
MP की कर्मचारियों अधिकारियों की प्रमोशन नीति 2025 पर हाईकोर्ट का स्टे
जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की प्रमोशन नीति 2025 पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। सपाक्स संस्था और अन्य याचिकाकर्ताओं की आपत्ति के बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई (15 जुलाई) तक कोई भी प्रमोशन लिस्ट जारी न की जाए और विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया (DPC) पर रोक रहेगी।
राज्य में पिछले 9 वर्षों से प्रमोशन को लेकर विवाद चल रहा है। 2002 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण लागू किया था, लेकिन 2016 में हाईकोर्ट ने इन नियमों को खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन मामला लंबा खिंच गया और करीब 4 लाख कर्मचारी प्रमोशन के इंतजार में रह गए।
नई प्रमोशन नीति 2025
जून 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को मंजूरी दी, जिसमें-
1. ST के लिए 20% और SC के लिए 16% आरक्षण।
2. मेरिट और सीनियरिटी दोनों को प्रमोशन का आधार।
3. DPC की बैठकें पहले से आयोजित कर चयन सूची तैयार करने की व्यवस्था।
4. 2 लाख नई पोस्ट्स बनने की संभावना।
5. क्लास-1 अफसरों के लिए मेरिट-कम-सीनियरिटी फॉर्मूला।
6. क्लास-4 कर्मचारियों को उपयुक्तता के आधार पर प्रमोशन।
नियमों पर आपत्ति और कोर्ट की कार्रवाई
सपाक्स और अन्य याचिकाकर्ताओं ने नए नियमों को पुराने जैसे बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा है और तब तक प्रमोशन पर रोक जारी रहेगी।





