
‘शाही हंगामे’ के बाद सदन में दिखी ‘शाही शांति’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश विधानसभा में अगस्त 2025 के पहले दिन कर्नल सोफिया कुरैशी पर बयान मैं विवादित रहे मंत्री विजय शाह के सदन में आने पर विपक्ष द्वारा ‘शाही हंगामे’ की स्थिति निर्मित की गई थी। पर दो दिन में ही विपक्ष का ‘शाही हंगामे’ से मोह खत्म हुआ और 4 अगस्त 2025 को सदन में आए विजय शाह का स्वागत ‘शाही शांति’ से किया गया। इसे कहते हैं समय का फेर। जब शाह को देखकर विपक्ष ने हंगामा खड़ा किया था तब विजय शाह ने शांत भाव से हंगामे को आत्मसात किया था। और 4 अगस्त को जब विजय शाह सदन में आए तो विपक्ष भी शांत रहकर उन्हें सुनता रहा। वैसे 4 अगस्त 2025 की सदन की कार्रवाई अपने आप में अनुशासित और मर्यादित रही, जहां पक्ष और विपक्ष अधिकतर समय शांति से सदन की कार्यवाही में सहयोग करता रहा। इसे विधानसभा अध्यक्ष ‘नरेंद्र सिंह तोमर इफेक्ट’ माना जा सकता है। हालांकि आदिवासियों से संबंधित ध्यानाकर्षण में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का वक्तव्य भी प्रभावी था, तो जल गंगा संवर्धन पर नर्मदा नदी को लेकर मंत्री पहलाद पटेल ने भी पूरे सदन का शांत मुद्रा में ध्यान आकर्षित किया। शाही हंगामे के दिन लग रहा था कि सदन जल्दी ही खत्म होने वाला है पर शाही शांति के दिन यही नजर आया की सदन अपनी सभी बैठकें पूरी कर मिसाल पेश करेगा।
विधानसभा की कार्यवाही में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर आदिवासियों को वन अधिकार पट्टे न देने का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि सैटेलाइट इमेज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों के अधिकारों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अब तक भाजपा सरकार ने 26,500 वन अधिकार पट्टे वितरित किए हैं। उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष से मिलकर आदिवासियों के हित में काम करने की अपील भी की। साथ ही भरोसा दिलाया कि बारिश के मौसम में किसी भी आदिवासी परिवार का आवास नहीं छीना जाएगा। कहा कि अधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं।
जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने सदन को जानकारी दी कि दिसंबर 2005 की स्थिति के मूल्यांकन हेतु सैटेलाइट इमेज सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराई जा रही है। इससे पात्रता का निर्धारण अधिक पारदर्शी और सटीक हो सकेगा। उन्होंने यह भी माना कि ऑनलाइन आवेदन प्रणाली के बावजूद कई मामले लंबित हैं, जिन्हें जल्द निपटाने का प्रयास जारी है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने धरती आबा योजना सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार आदिवासी समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सतत प्रयासरत है।
तो मध्य प्रदेश विधानसभा में जल संरक्षण से शुरू वक्तव्य को मंत्री प्रहलाद पटेल ने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा पर केंद्रित कर पूरे सदन का ध्यान आकर्षित किया। इस मामले पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल तमाम उन पक्ष-विपक्ष के उन जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाते रहे जो जल संरक्षण के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।विधानसभा सत्र में भोजन अवकाश के पहले खाद, किसानों की समस्या, आदिवासियों के मुद्दों पर गूंज उठी थी। दोपहर बाद सदन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री प्रहलाद पटेल ने जल संरक्षण, संवर्धन, पर्यावरण पर तथ्यों, संदर्भों और उदाहरण के साथ अपनी बात रखी। बताया कि प्रकृति के निकट रहने वाले लोगों ने ही प्रकृति की चिंता की है।
नदियों को जीवित रखने के लिए उद्गम को संरक्षण करना होगा। हमने सिर्फ पानी की चिंता की, रेत की चिंता की, खनन की चिंता की। प्रदेश के 90 प्रतिशत नदियों का उद्गम जंगलों में स्थित हैं। नदियों को अगर जीवित रखना है तो उद्गम को संरक्षित करना होगा और वृक्षारोपण करना होगा।
मंत्री पटेल ने सदन में चिंता जताई कि आज मां नर्मदा को देखकर मुझ जैसे व्यक्ति को काफी चिंता होती है। क्योंकि मैंने दो बार मां नर्मदा की परिक्रमा की है। दो-दो बार नर्मदा परिक्रमा के बाद आज ऐसा दृश्य देख रहा हूं जब लोग अमूमन साल में कई बार पैदल ही मां नर्मदा को पार कर लेते हैं। हमें मां नर्मदा की चिंता करनी होगी। हमें इस बात को समझना होगा कि मां नर्मदा का संरक्षण करना है तो पौधे लगाने होंगे। सिर्फ पौधों से ही मां नर्मदा में बूंदों को दिया जा सकता है। यह बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य है। मां नर्मदा के महत्व को समझना होगा। मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि यह बड़ा गंभीर विषय है। न सिर्फ पर्यावरण बल्कि धार्मिक दृष्टि से मां नर्मदा का विशेष महत्व है। प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया, हमने इसका दोहन किया। मनुष्य ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन नहीं किया। यहीं कारण है कि सदन में आज दो घंटे तक मंथन किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार अब इस दिशा में काम कर रही है। नर्मदा संरक्षण के लिए तीन विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग और सिंचाई विभाग संरक्षण के लिए विशेष प्लान पर काम करेगा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि नर्मदा संरक्षण सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज साथ-साथ आगे बढ़े तो तीन सालों के अंदर मां नर्मदा की तस्वीर ऐसी होगी कि लोग पैदल नहीं बल्कि नाव से ही धारा को पार कर पाएंगे। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना भी बनाई जा रही है।
तो 4 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों ने अपनी बात भी खुलकर रखी और दूसरों की बात भी मन से सुनी। इसे चाहे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की प्रभावी कार्यशैली मानें या फिर सदन का अनुशासन। पर इस तरह से सदन चला रहा तो महत्वपूर्ण विषय भी खुलकर सामने आएंगे और समस्याओं के समाधान भी बेहतर होने का भरोसा सदन की गरिमा बढ़ाएगा…’शाही हंगामे’ के बाद सदन में दिखी ‘शाही शांति’ सार्थकता का पर्याय बन गई…।





