Appointment of Doctors : बिना आवेदन के 3 डॉक्टरों की नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया!

नियुक्त किए तीन में से दो ने तो आवेदन ही नहीं किया, फिर भी उनका चयन हो गया!

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Appointment of Doctors : बिना आवेदन के 3 डॉक्टरों की नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया!

Indore : एमजीएम मेडिकल कॉलेज में बिना आवेदन के डॉक्टरों की नियुक्ति के मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। इसमें डॉक्टरों को किए भुगतान को लेकर चार सप्ताह में जिम्मेदारों से जवाब मांगा गया। डबल बेंच के न्यायाधीन विवेक रुसिया और विनोद द्विवेदी ने मामले में सुनवाई की थी। इसमें एक डॉक्टर द्वारा आरटीआई के तहत मांगी थी।

जानकारी में यह बात सामने आई थी। इस पर डीन ने जांच कमेटी गठित की थी। यह मामला स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फार आई में नेत्र रोग विशेषज्ञों की नियुक्तियों का है। याचिकाकर्ता ने नेत्र के लिए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में प्रतिवादी संख्या 6 से 10 की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन डीन द्वारा गठित 3 सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर भरोसा किया है।

याचिकाकर्ता के पास नियुक्तियों को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि, वह सामाजिक कार्यकर्ता है और इस पद के लिए इच्छुक नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता के कहने पर जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। यह डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला है, जिन्हें जनता का इलाज करने के लिए सरकारी अस्पताल में नियुक्त किया गया है।

यदि अयोग्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है तो आमजन का इलाज करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसलिए यह न्यायालय निजी प्रतिवादियों से स्पष्टीकरण मांगने के लिए क्वारंटों की प्रकृति में रिट जारी करने के लिए इस याचिका पर विचार कर सकता है कि वे किस अधिकार के तहत बिना योग्यता के पद पर काम कर रहे हैं। उस स्थान के लिए याचिकाकर्ता की जांच नहीं की जा सकती है। सोनी द्वारा उठाए गए आपत्ति को अस्वीकार कर दिया गया है।

डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला
शिकायतकर्ता डॉ कमल गोस्वामी ने बताया कि वर्ष 2019 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने विज्ञप्ति जारी की थी, उसके अनुसार डॉक्टर के लिए जो योग्यताएं मांगी गई थी, उनको दरकिनार कर तीन डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी गई। इसमें दो ने तो आवेदन ही नहीं किया और उनका चयन हो गया। वहीं एक डॉक्टर ने कार्निया के लिए आवेदन किया था, जिसका चयन कम्युनिटी विभाग में किया गया जो कि मेडिकल अधिनियम के अंतर्गत नहीं हुआ। वहीं शिकायतकर्ता पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने भी नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन चयन नहीं हुआ तो वह इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। मामले में डीन डॉ संजय दीक्षित ने कहा था कि पूरे मामले की जांच कमेटी कर रही थी।