
Voter List Row Heats Up in Bihar: विपक्ष ने उठाए लोकतंत्र पर खतरे के सवाल, 9 जुलाई को बिहार बंद का आह्वान,SC में 10 जुलाई को सुनवाई
पटना: Voter List Row Heats Up in Bihar: आगामी कुछ महीनो में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष ने लोकतंत्र पर खतरे के सवाल उठाए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई तय हो गई है। इससे पहले 9 जुलाई को INDIA गठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान किया है।
BIHAR विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा राज्यभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की घोषणा के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की टाइमिंग, दस्तावेजी शर्तों और तेज़ी पर सवाल उठाते हुए इसे गरीब, हाशिए के वर्ग और करोड़ों वोटरों के अधिकारों पर हमला बताया है।
RJD अध्यक्ष लालू यादव ने इसे “दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छीनने की साजिश” करार दिया, वहीं चुनाव आयोग इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए जरूरी कदम बता रहा है- अब मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है, जहां 10 जुलाई को सुनवाई होनी है।
*क्या है मामला..?*
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के सत्यापन (voter list verification) को लेकर बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (special revision) की घोषणा की है, जिसमें पुराने वोटरों की जांच और नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। यह प्रक्रिया सिर्फ 25 दिनों में पूरी की जानी है, जिससे विपक्षी दलों में नाराजगी है।
*लालू यादव का आरोप*
RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर लिखा- “दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छीनने का प्रयास कर रहे हैं। इन दो गुजरातियों को बिहार, संविधान और लोकतंत्र से सख़्त नफ़रत है। जागो और आवाज़ उठाओ! लोकतंत्र और संविधान बचाओ!!”
लालू यादव का आरोप है कि केंद्र सरकार, बिहार सरकार और चुनाव आयोग मिलकर करोड़ों वोटरों के नाम लिस्ट से हटाने की साजिश कर रहे हैं, ताकि चुनाव को प्रभावित किया जा सके।

*तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया*
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस प्रक्रिया को “गहरी साजिश” बताया और कहा कि यह कदम गरीब और हाशिए पर खड़े मतदाताओं को वोट के अधिकार से वंचित करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी यही वोटर लिस्ट थी, फिर अचानक इतनी जल्दी यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
*राजनीतिक माहौल*
महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और अन्य) इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम उनके वोट बैंक को कमजोर करने के लिए उठाया गया है। 9 जुलाई को INDIA गठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान भी किया है।
*चुनाव आयोग का पक्ष*
चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिससे वोटर लिस्ट को अपडेट और सही किया जा सके। इसमें डुप्लीकेट और अवैध नाम हटाए जाएंगे, ताकि चुनाव निष्पक्ष हो सके। लेकिन विपक्ष को इसकी टाइमिंग और तेजी पर सवाल है।
*मामला सुप्रीम कोर्ट में*
यह विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। 10 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है, जिसमें विपक्ष ने वोटर लिस्ट सत्यापन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है।
“अपनी बात“-
इस पूरी प्रक्रिया को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बता रहा है, वहीं चुनाव आयोग इसे जरूरी और नियमित प्रक्रिया मान रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं।




