई जा सके। बीजेपी कहती है- कांग्रेस के पास मुद्दा नहीं, इसलिए झूठे षड्यंत्र रच रही है।
हीरो कौन, विलेन कौन- ये तय करना मुश्किल! क्या जीतू पटवारी सच में मासूम की आवाज बने या सियासत के लिए स्क्रिप्ट लिखी गई… ? क्या गजराज वाकई पीड़ित है या सत्ता की चाल में मोहरा?
फिल्मी क्लाइमैक्स अभी बाकी है- जांच जारी है, सियासत गरम है, और जनता पूछ रही है: “असली सच्चाई क्या है?”





