
देवभाषा में बोल उदय प्रताप-अभिलाष ने लूटा सदन…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश विधानसभा में 30 जुलाई 2025 का दिन देवभाषा के नाम पर इतिहास में दर्ज हो गया है। संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन को लेकर विधायक अभिलाष पांडे द्वारा लाया गया ध्यानाकर्षण प्रस्ताव वैसे तो हिंदी में ही पेश किया गया था। पर देवभाषा की बात आने पर देवों ने उनके मन में यह प्रेरणा दे दी कि देवभाषा की बात देवभाषा में ही रखो तो यश की प्राप्ति होगी। फिर क्या बात थी, विधायक अभिलाष पांडे और उत्तर देने वाले स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह दोनों ने मिलकर संस्कृत में बोलने की तैयारी की और अनुपूरक बजट पारित होने वाले दिन पूरे सदन को ही लूट लिया। इस पूरे वाकये में महत्वपूर्ण भूमिका विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की रही। विधायक अभिलाष पांडे ने जब उनसे अपनी बात देवभाषा में रखने की इजाजत मांगी तो उन्होंने यह साफ करते हुए कि ध्यानाकर्षण हिंदी में दिया गया है, अभिलाष पांडे को उनकी बात देवभाषा में रखने की अनुमति दे दी। हालांकि पूर्व भाजपाई और वर्तमान कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने संस्कृत समझ न आने की बात कहकर थोड़ा सा विरोध जताया लेकिन अभिलाष पांडे ने अपना पूरा ध्यानाकर्षण देवभाषा में ही पड़ा। और इससे भी प्रभावी पक्ष स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का रहा कि उन्होंने संस्कृत में ही जवाब देने की शुरुआत की और अभिलाष पांडे का धन्यवाद भी किया। उसके बाद उन्होंने बाकी सदस्यों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए हिंदी में अपनी पूरी बात रखी। बस इतने में ही तो माहौल बन चुका था और अब जब भी बात देवभाषा की होगी तब सदन का यह वाकया हमेशा स्मरण किया जाएगा।
अभिलाष पांडे ने शुरुआत की ‘माननीय अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश संस्कृतस्यान अपि दृष्टाय प्रत्यपि राज्यस्य संस्कृत भाषाया संरक्षणाय संवर्धनाय च विशेष प्रयत्नाना आवश्यकता विद्यते…’ और स्कूल शिक्षा मंत्री ने अपने उत्तर की शुरुआत भी कुछ इस तरह की…’अस्यम विधानसभायाम ऐषा प्रथम अवसरा अस्ति यत देवभाषाम संस्कृतम आधारीकृत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदनम पटले शोवते पारितम च भविष्यति एम…’। इतने में तो सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया था। और इसके बाद विधानसभा परिसर में चर्चा बस देवभाषा अभिलाष पांडे और उदय प्रताप सिंह की ही रही। ऐसे ही कहते हैं मजमा लूटना। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कुछ इस तरह था कि जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा के विधायक डॉ अभिलाष पाण्डेय ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन का विषय स्कूल शिक्षा मंत्री से संस्कृत में ही किया। जिसके प्रतिउत्तर में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने भी अपना जवाब संस्कृत में शुरू कर शासन के द्वारा किए जा रहे प्रयासों को बताया। एवं संस्कृत में ही कहा कि इस विधान सभा में यह पहला अवसर है कि देवभाषा संस्कृत के आधार पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सभा पटल पर शोभायमान है और निश्चित ही पारित भी होगा। इसके लिए मैं विधानसभा अध्यक्ष तथा सदस्य डॉ. अभिलाष पाण्डेय के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ और आभार प्रकट करता हूँ।
जबलपुर उत्तर मध्य के विधायक डॉ अभिलाष पाण्डेय ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से स्कूल शिक्षा मंत्री से पूछा था कि मध्यप्रदेश जैसे सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध राज्य में संस्कृत भाषा के संवर्धन और संरक्षण हेतु विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। यह भाषा न केवल हमारी प्राचीन परंपरा और ज्ञान की संवाहक है,बल्कि हमारी संस्कृति की पहचान की मूल आधारशिला भी है।वर्तमान में विद्यालयों में संस्कृत शिक्षकों की संख्या में कमी को दूर किया जाए साथ ही डॉ पाण्डेय ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार हिंदी एवं अंग्रेजी के अलावा तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत को व्यावहारिक और व्यवसायिक भाषा के रूप में उपयोग किया जाए। जिसके अंतर्गत संस्कृत, वैदिक,योग,ज्योतिष,रत्न विज्ञान आदि विधाओं की शिक्षा को व्यवसायिक पाठ्यक्रम के अनुसार जोड़ा जाए एवं संस्कृत को न केवल विषय बल्कि सामान्य बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयोग करने हेतु बड़े स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही संस्कृत दिवस भी मनाया जाने हेतु सप्ताहभर कार्यक्रम आयोजन कराए जाएं।
प्रतिउत्तर में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में अपने जवाब को शुरू किया एवं फिर विस्तारित रूप में जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृत भाषा के संवर्धन हेतु सन 2008 में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की स्थापना की गई है तथा मध्यप्रदेश सरकार संस्कृत के संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत है। जिसके अंतर्गत वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन में संचालित है, जिसमें करीब 900 विद्यार्थी अध्यनरत हैं तथा विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में 9 महाविद्यालय में करीब 8000 संस्कृत के स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्ययनरत हैं। साथ ही मंत्री ने ये भी बताया कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा आवासीय छात्रों को छात्रवृति भी दी जा रही है जिसमें पांचवी से आठवीं तक प्रतिवर्ष 8000 रुपए एवं 9 वी से 12वी तक 10000 रुपए दिए जा रहे हैं, जिसमें लगभग 3500 छात्र छात्राएं है। जहां पहले 2014 में संस्कृत के 34 विद्यालय थे, आज ये बढ़कर 371 हो चुके हैं।लगातार हमारे द्वारा नवाचार किए जा रहे हैं जिसमें कि पहले विश्वविद्यालयों में कुलपति कहा जाता था जिसमें संशोधन कर अब हम कुलगुरू का संबोधन करते हैं। नई शिक्षा नीति के अनुसार इसको बढ़ाने के लिए आगे और भी प्रयास किए जाएंगे। मध्यप्रदेश में संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन का समर्थन वरिष्ठतम सदस्य गोपाल भार्गव एवं कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने भी किया।
तो यह हुई ना बात। अगर देवभाषा के इस विषय को हिंदी में पेश कर जवाब ले लिया जाता तो शायद आज इसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा होता। पर सदन में संस्कृत बोलकर अभिलाष पांडे और मंत्री उदय प्रताप सिंह ने देवभाषा से संबंधित इस ध्यानाकर्षण को इतिहास में दर्ज करवा दिया। वैसे सदन में चर्चा लायक बहुत सारे मुद्दे उठाए गए थे। और सबसे बड़ी बात सदन ने पहला अनुपूरक बजट पारित कर दिया है। वित्त मंत्री के उद्बोधन के बाद सदन ने 2 हजार 335 करोड़ से अधिक की अनुपूरक मांगों को ध्वनि मत से पारित कर दिया। अब एक तरह से देखा जाए तो विपक्ष को खुली छूट है कि जितना चाहे हंगामा करो जब हम चाहेंगे तब सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर सत्र समाप्ति की घोषणा कर देंगे…।





