US Tariffs: अमेरिकी टैरिफ का झटका- भारत के लिए संकट या अवसर?

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US Tariffs:अमेरिकी टैरिफ का झटका-भारत के लिए संकट या अवसर?

के. के. झा

US Tariffs:7 अगस्त 2025 से अमेरिका ने भारत के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त व्यापारिक कार्रवाई करते हुए सभी भारतीय उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगा दिया है। इसमें दवाइयाँ, मोबाइल फोन, ऑटो पार्ट्स, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, गहने, स्टील और मशीनरी जैसे तमाम सेक्टर शामिल हैं—एक भी छूट नहीं। यह कदम जितना बड़ा झटका है, उतना ही यह भारत के लिए एक चेतावनी और अवसर भी हो सकता है—जहां से हम अपने व्यापार मॉडल, निर्यात नीति और आत्मनिर्भरता की दिशा में नया रास्ता बना सकते हैं।

 *भारत को क्या नुकसान हो सकता है?* 

वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को भारत का कुल निर्यात 86.5 बिलियन डॉलर रहा। अब इस नए टैरिफ के चलते भारत का अमेरिकी निर्यात लगभग 30% के गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है और यदि ऐसा रहा तो भारत का अमेरिका को कुल निर्यात गिर कर 60.6 बिलियन डॉलर तक जा सकता है। इस टैरिफ का सबसे अधिक असर इंजीनियरिंग वस्तुएं – $19.15 बिलियन, इलेक्ट्रॉनिक्स – $14.63 बिलियन, फार्मा उत्पाद – $10.51 बिलियन, रत्न एवं आभूषण – $9.93 बिलियन, रेडीमेड वस्त्र – $5.33 बिलियन के निर्यात पर होगा। इसके साथ ही ऑटो कंपोनेंट्स, रसायन, और मशीनरी पर भी भारी असर पड़ेगा। इससे एमएसएमई, निर्यातकों और रोज़गार बाजार में कंपन और अस्थिरता आने की संभावना है।

US Tariffs
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*मानव संसाधन पर प्रभाव: नौकरी संकट* 

उच्च टैरिफ दर लागू होने से पूर्व ही, इसका असर सूरत, लुधियाना, पुणे, नोएडा और राजकोट जैसे औद्योगिक शहरों में दिखना शुरू हो गया है। खासकर टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी ऑर्डर घटने से हज़ारों नौकरियाँ खतरे में हैं। टाटा मोटर्स और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों की अमेरिकी मांग में गिरावट का सीधा असर हज़ारों श्रमिकों की आजीविका पर पड़ेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस टैरिफ के चलते भारत की GDP में 0.2% की गिरावट आ सकती है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि निवेशकों की मानसिकता, आपूर्ति श्रृंखला और रुपये की स्थिरता पर भी असर डालेगा।

 *महंगाई की मार झेलेगा अमेरिकी उपभोक्ता* 

यह टैरिफ[US Tariffs] अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए भी कर के समान है। अब भारत से आने वाली सस्ती दवाइयाँ, मोबाइल्स, ज्वेलरी और कपड़े 25% महंगे होंगे। इसका असर सबसे ज़्यादा मध्यम और निम्न आय वर्ग पर पड़ेगा, जो भारत से सस्ते उत्पाद खरीदते थे। इसके चलते अमेरिका की जीडीपी में भी 0.5% की गिरावट आ सकती है तथा वर्ष 2026 तक 5 लाख नौकरियों का नुकसान अनुमानित है। इस व्यापार युद्ध से स्वयं अमेरिका के श्रमिक वर्ग को नुकसान होगा।

*ट्रम्प ने ऐसा क्यों किया?* 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लंबे समय से भारत को “टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला” देश कहते आए हैं। यह कदम भारत पर दबाव बनाने, व्यापार घाटा कम करने और अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार खोलने की रणनीति है। इस बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को टैरिफ में राहत देकर नई ऊर्जा साझेदारी की है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम सिर्फ अर्थशास्त्र नहीं, बल्कि भूराजनीतिक खेल का हिस्सा है। हालांकि, इस संघर्ष के बावजूद भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है—डिफेंस, क्लीन एनर्जी, सेमीकंडक्टर्स और डिजिटल इनोवेशन जैसे क्षेत्रों में सहयोग जारी है।

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*भारत की राह: संकट में अवसर* 

भारत ने तत्काल प्रतिशोध न लेकर बुद्धिमत्ता दिखाई है। बातचीत और व्यापार पुनर्संतुलन के लिए पर्दे के पीछे वार्ताएं जारी हैं।

अब वक्त है कि भारत अमेरिका पर निर्भरता कम करके यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाज़ारों पर ध्यान दे।

यह संकट हमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की ओर ठोस कदम उठाने का अवसर देता है। कम आयात और ज़्यादा घरेलू उत्पादन अब विकल्प नहीं, ज़रूरत है।

इस संकट से उबरने के लिए सरकार को एमएसएमइ सेक्टर एवं प्रभावित श्रमिकों को सहारा देने की आवश्यकता है। प्रभावित क्षेत्रों में सरकार को रियायती ऋण और निर्यात प्रोत्साहन देना जरुरी होगा ताकि लाखों परिवारों की आजीविका बचाई जा सके।

 *क्या यह टैरिफ भारत के लिए आपदा में अवसर के सामान है ?* 

अमेरिका द्वारा लगाया गया यह टैरिफ{US Tariffs} बेशक एक बड़ा झटका है। लेकिन यह नीति, प्रतिस्पर्धा और नवाचार को गति देने का अवसर भी हो सकता है। अगर भारत सटीक और त्वरित प्रतिक्रिया देता है, तो यह संकट आने वाले वर्षों में एक बड़ा आर्थिक मोड़ साबित हो सकता है। वर्तमान परिस्थिति में भारत को एक ठोस रणनीति के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

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(लेखक इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे भारतीय अर्थव्यवस्था, भू-राजनीति और वैश्विक व्यापार पर गहरी नज़र रखते हैं।)

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