Hijab Controversy : भारत न तो शरीयत से चलेगा और न सनातन धर्म से, संविधान से चलेगा

शिक्षाविद और मौलाना आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद की चिंता

988

New Delhi : छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से शुरू हुई कर्नाटक के उडुपी के एक शिक्षण संस्थान की पाबंदी ने देश में अजीब सा विवाद छेड़ दिया। इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी इन दिनों जमकर हो रही है। बड़े-बड़े राजनीतिक भी अब इसमें उतर आए। राजनीतिक दलों के नेताओं की भी राय सामने आने लगी।                                                                IMG 20220210 WA0069

इस विवाद से देश के प्रसिद्ध मुस्लिम शिक्षाविद भी चिंतित नजर आ रहे हैं। उनके मुताबिक जिस तरह से इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया गया, वह मुस्लिम छात्राओं की पढ़ाई के रास्ते में अड़चन ही डालेगा। जाने-माने शिक्षाविद और मौलाना आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद ने पूरे विवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा एकदम से ताबड़तोड़ इस उसूल को लाने की कोई जरूरत नहीं थी। अगर इसे लागू भी करना था, तो इस शिक्षण सत्र के बाद लाया जा सकता था। तब तक लोग मानसिक रूप से भी तैयार हो जाते।

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि अब 42 दिन हो गए हैं, छात्राएं तब से ही स्कूल नहीं जा रही है। ऐसे में उन्हें हिजाब की जिद छोड़कर पढ़ाई करनी चाहिए। बाकी का काम वह कोर्ट और अल्लाह पर छोड़ दें। कोर्ट का फैसला सब पर बाध्यकारी होगा। भारत न तो शरीयत से चलेगा और न सनातन धर्म से बल्कि संविधान से चलेगा।

वे कहते हैं कि अगर शिक्षा संस्था ने यह नियम बना ही दिया, तो यह सभी छात्र, अभिभावक और अध्यापकों के लिए बाध्य होगा। उन्हें इसे मानना ही पड़ेगा। क्योंकि, वे उस संस्था से जुड़े हैं और उनके लिए इसकी हैसियत एक कानून जैसी होगी। यह तस्वीर पूरी तरह से स्पष्ट है। वे कहते हैं कि इस्लाम में पर्दा है। पर, हिजाब इस्लाम का मूल अंग नहीं है। कपड़े के हिजाब से बढ़कर अंदर के रूह का हिजाब ज्यादा जरूरी होता है।

फिरोज बख्त अहमद ने छात्राओं से आग्रह किया कि किसी भी धार्मिक या खुद को धर्मनिरपेक्ष जानने वाले, बहलाने-फुसलाने, भटकाने, भड़काने, जहर उगलने वाले और आग लगाकर अपनी सियासी रोटियां सेंकने वालों की बातों में न आएं। ऐसे नारों से बचें जैसे ‘हिजाब नहीं तो किताब नहीं! क्योंकि, उन्हें आगे चलकर फातिमा बीवी, सानिया मिर्जा, प्रोफेसर, आर्किटेक्ट व फौजी बनना है, जिसके लिए कक्षा में आना जरूरी है।