Minister Vijay Shah की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, SIT जांच दायरा बढ़ा-माफी और निष्पक्षता पर उठे सवाल

598
Minister Vijay Shah

Minister Vijay Shah की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, SIT जांच दायरा बढ़ा-माफी और निष्पक्षता पर उठे सवाल

New Delhi: मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादित टिप्पणी ने गंभीर राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जहां कोर्ट ने ना सिर्फ मंत्री के आचरण पर सवाल खड़े किए बल्कि जांच प्रक्रिया की धीमी रफ्तार और शाह की माफी के तौर-तरीकों पर भी सख्त टिप्पणी की।

11 मई को इंदौर के महू में आयोजित एक कार्यक्रम में विजय शाह की टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज हुई, जिसमें देशद्रोह और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप शामिल हैं। हाई कोर्ट ने प्रशासन की लचीली कार्रवाई और FIR की खानापूर्ति जैसे शब्दों पर भी असंतोष ज़ाहिर किया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसमें सीनियर पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया। SIT ने 125 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, फिर भी कोर्ट ने जांच में देरी और रिपोर्टिंग के तरीकों पर नाराजगी जताई।

सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह की मंशा और ईमानदारी पर भी सीधा सवाल उठाया, उनकी ऑनलाइन माफी को नाकाफ़ी बताते हुए उन्हें 13 August तक लिखित माफीनामा देने का आदेश दिया।

कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर की ओर से दायर याचिका में मंत्री पद से हटाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने फिलहाल रिपोर्ट के आने तक प्री-मेच्योर मानकर खारिज कर दिया, लेकिन SIT जांच में फुर्ती लाने के लिए प्रशासन को कड़ी हिदायत दी।

*एक नजर में-*

– मंत्री विजय शाह की टिप्पणी से विवाद, सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल

– सुप्रीम कोर्ट का मंत्री की मंशा व माफी पर असंतोष, लिखित माफीनामा का आदेश

– FIR में देशद्रोह और साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप

– तीन सदस्यीय SIT का गठन, जांच का दायरा बढ़ाया गया

– SIT को सभी संबंधित मामलों की विस्तृत रिपोर्ट 13 अगस्त तक देनी होगी

– याचिकाकर्ता का तर्क मंत्री का बयान संविधान और राष्ट्रीय सौहार्द के खिलाफ

“अब आगे क्या…?

अब इस मामले की अगली सुनवाई और मीडिया-सामाजिक हलकों की नजर विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट की फटकार, मंत्री की माफी प्रक्रिया और SIT की रिपोर्ट पर टिकी रहेगी। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई और संभव निलंबन/पदच्युत संबंधी निर्देश दे सकता है। साथ ही, इस मामले ने राजनीतिक संवाद और सार्वजनिक पद की जिम्मेदारी को एक बार फिर बहस के केंद्र में ला दिया है।

यह मामला न सिर्फ संवैधानिक दायित्वों और मंत्री की व्यक्तिगत जिम्मेदारी को घेरता है, बल्कि न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता और समयबद्धता पर भी रोशनी डालता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती संकेत देती है कि सार्वजनिक जीवन में गैर-जिम्मेदाराना बयान और खानापूर्ति वाली प्रक्रियाएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।