
IAS Rinku Singh : उठक-बैठक लगाने पर हटाए गए IAS अफसर ने बताई तबादले के पीछे की असल वजह!
Sahibabad : यहां की पुवायां तहसील में उठक-बैठक लगाने के बाद राजस्व परिषद से संबद्ध किए गए आईएएस अधिकारी रिंकू सिंह राही ने दावा किया कि यह जो खेल हुआ है, वह सिर्फ सफाई और गंदगी से संबंधित मामला नहीं है। यह सिस्टम की सफाई से जुड़ा मामला भी है, जिसे ठीक करना चाहता था। उन्होंने एसडीएम बनने के पहले ही दिन दो गड़बड़ियां पकड़ ली थीं। उनको अटैच करना सजा के तौर पर भी देखा जा सकता है, लेकिन उनकी मंशा को लोग ठीक से समझ नहीं पाए। एसडीएम रिंकू सिंह राही ज्वॉइन करने के 36 घंटे बाद ही हटा दिए गए। चार्ज लेने के बाद पहले ही दिन वकीलों के बीच उठक-बैठक लगाकर वह सुर्खियों में आए थे।
आईएएस अधिकारी रिंकू सिंह ने कहा कि एसडीएम के तौर पर पुवायां में ड्यूटी के पहले ही दिन मत्स्य पालन के लिए तालाबों की नीलामी और राजकीय गोसदन सिमरा वीरान की भूमि नीलामी की फाइलें उनके पास आईं थीं। 30 जून को नीलामी होनी थी। दोनों में गड़बड़ी यह थी कि गांव में बिना मुनादी कराए नीलामी की जानी थी। इससे चहेते लोगों के पक्ष में नीलामी की जा सकती है। उन्होंने इसे निरस्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि गांवों में मुनादी होने और लोगों की जानकारी में आने के बाद ही नीलामी होगी, ताकि ज्यादा लोगों को नीलामी में भाग लेने का मौका मिल सके। उनके इन्हीं कदमों से कुछ लोग बौखला गए होंगे और अपने प्रयास शुरू किए होंगे। हो सकता है कि उठक-बैठक की सजा के तौर पर राजस्व परिषद से अटैच किया गया हो, लेकिन सरकार वेतन देती है, जहां चाहेगी वहां काम करेंगे, लेकिन गलत काम नहीं होने देंगे।
ज्वाइन करने के पहले ही दिन उन्होंने लेखपालों से कहा था कि सरकारी जगहों पर कब्जेदारों को नोटिस दिए जाने चाहिए और रिपोर्ट चाहिए। 15 दिन बाद कहीं भी ऐसी सरकारी जगह मिली, जहां अवैध कब्जा है और नोटिस नहीं दिया गया है तो लेखपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होगी। इसके अलावा उनकी योजना प्रत्येक गांव के दो व्हाट्सएप ग्रुप बनवाने की थी।
एक ग्रुप में लोग स्कूल में शिक्षक के न पहुंचने, ग्राम विकास अधिकारी के गांव न जाने आदि से संबंधित सूचनाएं डाल सकते थे। दूसरे ग्रुप में शिकायतों को ऑनलाइन रखा जाता। जवाब भी ऑनलाइन रहता। इससे लाेगों को पता रहता कि शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है। मथुरा में एसडीएम रहते इस व्यवस्था को लागू किया था।
रिंकू सिंह राही ने कहा कि कोर्ट में मुकदमों की कार्रवाई, बहस और कागजात प्रस्तुत किए जाने को ऑनलाइन करने की योजना थी। इससे वादकारी को पता रहता कि उनके वकील सही से पक्ष रख रहे हैं या नहीं? इससे लोगों को नकल आदि लेने से भी मुक्ति मिल जाती। वहीं वादकारी के समय और धन की भी बचत होती। उठक-बैठक लगाने के पीछे उनकी मंशा थी कि लोगों को लगे कि जिम्मेदार पद पर बैठे लोग भी जवाबदेही और कानून से ऊपर नहीं हैं। इसे कुछ लोगों ने गलत समझ लिया।
पुलिस ने 29 जुलाई की शाम शांति भंग की आशंका में कुछ लोगों को एसडीएम कोर्ट में प्रस्तुत किया था। एसडीएम ने जमानत देने से मना करते हुए कहा था कि ऐसे मामलों में पुलिस को खुद ही लोगों को जमानत देनी चाहिए। एसडीएम के सामने पेश करना गलत है। हालांकि बाद में एसडीएम ने जमानत दे दी थी।
तहसील बार एसोसिएशन पुवायां के अध्यक्ष सुभाष शुक्ला ने कहा कि आईएएस रिंकू सिंह राही ने पहले ही दिन पुवायां आकर तहलका मचा दिया। खुद को सुपरमैन घोषित करने लगे। खुद ही उठक-बैठक लगाने लगे थे। एसडीएम के रहने से शांति व्यवस्था को भी खतरा था। अभी वकील इनकी कार्यशैली से परिचित नहीं थे, लेकिन दहशत का माहौल बनाने का प्रयास किया गया था। कांवड़ यात्रियों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। मानसिकता सही नहीं थी। ट्रांसफर किया गया जो वकीलों और जनता के लिए अच्छी बात है, टकराव की स्थिति बच गई है।





