Former Excise Officer Sentenced : पूर्व आबकारी उपायुक्त को 4 साल की सजा, विभाग से धोखाधड़ी की!  

कोर्ट ने विनोद रघुवंशी की अपील खारिज कर सजा की अवधि 3 साल से बढ़ाकर 4 साल की! 

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Former Excise Officer Sentenced : पूर्व आबकारी उपायुक्त को 4 साल की सजा, विभाग से धोखाधड़ी की!  

Bhopal : आबकारी विभाग के पूर्व उपायुक्त विनोद रघुवंशी को अब तीन नहीं,बल्कि चार साल जेल में कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी। सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने उनकी आपराधिक अपील क्रमांक 489/2023 को खारिज करते हुए सजा में एक साल की बढ़ोतरी कर दी। कोर्ट ने आबकारी विभाग के रिटायर्ड आबकारी उपायुक्त विनोद रघुवंशी को 4 साल की सजा के साथ अन्य आरोपी आबकारी विभाग के रिटायर्ड क्लर्क ओपी शर्मा को 2 साल की सजा दी। केस में फरियादी अजय अरोरा ने आरोपियों को खिलाफ प्राइवेट कंप्लेंट दायर की थी।

यह संभवतः मध्य प्रदेश में पहला मामला है जब किसी उच्च आबकारी अधिकारी को इतनी सख्त सजा दी गई है। पूर्व में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमर सिंह सिसोदिया ने 29 अगस्त 2023 को रघुवंशी को धारा 420 व 120-बी के तहत तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन अपीलीय न्यायालय ने इसे बढ़ाकर चार साल कर दिया और अपील भी खारिज कर दी। अब उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।

यह है पूरा मामला

यह प्रकरण वर्ष 2003-04 में भोपाल के आबकारी ठेकों में हुई धोखाधड़ी और वित्तीय धांधली से जुड़ा है। इसमें कई लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया था। पूर्व उपायुक्त रघुवंशी को उन लाभार्थियों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार करने का दोषी पाया गया। इस मामले में पीड़ित अजय अरोरा को न्याय पाने के लिए 22 साल तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। जानकारी के अनुसार, फैसले के दिन रघुवंशी ने हाजिरी माफी का झूठा आवेदन दिया था,जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए हैं। उनकी किसी भी समय गिरफ्तारी संभव है।के

आरोपियों ने इस तरह किया था फर्जीवाड़ा

अजय अरोरा ने 5 मार्च 2002 को अशोक ट्रेडर्स फर्म में हिस्सेदारी ली थी और पार्टनरशिप डीड तैयार हुई। वे 18% के हिस्सेदार थे। 6 मार्च 2022 को फर्म ने आबकारी के ठेके की नीलामी में हिस्सा लिया। आबकारी ने ठेके की नीलामी स्वीकार कर फर्म को ठेका आवंटित कर दिया। इससे फर्म को शराब के व्यवसाय का लाइसेंस मिल गया। लेकिन, आरोपी विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा ने धोखाधड़ी कर 6 मार्च 2003 की नकली पार्टनरशिप डीड तैयार कर दी और अजय अरोरा को फर्म की हिस्सेदारी से बाहर कर दिया।

रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई 

आरोपियों ने फर्म के अन्य पार्टनर को फायदा पहुंचाने के लिए 6 मार्च से 11 मार्च 2003 के बीच भोपाल आबकारी कार्यालय के रिकॉर्ड में अजय का नाम हटाकर नकली पार्टनरशिप डीड लगा दी थी। साल 2023 में मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस मामले में दोनों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी जिसके बाद आरोपी पक्ष अपील में चला गया था।