कालिदास के काव्यों में मानव-मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई है- प्रो पराग जोशी

273

कालिदास के काव्यों में मानव-मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई है- प्रो पराग जोशी

 

डॉ.दिनेश चौबे की रिपोर्ट

 

 

Ujjain : महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग द्वारा आयोजित महाकवि कालिदास स्मृति दिवस महोत्सव के उपलक्ष्य में 17 जुलाई को माधुर्यं विप्रलम्भाख्ये मेघदूते विशेषतः इस विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्यवक्ता प्रो. पराग जोशी, आचार्य एवं अध्यक्ष संस्कृतभाषा साहित्य विभाग, कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, महाराष्ट्र ने कहा कि महाकवि कालिदास ने अपने काव्यों में काव्योचित गुणों का समावेश करते हुए भारतीय जीवन-पद्धति का सर्वांगीण चित्रण किया हैं। उन्होंने काव्यों में जड़ प्रकृति को भी मानव की सहचरी के रूप में चित्रित किया हैं। मेघदूत’ में बाह्य प्रकृति तथा अन्तः प्रकृति का मर्मस्पर्शी वर्णन हुआ हैं। कवि के विचार में मेघ धूम, ज्योति, जलवायु का समूह ही नहीं, वरन् वह मानव के समान संवेदनशील प्राणी हैं।

उनके काव्यों में मानव-मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई है। कालिदास ने हिमालय से सागरपर्यन्त भारत की यशोगाथा को अपने काव्य में निरूपित किया है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रो.विजय कुमार सीजी ने कहा कि काव्य की आत्मा रस है। काव्य का शृंगार रस है। अलंकार शास्त्र का जनक भारत है कुलगुरु ने भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से रस गंगाधर तक की काव्य यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने पाश्चात्य दर्शन की उत्पत्ति के मूल में भारतीय दर्शन को आधार बताया। भूमिका, अतिथि परिचय एवं वाचिक स्वागत कार्यक्रम समन्वयक डॉ.तुलसीदास परौहा

ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. खोकन परमाणिक तथा आभार, संयोजिका डॉ.पूजा उपाध्याय ने माना। कार्यक्रम में विभाग प्रमुख, प्राध्यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थीगण उपस्थित थे!