
8500 पुलिस भर्ती: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन में एक शर्त को है हटाना,2 महीने से PHQ को सरकार से जवाब का इंतजार
भोपाल : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण राज्य में 7500 कांस्टेबल और 1000 सब-इंस्पेक्टर समेत पुलिस लिपिकीय कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। पुलिस मुख्यालय ने राज्य सरकार से भर्ती प्रक्रिया को लेकर मार्गदर्शन मांगा है। अब जब तक शासन की ओर से कोई जवाब नहीं आता है, तब तक यह प्रक्रिया अटकी रहेगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि परीक्षा में बैठने के लिए रोजगार पोर्टल पर लाइव पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। इस फैसले के चलते ही भर्ती प्रक्रिया फिलहाल अटकी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, पुलिस मुख्यालय ने इन परीक्षाओं के संबंध में सरकार से मार्गदर्शन मांगा था, लेकिन दो महीने बाद भी इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सरकार से मार्गदर्शन मिलने के बाद ही पुलिस विभाग इन 8500 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने हेतु कर्मचारी चयन बोर्ड (ईएसबी) को लिखित पत्र जारी करेगा। इस वर्ष राज्य में 7500 कांस्टेबल, 500 सब-इंस्पेक्टर, सूबेदार व प्लाटून कमांडर और 100 स्टेनोग्राफर सहित 500 लिपिक वर्ग के पदों पर नियुक्ति होनी है।
इससे पहले, इन भर्तियों को लेकर मप्र उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। कुछ आवेदकों ने भर्ती के लिए ‘रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन’ की शर्त को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकतार्ओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। प्रदेश सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और सरकार को रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन की शर्त हटाने का आदेश दिया।
प्रदेश में पुलिस द्वारा जिन 8500 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जानी थी, उनके लिए निर्धारित नियमों के अनुसार, रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद, पुलिस मुख्यालय ने अप्रैल माह में सरकार को पत्र लिखकर इस विषय पर सरकार से मार्गदर्शन मांगा था। सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में जब तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आ जाता है, तब तक भर्ती प्रक्रिया अटकी ही रहेगी।




