”अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी…”

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जिस तरह नर्मदा जयंती पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैत गौरव दिवस पर ग्रामसभा में यह संकल्प दिलाया है कि जैत को नशामुक्त करके रहेंगे। इसे पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी सकारात्मकता के साथ लिया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिनांक 8 फरवरी, 2022 को अपने जैत गांव को पूरी तरह नशा मुक्त गांव बनाने का संकल्प ग्रामीणों को दिलाया, यह शराबबंदी नशाबंदी की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। आगे लिखा कि मैं मध्य प्रदेश के सभी विधायकों, सांसदों एवं सभी जन प्रतिनिधियों से अपील करती हूं कि सभी लोग अपने जन्म स्थान के गांव में यह पहल करें। और अंत में लिखा है कि ”अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।”
उमा को फिलहाल अपने शराबबंदी अभियान का एक छोर तो मिल ही गया है।विधायक-सांसद अपने-अपने गांव को नशामुक्त बनाने सार्थक प्रयास करने की दिशा में आगे बढेंगे तो उमा के शराबबंदी अभियान को ऑक्सीजन मिलना तय है। क्योंकि उमा भारती खुद भी पहले कह चुकी हैं कि नशामुक्ति तभी संभव है, जब लोग नशामुक्ति का संकल्प लें। जब प्रदेश में शराब की मांग ही खत्म हो जाएगी, तो फिर सरकार की आबकारी नीति और विभाग खुद-ब-खुद ठप पड़ जाएंगे।
वैसे भी अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने का मन उमा का कदापि नहीं है, जैसा कि वह बार-बार दोहराती भी हैं। यह जताती भी हैं कि हमारी ही सरकार है। शिव-विष्णु संत स्वभाव के हैं। हमारे भाई हैं। हम बैठकर बात करेंगे। वैकल्पिक राजस्व की बात भी आपस में ही करेंगे। ऐसी स्थिति में ही शिवराज ने नशामुक्ति की जो राह जैत से दिखाई है, उमा भारती को वह राह रास आ गई है। वैसे 14 फरवरी के बाद उमा भारती क्या बोलने वाली हैं, उसके बारे में फिलहाल कोई कयास लगाना बेमानी है। फिर भी मोटा-मोटी राह यही है, जिसमें बात के देर तक दूर तलक जाने की राह बनी रहेगी।
अब मध्यप्रदेश में भाजपा सांसद-विधायक मिलकर 2022 और 2023 में एक-एक गांव को भी नशामुक्त करने का साहस जुटाते हैं तो करीब 320 गांव तो 2023 विधानसभा चुनाव से पहले नशामुक्त हो ही जाएंगे। और फिर विधायक-सांसद के बाद यदि बात आगे बढ़ी तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, पदाधिकारी, निगम-मंडल अध्यक्ष, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व पदाधिकारी से लेकर बूथ और पन्ना प्रभारी तक बात पहुंची तो वास्तव में शराबबंदी का अभियान 2023 तक भी बहुत दूर तलक चला जाएगा।
हालांकि यह अभी महज रेत पर बनाया महल ही माना जा सकता है। लेकिन कभी-कभी उम्मीद की एक रोशनी भी विफलता के अंधेरों से पार पाने के लिए काफी होती है। और उमा ने जैत में शिवराज के नशामुक्ति अभियान में जो देखने की कोशिश की है, उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। हर ग्रामसभा भी यदि नशामुक्ति का संकल्प लेती है तो प्रदेश के पचास हजार से ज्यादा गांव शराबबंदी के जीते जागते प्रमाण बन जाएंगे। पर फिलहाल इसका दावा बेमानी ही माना जाएगा, जब तक कि उमा की अपील को विधायक-सांसदों का समर्थन नहीं मिलता है और जब तक कि उमा की शराबबंदी की रणनीति खुलकर सामने नहीं आती है। तब तक हम यही उम्मीद करें कि ”अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी…।”