मांडव में मिशन-2028 पर मंथन के मायने…

287

मांडव में मिशन-2028 पर मंथन के मायने…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के युवा नेतृत्व में कांग्रेस 2028 में सत्ता में वापसी की तैयारी 3 साल पहले से शुरू कर रही है। यह भी देखने वाली बात है कि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे नेता मिशन 2028 में मार्गदर्शक का काम करेंगे या फिर रण में आगे रहेंगे। 2003 में भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया था, उससे पहले 10 साल तक कांग्रेस सरकार में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहे थे। इसके 15 साल बाद दिसंबर 2018 में कांग्रेस मात्र 15 महीने के लिए सत्ता में लौट पाई थी, इन 15 महीनों में कमलनाथ मुख्यमंत्री थे। और मार्च 2020 में कमलनाथ को बेदखल कर भाजपा ने फिर सरकार बना ली थी। 15 महीने को काम करने के लिहाज से कांग्रेस और कमलनाथ ने नाकाफी माना था। ऐसे में अगर देखा जाए तो 2028 तक कांग्रेस को सत्ता से बेदखल हुए करीब 25 साल ही हो जाएंगे। ऐसे में स्वाभाविक ही है कि कांग्रेस का कार्यकर्ता हताश है, निराश है और उदास है। और शायद इसीलिए कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करने के लिए अब कांग्रेस ने कमर कस ली है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार दोनों ही मालवा क्षेत्र से आते हैं। और कांग्रेस ने 2028 में सत्ता में वापसी करने के लिए तीन साल पहले मालवा के मांडव में मंथन का फैसला किया है। इस मंथन से अमृत निकलने की कांग्रेस पार्टी की सोच कितनी कामयाब होती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर यदि कांग्रेस ने सफल रणनीति बना कर अमल किया तो कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार अवश्य होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे नवनिर्वाचित जिला-ब्लाक अध्यक्षों का निर्वाचन कांग्रेस की असल परीक्षा है।पार्टी के यही फैसले इस मंथन में मील का पत्थर और मिशन-2028 के लिए नींव का पत्थर साबित होंगे।

 

खैर मुद्दा यही है कि कांग्रेस की नई सोच-नई रणनीति, मिशन 2028 और राज्य की जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायकों का ‘नव संकल्प शिविर’ आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर 21 और 22 जुलाई को मांडव में आयोजित होगा, जिसमें दिल्ली से वरिष्ठ कांग्रेस नेता वर्चुअल रूप से जुड़ेंगे। कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग की सुप्रिया श्रीनेत, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन और अन्य कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिविर में शामिल होंगे। वैसे योजना कुछ इस प्रकार है कि 20 जुलाई को विधायक मांडू पहुंचेंगे और 21 और 22 जुलाई को लगभग 12 सत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसमें कांग्रेस की विचारधारा, इतिहास, संविधान, संगठन, जातिगत जनगणना, चुनाव प्रबंधन, मीडिया मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन स्किल, राजनीतिक व्यक्तित्व निर्माण और सरकार की विफलताओं जैसे विषयों पर चर्चा होगी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी की निगरानी में यह ट्रेनिंग होगी। मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रशिक्षण विभाग के अध्यक्ष महेन्द्र जोशी, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी सहित अन्य कई वक्ता महत्वपूर्ण सत्रों को संबोधित कर इन महत्वपूर्ण विषयों पर विधायकों की स्पष्ट राय बनाएंगे।

वैसे मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है। और संगठन के मामले में भाजपा की बराबरी करना कांग्रेस का हमेशा से लक्ष्य रहा है। तो कांग्रेस की मुख्य परीक्षा संगठन के ‘नवगठन’ में है। कांग्रेस की मुख्य परीक्षा पार्टी को गुटों से मुक्त करने में है। कांग्रेस की मुख्य परीक्षा भाजपा संगठन और सरकार के मजबूत जोड़ को जमीनी स्तर पर परास्त कर सकने वाले संगठन के नवगठन में है। कांग्रेस की मुख्य परीक्षा मतदाताओं के मन से भाजपा को निकालकर अपनी स्थाई जगह बनाने में है। और इसके लिए तथा मिशन-2028 में सफल होने के लिए कांग्रेस को विधायकों-पदाधिकारियों की क्लास लगाने का एक पूरा शेड्यूल तैयार करना पड़ेगा। दूरगामी लक्ष्य अभी बहुत दूर है और तत्काल में देखें तो विधानसभा के मानसून सत्र से पहले मांडव में कांग्रेस विधायक जो पाठ पढ़ेंगे उसकी परीक्षा विधानसभा सत्र में हो जाएगी। इसके बाद 2028 तक कांग्रेस को एक लंबा फासला तय करना है और तब समय-समय पर लगने वाली क्लासें और उनकी सफलता ही पार्टी को मनचाही मंजिल तक लेकर जा पाएगी। मांडव से इसकी शुरुआत है और मंजिल तक पहुंचने के लिए अभी कई पड़ाव तय करने बाकी हैं। और यह भी तय है कि कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी एक बड़ी चुनौती है। मांडव में मिशन-2028 पर मंथन के बाद बनी रणनीति कांग्रेस को भाजपा के साथ रण में कहां ले जाती है, यह देखने वाली बात है और 2028 आते-आते सब साफ हो जाएगा…।